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डीजे और बैंड-बाजे के साथ छतरपुर जिला प्रशासन ने गिराए लोगों के घर और फार्म हाउस

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मार्च के महीने में मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में कई लोगों के मकान और फार्म हाउस पर बुलडोजर चला. हालांकि यह कार्रवाई मध्य प्रदेश के तमाम जिलों की तर्ज पर ही हो रही थी, लेकिन यहां थोड़ा सा अंतर था. यहां बुलडोजर चलाने से पहले जमकर शोर-शराबा किया गया, प्रशासन ने बाकायदा डीजे और ढोल नगाड़े के साथ इस कार्रवाई को अंजाम दिया.

जिन मकानों को गिराया गया उनके मालिकों के आपराधिक रिकॉर्ड होने का दावा प्रशासन ने किया. दिलचस्प बात ये रही कि इस बुलडोजर की कार्रवाई में भेदभाव साफ-साफ दिखाई दे रहा है. मसलन, ज्यादातर मुसलमानों के ही घर गिराए गए साथ ही कुछ घर हिंदुओं के भी थे, लेकिन जहां मुसलमानों के घर पूरी तरह ध्वस्त कर दिए गए वहीं हिंदुओं के घर पर आंशिक रूप से बुलडोजर चला. ये सारी बातें छतरपुर के निवासियों ने हमें बताईं, जिनमें वे हिंदू भी शामिल हैं जिनके अपने घरों पर भी कार्रवाई हुई है.

हमने इस मामले में लोगों से बात करने की कोशिश की तो स्थानीय लोग बोलने से हिचक रहे थे, उनके अंदर एक डर था. यहां तक कि जिस पुलिस प्रशासन ने यहां के फार्म हाउस और मकानों पर बाकायदा डीजे और गाजे-बाजे के साथ कार्रवाई की, उनमें भी यह हिचक दिखाई दी.

इस मामले की तह तक जाने के लिए हम कई अधिकारियों से मिले लेकिन उन्होंने किसी भी तरह का जवाब नहीं दिया. हमारे सवाल सुनकर छतरपुर के एसपी सचिन शर्मा ने कहा कि यह कोई कॉल डिटेल नहीं है जिसकी जानकारी आपको दी जाए.

स्थानीय लोगों के मुताबिक एंटी माफिया अभियान के तहत पुलिस प्रशासन ने हत्या, हत्या के प्रयास, लूट, अवैध तरीके से कर्ज देने जैसे आपराधिक मामलों में शामिल लोगों के घर पर बुलडोजर की कार्रवाई की है. इस कार्रवाई में मुसलमानों को ही सबसे ज्यादा निशाना बनाया गया है.

जिला प्रशासन ने जब छतरपुर से लगभग छह किलोमीटर दूर सताई रोड पर स्थित शहजाद खान उर्फ सोनू स्टोप के मकान पर बुलडोजर चलाया, उस वक्त वहां ढोल नगाड़े बजाए जा रहे थे. लोगों से कहा जा रहा था कि सीख लें, किसी भी तरह का अपराध करने की सजा क्या होती है. सोनू स्टोप पर कई तरह के अपराधों में शामिल होने का आरोप है.

यह स्पष्ट नहीं था कि सताई रोड के स्थानीय लोग, शहजाद खान उर्फ सोनू स्टोप के डर से या फिर जिला प्रशासन के डर से हमसे बात करने से हिचक रहे थे.

ध्वस्त हुए फार्म हाउस के पास रहने वाले एक व्यक्ति ने हमें बताया, “वह (शहजाद खान) बहुत अच्छे हैं. लोगों की मदद भी करते हैं. अगर मिलते हैं कभी तो अच्छे से बातचीत करते हैं. बाहर वह क्या करते हैं, हमें नहीं पता. सोनू स्टोप का घर क्यों गिराया गया, यह तो प्रशासन ही बता सकता है.”

जब हमने मोहल्ले के कुछ मुसलमानों से बात की तो उनका एक अलग दर्द सामने आया. पहचान छुपाने की शर्त पर एक परिवार ने बताया, “भाजपा की सरकार है. अपराध का मकान गिराने से कोई लेना देना नहीं है, क्योंकि अपराध कोई और करता है, मकान किसी और के नाम हो सकता है. लेकिन यहां मुस्लिमों को टारगेट किया जा रहा है. हमारे लोगों के साथ सख्ती हो रही है. दिखावे के लिए एक हिंदू का मकान भी थोड़ा सा गिरा दिया, ताकि लोग समझें कि हिंदू और मुस्लिम के बीच किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जा रहा है. पर हमें इतना तो समझ में आता ही है. सोनू स्टोप और भैया कार्टन के फार्म हाउस को गिराया गया. वह बहुत कीमती था.”

हमने हनुमान टोरिया मोहल्ले के दो हिंदू परिवारों से भी बात की. इनके घरों पर भी बुलडोजर चला था. योगेश अर्जरिया इनमें से एक हैं. उन्होंने बताया कि मोहल्ले में छोटी-मोटी लड़ाईयां तो होती रहती हैं. अर्जरिया बताते हैं, “मेरा मकान मां के नाम है. मैं घर में था भी नहीं जिस समय मकान गिराया गया. हमें कोई नोटिस भी नहीं दिया गया. शाम को आकर प्रशासन ने बताया कि अपना घर खाली कर लो सुबह गिराया जाएगा. सुबह होते ही डीजे और बैंड-बाजे के साथ फोर्स आ गई और हमारा मकान गिरा दिया.”

अर्जरिया के मुताबिक उनकी मां और बहन पुलिस वालों के हाथ-पैर जोड़ती रहीं, बिलखती रहीं, लेकिन उनको भी धक्का मारकर एक तरफ कर दिया गया. मोहल्ले वालों ने उनकी मदद की और सबने मिलकर विरोध शुरू किया, तब जाकर उनका आधा घर बच पाया. लेकिन पास ही में मुसलमानों के फार्म हाउस और घरों को पूरी तरह से जमींदोज कर दिया गया.

पूरे मध्य प्रदेश की तरह ही, बिना नोटिस दिए इस तरह की कार्रवाई करने का तरीका यहां भी देखने को मिला. अर्जरिया बताते हैं कि बुलडोजर की कार्रवाई के बाद उनको डिवीजनल न्यायालय, छतरपुर से नोटिस आया था. उसमें लिखा था कि झगड़ा और शांति भंग होने की पूरी संभावना है, इसलिए योगेश 17 जून, 2022 को अदालत में पेश हों.

छतरपुर शहर से सताई रोड स्थित सोनू स्टोप का फार्म हाउस के रास्ते में हमें एक बुजुर्ग मिले. हमने उनसे पूछा कि सोनू स्टोप का फार्म हाउस क्यों गिराया गया, आपको कोई जानकारी है? उन्होंने कहा, “मैं इस रोड पर रहता जरूर हूं, लेकिन मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. जिनका फार्म हाउस गिरा है वह छतरपुर के रहने वाले हैं. मैंने बस इतना सुना है कि इस रास्ते पर सोनू स्टोप का फार्म हाउस है.”

थोड़ा और आगे बढ़ने पर हमें एक किसान मिले. हमने उनसे सोनू स्टोप के बारे में पूछा. उन्होंने कहा, “वहां जाकर आप क्या करेंगे? वह तो खंडहर हो चुका है.” हमने कहा हम लोग खबर लहरिया के पत्रकार हैं, क्या आप बता सकते हैं कि वह फार्म हाउस कब और क्यों गिरा? उन्होंने दबी जुबान से बताया, “जिस दिन फार्म हाउस गिराया गया, उस दिन सुबह 5 बजे से यहां पुलिस प्रशासन का जमावड़ा लगा था. पूरी तरह घेराबंदी की गई थी. यहां 10 जिलों की पुलिस फोर्स आई थी. जेसीबी मशीनें थीं. बहुत बड़ा फार्म हाउस था, लेकिन उन मशीनों ने एक घंटे में उसका काम तमाम कर दिया.”

इसी तरह से भैया कार्टन नामक एक मुस्लिम व्यक्ति का फार्म हाउस भी ढहाया गया है. यह फार्म हाउस छतरपुर के कासर गांव में स्थित है. लोगों को बस इतनी जानकारी है कि भैया कार्टन एक अपराधी है और फिलहाल फरार है.

कासर गांव में रहने वाली एक 15 साल की लड़की बताती है कि अंदर के बारे में ज्यादा पता नहीं. उनका गेट हमेशा बंद रहता था. बहुत ज्यादा पाबंदी थी. तीसरी मंजिल से बटन दबाए जाने पर दरवाजा खुलता था, फिलहाल दरवाजा हमेशा बंद रहता है. किसी को यह तक पता नहीं चलता कि आना जाना कहां से होता है.

हम पहले सोनू स्टोप के घर पहुंचे. घर की छत से सोनू स्टोप की बहन ने पूछा किससे मिलना है. हमने कहा, “आपसे बात करनी है.” इसके बाद हम अंदर पहुंचे. मकान आलीशान था, कई गाड़ियां खड़ी थीं. हम चाहते थे कि इन लोगों से बात करें लेकिन शुरुआत में झिझक हो रही थी. सोनू स्टोप की बहन ने नाम नहीं छापने की शर्त पर हमसे बातचीत शुरू की, “हमारे पास मकान और फार्म हाउस के सभी कागजात थे. मेरा भाई प्रॉपर्टी लीडर है और लोगों को ब्याज पर पैसे देता है.”

बातचीत में वो सोनू के आपराधिक अतीत की ओर इशारा करते हुए कहती हैं, “पहले उसने जो भी किया हो, लेकिन 10 साल से उसने सब कुछ छोड़ दिया था. किसी भी तरह का लड़ाई, झगड़ा कुछ भी नहीं था. फिर भी उसका फार्म हाउस और पन्ना नाके वाला मकान प्रशासन ने गिरा दिया. बिना किसी सूचना या नोटिस के.”

बहन के मुताबिक आधी रात में पन्ना नाके वाले मकान पर पुलिस गई, और वहां पर रह रहे किरायेदारों से मकान खाली करने को बोला. हमें उनसे सूचना मिली कि मकान गिराया जा रहा है और सुबह होते ही मकान ढहा दिया गया.

इस समय सोनू स्टोप जेल में है. हमने उनकी बहन से पूछा कि आप लोगों ने कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की? उन्होंने बताया, “मेरा भाई जेल में है. घर में सिर्फ महिलाएं हैं. मेरी भाभी अकेली हैं इसलिए वह मेरे साथ रहती हैं. हम नहीं चाहते कि हमारे दूसरे भाइयों के ऊपर भी कार्रवाई हो.”

सोनू स्टोप के पूरे परिवार को डर है कि जिस घर में वो लोग फिलहाल रह रहे हैं, कहीं उसे भी न ढहा दिया जाय. इसलिए उन्होंने किसी भी तरह की कोई कार्रवाई करना उचित नहीं समझा. क्योंकि यह मकान गिरने की स्थिति में वो लोग सड़क पर आ जाते. हमने बातचीत के अंत में उनकी फोटो लेनी चाही, लेकिन उन्होंने जेल में बंद अपने भाई की सुरक्षा के मद्देनजर इससे इंकार कर दिया.

सोनू स्टोप के भाई राजनीति से जुड़े रहे हैं. इसी तरह भैया कार्टन खुद बसपा के नेता हैं. वो बसपा से 2018 में विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं. शहर में उनका दबदबा और पहचान है.

इस मामले की जानकारी में सरकारी पक्ष को समझने के लिए हमने छतरपुर नगर पालिका के प्रमुख, वहां के विधायक, एसपी सचिन शर्मा और डीएम संदीप से संपर्क किया. साथ में छतरपुर भारतीय जनता पार्टी की इकाई के अध्यक्ष से भी मिलने का प्रयास किया. लेकिन इनमें से जिलाधिकारी और भाजपा विधायक ने हमसे बात नहीं की. नगरपालिका अध्यक्ष ने सिर्फ इतना कहा कि “पुलिस का मामला है, वहां से आपको पता चल सकता है. जिसके भी घर गिराए गए होंगे वह अवैध रहे होंगे. अगर आपको ज्यादा जानकारी चाहिए तो आरटीआई डालिए.” उन्होंने कहा कि इससे ज्यादा वो कुछ नहीं बता सकते.

हम छतरपुर सदर के विधायक आलोक चतुर्वेदी से भी मिले. उन्होंने संक्षेप में कहा, “आपराधिक लोगों के मकान गिराए गए होंगे. इसके पहले भी छतरपुर जिले में अपराधियों के मकान गिराए गए हैं. अगर किसी ने गलत किया है तो उसका खामियाजा उनको भरना पड़ेगा. बाकी जानकारी नहीं है.”

नगर पालिका अध्यक्ष ओमपाल सिंह ने जानकारी दी कि नगर पालिका की तरफ से जो भी शहर में आते हैं, उन्हें नोटिस जारी किया गया लेकिन उस नोटिस को लोगों ने गंभीरता से नहीं लिया. काफी समय देने के बाद लोगों के मकान गिराए गए, और वो आपराधिक किस्म के थे. उनके अवैध कब्जे थे.

हमने उनसे पूछा कि लोगों का आरोप है कि बिना नोटिस के मकान गिराए गए हैं. क्या ऐसा कोई नियम है? ओमपाल सिंह कहते हैं, “इस बारे में मुझे जानकारी नहीं है लेकिन शायद रेवेन्यू के तहत ऐसा कानून है. लेकिन जो मकान गिराए गए हैं वह ला एंड आर्डर को मेंटेन नहीं करने वालों के हैं.”

क्या किसी का घर गिराते समय प्रशासन को बैंड-बाजा और डीजे आदि बजाना चाहिए? इस पर ओमपाल कहते हैं, “गाजे-बाजे से कोई लेना देना नहीं है. डीजे के साथ इसलिए गिराए गए हैं ताकि लोगों को पता चले. और उसमें यही बोला जा रहा था कि जिन लोगों ने क्राइम किया है, उनके मकान गिराए जा रहे हैं.”

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