Khabar Baazi
चीफ जस्टिस रमन्ना: “मीडिया कंगारू कोर्ट चलाकर जनतंत्र का क्षरण कर रहा है”
चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने रांची में एक अकादमिक कार्यक्रम में व्याख्यान देते हुए मीडिया की कड़ी आलोचना की. उन्होंने टीवी पर होने वाली बहसों को "पक्षपाती", "दुर्भावना से भरी" और “एजेंडा चलित" बताया. उनका विचार में “मीडिया पर पक्षपात से भरी बहसें लोगों, व्यवस्था और जनतंत्र को नुकसान पहुंचा रही हैं. जिससे न्याय व्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ता है.”
उन्होंने अपने व्याख्यान में मीडिया को घेरते हुए कहा कि मीडिया में गलत जानकारी और एजेंडा पर आधारित बहसें, कंगारू अदालतों के समान हैं जो "जनतंत्र को दो कदम पीछे" ले जा रही हैं.
गौरतलब है कि भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी की सोशल मीडिया पर काफी आलोचना हुई थी. उस पर प्रतिक्रिया देते हुए चीफ जस्टिस ने कहा, "सोशल मीडिया में न्यायाधीशों के खिलाफ सुनियोजित अभियान चल रहे हैं. न्यायाधीश तुरंत प्रतिक्रिया नहीं दे सकते हैं. कृपया इसे कमजोरी या लाचारी न समझें." ज्ञात हो कि कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में नूपुर शर्मा के पैग़म्बर मोहम्मद के बारे में दिए गए विवादित बयान को देशभर में सांप्रदायिक तनाव का ज़िम्मेदार बताया था.
चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा, "नए मीडिया उपकरणों में व्यापक विस्तार करने की क्षमता है, लेकिन वे सही और गलत, अच्छे और बुरे और असली और नकली के बीच अंतर करने में असमर्थ हैं."
अगले महीने रिटायर होने जा रहे चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा कि मीडिया द्वारा फैलाए जा रहे पक्षपातपूर्ण विचार, लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं और व्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
प्रिंट मीडिया के बारे में अपने विचार रखते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि प्रिंट मीडिया में अभी भी कुछ हद तक जवाबदेही बाक़ी है. वहीं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कोई जवाबदेही नहीं है और सोशल मीडिया तो स्थिति और भी बदतर है.
उन्होंने मीडिया को अपनी जिम्मेदारी समझने और जिम्मेदारी से बर्ताव करने का आग्रह किया. इसके लिए उन्होंने मीडिया के द्वारा सेल्फ रेगुलेशन को ही सही बताते हुए कहा, "मीडिया के लिए यह सबसे अच्छा है कि वे अपने शब्दों पैमाना तय करे. मैं इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया से जिम्मेदारी से व्यवहार करने का आग्रह करता हूं. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को राष्ट्र के लोगों को शिक्षित करने और जागरूक करने के लिए उनकी आवाज का इस्तेमाल करना चाहिए."
जस्टिस रमन्ना ने इस तरफ भी ध्यान दिलाया कि पिछले कुछ समय में जजों पर होने वाले हमले तेजी से बढ़े हैं. जहां एक तरफ नेताओं नौकरशाहों और पुलिस के अफसरों को हमेशा सुरक्षा मुहैया कराई जाती है, वहीं दूसरी तरफ "इसी समाज में रहने वाले जजों के साथ ऐसा नहीं होता."
उन्होंने देश की अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित मामलों के पीछे सबसे बड़ी वजह न्याय व्यवस्था में रिक्त जगहों और व्यवस्था के ढांचे को सुदृढ़ न करना बताया. उन्होंने न्याय व्यवस्था को लेकर कहा, "मैं नम्रता पूर्वक यह कहना चाहता हूं कि न्यायिक समीक्षा के अभाव में, लोगों का संविधान पर विश्वास कम हो गया होता. अंततोगत्वा संविधान जनता के लिए है. न्यायिक तंत्र, व्यवस्था का वह अंग है जो इस संविधान में जान फूंकता है."
Also Read
-
Decoding Maharashtra and Jharkhand assembly polls results
-
Adani met YS Jagan in 2021, promised bribe of $200 million, says SEC
-
Pixel 9 Pro XL Review: If it ain’t broke, why fix it?
-
What’s Your Ism? Kalpana Sharma on feminism, Dharavi, Himmat magazine
-
महाराष्ट्र और झारखंड के नतीजों का विश्लेषण