Khabar Baazi

'चलचित्र अभियान' के दो पत्रकारों के साथ बागपत में हाथापाई

चलचित्र अभियान के दो पत्रकारों के साथ उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के किशनपुर बिराली गांव में कथित तौर पर हाथापाई की गई. उन पर यह हमला खाद्य पदार्थों पर जीएसटी लगाने के विषय पर रिपोर्टिंग के दौरान हुआ.

चललित्र अभियान फिल्म और मीडिया समूह के प्रमुख नकुल सिंह साहनी ने कहा, "बीजेपी समर्थक ने हमारे पत्रकारों के कैमरा और माइक छीनने का प्रयास किया." यह घटना बुधवार शाम 5 बजे हुई.

न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए साहनी कहते हैं, "यह पहली बार नहीं हैं जब हमारी टीम के सदस्यों पर हमला हुआ है. पहले भी 3-4 बार हमारी टीम पर काम के दौरान हमला हो चुका है. हमने कभी इसके बारे में मीडिया को नहीं बताया. लेकिन अब यह पैटर्न बन गया है इसलिए हमने इसके बारे में इस बार बोलने का निर्णय लिया."

साहनी कहते हैं कि उनकी टीम के ज्यादातर रिपोर्टर्स अल्पसंख्यक और पिछड़े समुदाय से आते हैं. इसलिए वे आसान टारगेट होते हैं. उनकी टीम में 2013 मुजफ्फरनगर दंगों के पीड़ित भी हैं.

उनकी टीम के एक सदस्य शाकिब रंगरेज कहते हैं, “अभी जो जीएसटी के दामों पर बढ़ोतरी हुई है, उसको लेकर हम पत्रकारिता करने गए थे. तभी एक व्यक्ति आया और उसने हमें हमारे काम से रोक दिया. वह बोलने लगा कि यह किस तरह की पत्रकारिता आप लोग कर रहे हो. वह बोलने लगा कि यहां से चले जाओ. इस दौरान उसने हमारा कैमरा और माइक छीनने की कोशिश की.”

चललित्र अभियान अपना काम पश्चिम यूपी में करता है. शाकिब कहते हैं कि, हम हमेशा ही जनता से जुड़े मुद्दों पर रिपोर्टिंग करते रहते है. वह कहते हैं, “हमें पत्रकारिता से तो रोका ही, साथ ही धमकी दी कि यहां से चले जाओ नहीं तो और लोगों को बुला लेंगे.”

शाकिब कहते हैं कि हम लोग जनता से जुड़े मुद्दों को ही उठाते हैं. पूरे पश्चिमी यूपी में हमारी टीम काम करती है. “हम जिस तरह की पत्रकारिता करते हैं दिल्ली की मीडिया शायद उन मुद्दों को उठाए. हम किसानों के स्थानीय मुद्दे, महिलाओं के मुद्दों पर काम करते हैं. आम जनता किन दिक्कतों का सामना कर रही है उसे उठाते है”, वह कहते हैं.

घटना के समय कैमरा चला रहे विशाल स्टोनवॉल कहते हैं, “जब हम लोगों से बात कर रहे रहे थे तभी एक शख्स बाइक से आया और हमें रोकने लगा. हमने उन्हें बताया कि चलचित्र अभियान से है और हम लोगों डॉक्यूमेंट्री फिल्म मेकिंग और पत्रकारिता करते हैं, लेकिन वह हमसे बहस करने लगा. इस दौरान उसने बदतमीजी और परेशान करने लगा.”

विशाल आगे कहते हैं, “उस शख्स का कहना था कि हम अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे लोगों को सरकार के खिलाफ भ्रमित कर रहे हैं. इस पर हमने कहा कि आप जीएसटी के बढ़े हुए दामों पर बोल दीजिए. जिस पर उसने कहा कि यहां सब कुछ अच्छा है. लोगों को कोई दिक्कत नहीं है.”

विशाल ने बताया कि रिपोर्ट्स नहीं करने से रोकने वाले शख्स ने अपना नाम सचिन बताया.

इस बीच नकुल के ट्वीट के पर जवाब देते हुए बागपत पुलिस ने कहा कि, रमाला थाने में वह अपनी लिखित शिकायत दे दें. शिकायत पर नियमानुसार वैधानिक कार्यवाही की जाएगी.

कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट (सीपीजे) ने इस घटना पर बयान जारी कर इस घटना की निंदा की. सीपीजे ने यूपी पुलिस से इस घटना के बारे में जांच करने और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग भी की.

Also Read: आपके मीडिया का मालिक कौन है: इंडिया टुडे समूह के उतार-चढ़ाव

Also Read: उबर-टाइम्स इंटरनेट के संबंध मीडिया जगत में किस बदलाव की ओर इशारा करते हैं