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पंजाब सरकार ने दो महीने में हर घंटे विज्ञापन पर खर्च किए 2,59,458 रुपए

पंजाब की भगवंत मान सरकार ने 11 मार्च 2022 से 10 मई 2022 के बीच न्यूज़ चैनलों और अखबारों में विज्ञापन पर 37,36,19,938 रुपए खर्च किए हैं. यह जानकारी एक आरटीआई में सामने आई है.

पंजाब सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और रेडियो दोनों को मिलाकर कुल 53 चैनलों को विज्ञापन दिया है. सरकार ने इन्हें दो महीनों में 20,15,24,496 रुपए का विज्ञापन दिया गया है. इनमें सबसे ज्यादा विज्ञापन आजतक को मिला. आजतक को 1,54,81,305 रुपए का विज्ञापन मिला है. इसके बाद पंजाबी चैनल पीटारा को 1,54,50,691 रुपए का विज्ञापन दिया गया है. इनमें देखा जाए तो सबसे कम विज्ञापन रेड एफएम को दिया गया गया है. रेडियो चैनल रेड एफएम को 1,44,576 रुपए का विज्ञापन दिया गया.

टीवी और रेडियो के अलावा मान सरकार ने इन दो महीनों में 97 अखबारों के जरिए भी अपना प्रचार-प्रसार किया है. इन पर सरकार ने 17,20,93,427 रुपए विज्ञापन पर खर्च किए हैं. विज्ञापनों पर सरकार ने न सिर्फ पंजाब के अखबारों बल्कि हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती और हिमाचल प्रदेश के अखबारों को भी विज्ञापन दिया है.

टीवी, रेडियो और अखबारों पर कुल मिलाकर दो महीनों में सरकार ने 37,36,19,938 रुपए खर्च किए हैं. अगर एक दिन के हिसाब से देखा जाए तो सरकार ने 62,26,998 रुपए खर्च किए हैं वहीं अगर एक घंटे के हिसाब से देखें तो 2,59,458 रुपए खर्च किए गए.

गौरतलब है कि कंट्रोलर ऑफ अकाउंट जनरल (कैग) की रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब सरकार पर साल 2025 तक 3.73 लाख करोड़ का कर्ज हो जाएगा. बता दें कि यह आरटीआई मानसा के रहने वाले मानिक गोयल ने लगाई थी.

पंजाब से बाहर विज्ञापन

पंजाब सरकार ने विज्ञापनों पर जो खर्च किया है उसमें बड़ी संख्या में राज्य के बाहर के अखबार और न्यूज़ चैनल शामिल हैं. पंजाब सरकार ने एक अन्य आरटीआई में बताया कि 10-03-22 से 10-05-22 तक अखबारों में विज्ञापन के तौर पर 16,52,80,641 रुपए खर्च किए गए. इनमें सरकार ने बताया कि 13,34,18,911 रुपए राज्य के बाहर के अखबारों में विज्ञापन दिया गया. यानी की करीब 80 प्रतिशत विज्ञापन पंजाब के बाहर के अखबारों में दिए गए.

आरटीआई जवाब

मुख्यमंत्री भगंवत मान ने सीएम बनने के बाद एंटी करप्शन हेल्पलाइन का एलान किया था. जिसकी शुरुआत उन्होंने शहीदी दिवस से की थी. एक अप्रैल 2022 से 15 अप्रैल 2022 तक इस योजना के प्रचार-प्रसार पर सरकार ने 14.5 करोड़ रुपए खर्च किए. यह खर्च सिर्फ टीवी चैनलों पर दिए गए विज्ञापन का है. 14.5 करोड़ में से गुजराती टीवी चैनलों को 1.57 करोड़ रुपए और उत्तर प्रदेश के चैनलों को 75 लाख रूपए का विज्ञापन दिया गया.

आरटीआई एक्टिविस्ट मानिक गोयल कहते हैं, “3-4 लाख शिकायतें आई हैं हेल्पलाइन पर, सिर्फ कुछ मामलों में कार्रवाई की गई. जबकि इसके विज्ञापन पर पानी की तरह पैसा बहाया गया.”

आरटीआई जवाब

पंजाब सरकार ने अखबारों में जो विज्ञापन दिया है उसमें अंग्रेजी, हिंदी, गुजराती, मराठी, उर्दू और पंजाबी अखबार शामिल हैं. वहीं टीवी चैनलों में भी हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी, गुजराती भाषा के चैनल शामिल हैं. बता दें कि गुजरात और हिमाचल में इस साल के अंत में चुनाव होने वाले हैं, इसको लेकर आम आदमी पार्टी ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं.

पंजाब सरकार ने गुजराती टीवी चैनल जैसे कि ज़ी 24कलाक, टीवी9 गुजराती, संदेश न्यूज़, न्यूज़ 18 गुजराती, एबीपी अस्मिता, जनता टीवी और वीटीवी गुजराती को लाखों का विज्ञापन दिया है. वैसे ही अखबारों की बात करें तो- कच्छ मित्र, गुजरात समाचार, फूलछाब, दिव्य भास्कर, अहमदाबाद एक्सप्रेस और संदेश शामिल हैं.

बजट के विज्ञापन पर खर्च

पंजाब सरकार ने बजट का भी खूब प्रचार-प्रसार किया. सरकार ने बताया की उसने इस बार बजट को पेपरलेस करके डिजिटल कर दिया. जिससे सरकार का 21 लाख रूपया बच गया. लेकिन मजेदार बात यह है कि, सरकार ने बजट के विज्ञापन पर 42.7 लाख रुपए खर्च कर दिए.

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शपथग्रहण कार्यक्रम

16 मार्च को भगंवत मान ने राज्य के 17वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. इस कार्यक्रम के लिए पंजाब सरकार ने टीवी चैनलों और अखबारों पर खूब पैसा खर्च किया. यह पहला मौका था जब आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली के बाहर किसी दूसरे राज्य में बनी है. इसलिए नई सरकार के शपथ ग्रहण के विज्ञापन पर जमकर पैसा बहाया गया.

आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक, सरकार ने अखबार में शपथ ग्रहण के विज्ञापन पर 4.34 करोड़ रुपए, टीवी पर 1.1 करोड़ रुपए और रेडियो पर 22 लाख रुपए का विज्ञापन दिया. कुल मिलाकर सरकार ने अपने शपथ ग्रहण पर 5.70 करोड़ रुपए खर्च किए.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पंजाब सरकार ने शपथ ग्रहण कार्यक्रम पर करीब 3 करोड़ खर्च किए लेकिन इसके विज्ञापन पर करीब छह करोड़ रुपए खर्च किए हैं.

आरटीआई जवाब

इसी तरह पंजाब सरकार ने अपने पहले 30 दिनों के कामकाज को लेकर विज्ञापन पर 3.67 करोड़ रुपए खर्च किए. यह खर्च अखबारों में दिए गए विज्ञापनों का है. वहीं मान सरकार ने कारोबार को लेकर सुझाव मांगने के लिए अखबारों में 4.47 करोड़ का विज्ञापन दिया.

सुदर्शन और रिपब्लिक को भी विज्ञापन

पंजाब सरकार ने दो महीनों में जो विज्ञापन दिया है उनमें सुदर्शन चैनल भी शामिल है. सुदर्शन चैनल को 11 मार्च से 10 मई के बीच 17.3 लाख रूपए का विज्ञापन दिया है.

कांग्रेस पार्टी ने पंजाब सरकार द्वारा सुदर्शन न्यूज़ को विज्ञापन देने पर ट्वीट करते हुए कहा कि, भाजपा की राह पर चलते हुए, उन मीडिया चैनलों को विज्ञापन देना, जो समाज में नफरत फैलाते हैं- ये बेहद खतरनाक है और बदलाव की राजनीति तो बिलकुल नहीं है.

इस ट्वीट का जवाब देते हुए सुदर्शन टीवी के एडिटर सुरेश चह्वाणके ने कहा, “जो सरकारें हमें देती नहीं उनसे हम क़ानूनी लड़ाई लड़ कर विज्ञापन प्राप्त करते हैं, इसमें कांग्रेस की सरकारों को भी देना अनिवार्य है, क्योंकि हम डीएवीपी में रजिस्टर्ड चैनल हैं. हमारी बड़ी और प्रभावी दर्शक संख्या के होते हुए हमें विज्ञापन न देने वाले लोकतांत्रिक कैसे हो सकते हैं?”

न सिर्फ सुदर्शन बल्कि रिपब्लिक टीवी, रिपब्लिक टीवी भारत, ज़ी ग्रुप के कई चैनलों समेत कई राष्ट्रीय मीडिया चैनलों को करोड़ों रुपए का विज्ञापन दिया गया. इन चैनलों की कवरेज किसी से छुपी नहीं है. खबरिया चैनलों को लेकर कई बार सुप्रीम कोर्ट, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय समय-समय पर एडवाइजरी जारी करते रहते हैं.

रिपब्लिक के दोनों चैनलों को मिलाकर कुल 1.22 करोड़ का विज्ञापन दिया गया है. ज़ी समूह के छह चैनलों को मान सरकार ने कुल मिलाकर 2.3 करोड़ का विज्ञापन दिया.

पंजाब सरकार द्वारा इन चैनलों को दिए जा रहे विज्ञापन पर बात करने के लिए हमने सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की निदेशक सोनाली गिरी से संपर्क किया लेकिन बात नहीं हो सकी.

हालांकि द प्रिंट से बात करते हुए सोनाली गिरी ने बताया कि विज्ञापन के लिए संबंधित चैनल या प्रकाशन को डीएवीपी (विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय) से पंजीकृत होना जरूरी है.

उन्होंने कहा कि, पंजाब सरकार केवल डीएवीपी दरों पर विज्ञापनों का भुगतान करती हैं.

पंजाब कांग्रेस ने विज्ञापन पर खर्च को लेकर मान सरकार पर निशाना साधा है. पूर्व खेलमंत्री परगट सिंह ने आरटीआई के आधार पर विधानसभा में विज्ञापन पर हो रहे खर्च को लेकर सवाल पूछा.

उन्होंने ट्वीट कर आप सरकार पर आरोप लगाया कि, आम आदमी पार्टी राज्य के करदाताओं के पैसों का उपयोग चुनावी लाभ के लिए कर रही है.

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