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ज़ुबैर, तीस्ता की गिरफ्तारी और देश में बुलंद हुआ न्याय का इक़बाल

सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2002 में हुए गुजरात दंगों से पूरी तरह क्लीनचिट दे दी. इस निर्णय से देश में न्याय का वातावरण स्वस्थ और बुलंद हुआ है. यह मामला सबूतों के साथ छेड़छाड़ का था, गैर कानूनी तरीके से कानून के इस्तेमाल करने का था. आम देशवासियों में इस फैसले से त्वरित न्याय मिलने की उम्मीदें मजबूत हो गई हैं.

वरना तो हमारी न्यायपालिका पर हमेशा रईसों के लिए दरवाजा खुला रखने का आरोप लगता रहा है. गैरकानूनी तरीके और भी बहुतेरे लोगों ने बहुत कुछ किया है. ज्यादा दूर क्या जाना. हमें ही देख लीजिए. कानूनन हमारे दफ्तर के लैपटॉप, कंप्यूटर का डाटा कॉपी करना गैरकानूनी है. लेकिन सर्वे करने वाले आयकर विभाग के बंधु जबरिया सबकुछ ले गए.

गोधरा और गुजरात में हुए दंगों से मोदीजी को पाक-साफ बरी करके अदालत ने न्याय के जिस गरिमापूर्ण माहौल की स्थापना की है उसका विस्तार हम तीस्ता सीतलवाड़ और ऑल्ट न्यूज़ के संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर की गिरफ्तारी में देख सकते हैं. उम्मीद है न्याय का यह कारवां आगे बदस्तूर यूं ही चलता रहेगा.

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