Report
'हमारा कचरा ढोने वाले डंपिंग साइटों में जलकर मर रहे हैं'
पंजाब के लुधियाना में 55 वर्षीय सुरेश और उनका पूरा परिवार (पत्नी और पांच बच्चे) शहर भर का कचरा बटोरकर ताजपुर डंपिंग साइट पर लाते थे. जिंदगी कचरे से बहाल थी तो डंपिंग साइट के बगल ही एक चलताऊ घर बसा लिया. लेकिन उन्हें जरा भी अंदाजा नहीं था कि यही डंपिंग साइट उनकी मौत का कारण बनेगी. 20 अप्रैल, 2022 को 20 लाख टन कचरे वाली इस साइट में आग लगी और सभी जल कर खाक हो गए.
मरने वालों में 55 वर्षीय सुरेश के साथ उसकी 50 वर्षीय पत्नी रोना रानी, तीन बेटियां जिनमें 15 वर्षीय मनीषा, 10 वर्षीय चांदनी, 5 वर्षीय गीता और 6 वर्षीय लड़का सनी शामिल थे.
ऐसा एक जगह नहीं हो रहा. डंपिंग साइट से मौत का दूसरा दर्दनाक हादसा हरियाणा के मानेसर में इस साल घटा. 25 अप्रैल, 2022 की रात में मानेसर के हरियाणा स्टेट इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एचएसआईआईडीसी) की 15 एकड़ क्षेत्र वाली डंपिंग साइट पर एक अधेड़ औरत आग लगने से जलकर मर गई. इस आग ने बगल में 13 एकड़ के एक निजी प्लॉट जहां प्लास्टिक और इलेक्ट्रॉनिक कचरा इकट्ठा होता है उसको भी चपेट में ले लिया.
डंपिंग साइट में जलकर मरने वाली औरत वहां कचरे की छंटाई और संग्रहण काम करने वाली 100 से ज्यादा झुग्गियों के परिवार का एक सदस्य थी.
डंपिंग साइटों पर कूड़े-कचरे में आग लगने से होने वाली मौत की इन घटनाओं को अक्सर मानने से ही इनकार कर दिया जाता है. हालांकि, लुधियाना और मानेसर की इन दोनों मानवीय त्रासदी वाली घटनाओं की पुष्टि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की गठित निगरानी समिति ने की है.
निगरानी समिति में शामिल पूर्व जस्टिस प्रीतम पाल ने मानेसर के लिए और पंजाब के पूर्व जस्टिस जसबीर सिंह ने लुधियाना की घटनाओं के लिए अपनी विस्तृत रिपोर्ट एनजीटी में दाखिल की है. जिसमें न सिर्फ घटनाओं की पुष्टि हुई है बल्कि समिति ने पाया है कि इन डंपिंग साइटों पर न सिर्फ वर्षों का कचरा (लीगेसी वेस्ट) ज्यूं का त्यूं पड़ा है बल्कि नगर पालिका और निगम भी कचरे का संग्रहण, छंटाई और डंपिंग कचरा प्रबंधन अधिनियमों के तहत नहीं किए जा रहे हैं.
इन घटनाओं से पहले पहली बार डंपिंग साइट से मौत का मामला दिल्ली के गाजीपुर लैंडफिल साइट के पास आया था. जहां कचरे में विस्फोट होने के कारण दो लोगों की मौत हुई थी और पांच लोग घायल हुए थे.
यह सब हो रहा है और एजेंसियों चेत नहीं रहीं. प्रदूषण से होने वाली बीमारियों का आखिरी परिणाम और हादसों से होने वाली मौत का परिणाम अंत में मौत ही है. मानवीय त्रासदियों की अनदेखी जारी है और पर्यावरण प्रदूषण व ऐसी घटनाओं को हतोत्साहित करने के लिए जो भी कदम उठाए जाने हैं वह निष्प्रभावी हैं.
लुधियाना के सात लोगों के मामले में जस्टिस जसबीर सिंह की समिति ने अपनी सिफारिश में लिखा है लुधियाना नगर निगम शहर में मौजूद सेंकेंडरी 38 कूड़े-कचरे के प्वाइंट को पूरी तरह हटाए. 1100 टन प्रति दिन कचरे में से सिर्फ 968 टन प्रतिदिन कचरा डंपिंग साइट जा रहा है बाकी इन्हीं सेंकेडरी प्वाइंटस पर फेका जाता है.
मानेसर वाले मामले में समिति ने कम समय में जो उपाए किए जाने हैं उसके लिए अपनी सिफारिश में कहा है कि मानेसर नगर निगम जले हुए कचरे को वैज्ञानिक तरीके से निपटाने के लिए बावल साइट पर भेज दिया जाए. इसके अलावा इसका खर्चा प्राइवेट लैंड के मालिक से वसूला जाए. वहीं, एचएसआईडीसी साफ-सफाई का काम नगर निगम को सुपुर्द करे जो कि दो महीने में लीगेसी वेस्ट को बावल साइट पर पहुंचाए. इसके अलावा हजार्ड्स वेस्ट को फरीदाबाद पहुंचाया जाए.
दोनों समिति ने कहा है कि जिम्मेदार एजेंसियां ठोस कचरा प्रबंधन कानून 2016 के नियमों का तत्काल पालन करें. दोनों समितियों ने इसके अलावा पूर्व में आदेशों का पालन न करने के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से नगर निगम और जिम्मेदार एजेंसियों पर जुर्मााना लगाने की भी सिफारिश की है.
(साभार डाउन टू अर्थ)
Also Read
-
Losses, employees hit: Tracing the Kanwar Yatra violence impact on food outlets
-
The Himesh Reshammiya nostalgia origin story: From guilty pleasure to guiltless memes
-
2006 blasts: 19 years later, they are free, but ‘feel like a stranger in this world’
-
कांवड़ का कहर: 12 होटल- सवा तीन करोड़ का घाटा
-
July 28, 2025: Cleanest July in a decade due to govt steps?