Report
मुंडका आगजनी: 27 लोगों की मौत, रातभर भटकते परिजनों का संघर्ष
दिल्ली के मुंडका मेट्रो स्टेशन के पास शुक्रवार शाम करीब पांच बजे एक तीन मंजिला इमारत में आग लग गई. इस इमारत में सीसीटीवी बनाने वाली एक कंपनी थी. हादसे में अब तक 27 लोगों के मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि करीब 12 लोग घायल हैं. बाहरी दिल्ली जिला के डीसीपी समीर शर्मा ने इसकी पुष्टि की है.
घायलों को इलाज के लिए दिल्ली के संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल, सफदरजंग, आरएमएल और एम्स में भर्ती कराया गया है.
यह घटना शाम करीब 4:45 बजे की बताई जा रही है. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि आग इतनी तेजी से फैली कि बिल्डिंग से लोगों को निकलने का मौका ही नहीं मिला. इसके चलते कुछ लोगों ने अपने आप को बचने के लिए खिड़कियों से ही छलांग लगा दी. इस दौरान अंदर फंसे लोग चीखते-चिल्लाते रहे.
रात करीब 11 बजे जब हम घटनास्थल पर पहुंचे तब वहां पुलिस, मीडियाकर्मियों और दमकलकर्मियों का जमावड़ा लगा हुआ था और उनके साथ भारी संख्या में स्थानीय लोग भी मौजूद थे. मौजूद आम लोगों में वो परिजन भी शामिल थे जिनके रिश्तेदार, दोस्त और करीबी लोग बिल्डिंग में काम करते थे. ज्यादातर लोग अपने करीबियों की खोजबीन कर रहे थे.
बिल्डिंग के पास खड़े 22 वर्षीय राजेश कुमार बार-बार किसी को फोन कर पूछ रहे हैं, “कुछ पता चला”. दरअसल वह अपने एक दोस्त की तलाश में हैं जो इसी बिल्डिंग में काम करते थे. वह न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं, “जब से आग लगी है तब से मेरे दोस्त विवेक का कुछ पता नहीं चल रहा है. उसका फोन भी बंद आ रहा है. विवेक के घरवाले अस्पताल के चक्कर लगा रहे हैं और मैं यहां ढूंढ़ रहा हूं. कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए."
वहां पर मौजूद एक और व्यक्ति, जिन्होंने अपना नाम आशुतोष बताया, हमसे कहने लगे, “मेरे दोस्त की बहन आशा नहीं मिल रही है. वह इसी कंपनी में काम करती थी.” मोबाइल में आशा की तस्वीर दिखाते हुए वे कहते हैं, "वह 30 साल की थी. रानी खेड़ा में अपने परिवार के साथ रहती थी. जब से हमें पता चला है हम उसका फोन नंबर ट्राई कर रहे हैं, पर उनका नंबर नहीं लग रहा है. मैं और आशा का भाई बीरपाल अस्पतालों के चक्कर लगाकर आ रहे हैं. उनकी कोई जानकारी नहीं मिल रही है."
मुंडका के रहने वाले विजय कहते हैं, “बिल्डिंग में आग करीब साढ़े चार बजे लगी थी. आग का पता लगते ही हम लोग यहां आ गए थे. हमारे गांव के सभी लोगों ने इकट्ठा होकर बाहर से जीना (सीढ़ी) लगाकर लोगों को उतारा. इस दौरान करीब 100 लोगों को बिल्डिंग से बाहर निकाला गया. फायर ब्रिगेड की गाड़ियां आग लगने के करीब एक से डेढ़ घंटा बाद घटनास्थल पर पहुंचीं."
वह अपने मोबाइल में लोगों के बचाव का एक वीडियो हमें दिखाते हैं. इस वीडियो में लोग बिल्डिंग की एक खिड़की से लकड़ी की सीढ़ियों के सहारे उतरते दिख रहे हैं. बगल की खिड़कियों से गहरा काला धुंआ निकल रहा है. वीडियो में लोग क्रेन से भी उतरते हुए देखे जा सकते हैं.
हमें मिली जानकारी के मुताबिक इस बिल्डिंग में करीब 270 से 300 कर्मचारी काम करते थे. बिल्डिंग में सीसीटीवी कैमरों की पैकेजिंग और सेल्स का काम किया जाता था. घटना के बाद, सीसीटीवी कंपनी के दोनों मालिकों वरुण गोयल और सतीश गोयल को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, जबकि भवन का मालिक फरार है.
दमकल विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आग लगने की सूचना उन्हें शाम 4.45 बजे मिली. इसके बाद 30 से अधिक दमकल गाड़ियों को मौके पर भेजा गया.
38 वर्षीय रवि आग लगने वाली बिल्डिंग से कुछ ही दूरी पर मदर डेयरी चलाते हैं. लेकिन आग लगने के दौरान वह अपनी दुकान पर नहीं थे.
वह कहते हैं, “जब आग लगी तो मैं बाहर था. किसी ने मुझे फोन करके बताया कि मेरे पास की बिल्डिंग में आग लग गई है तो मैं तुरंत ही घटनास्थल पर भागकर पहुंचा. जब मैं आया तो क्रेन लगाकर लोगों को बचाया जा रहा था. फिर हमने भी उन लोगों को बचाने में मदद की. इस दौरान करीब 100 लोगों को बाहर निकाला गया.”
वह आगे कहते हैं, “लोगों को बिल्डिंग से निकालने के दौरान ही आग काफी तेज हो गई. फिर अन्य लोगों को बचाना मुश्किल हो गया. कई कूद गए लेकिन कुछ लोग अंदर ही रह गए. 27 लोगों की मौत बताई जा रही है, लेकिन यह आंकड़ा बढ़ सकता है.”
क्या आपके कोई जान पहचान वाले यहां काम करते थे? इस सवाल पर रवि कहते हैं कि मेरी तो बहुत से कर्मचारियों से जान-पहचान थी. कंपनी में काम करने वाले तमाम लोग मेरी शॉप से खरीदारी करते थे.
रवि कहते हैं, “जब मैं बिल्डिंग के नीचे पहुंचा तो ऊपर फंसे लोग आवाज लगाने लगे कि रवि भैया बचा लो… क्योंकि मुझे मेरी दुकान के जरिए बहुत से लोग जानते थे.”
रवि की टीशर्ट खून से सनी थी. इसके बारे में पूछने पर वो बताते हैं कि बचाव के दौरान कई लोग घायल भी थे यह उन्हीं का खून है.
वह कहते हैं एक समय के बाद आग बहुत तेज़ हो गई. इसके बाद जो लोग अंदर रह गए थे, उनको नहीं निकाला जा सका. वो सब अंदर ही रह गए.
पास के इलाके नांगलोई से दो महिलाएं कृष्णा और सुनीता मुंडका पहुंची थी. कृष्णा हमसे कहती हैं, “हमारे एक जानकार का लड़का भी इसी कंपनी में काम करता था. उसका कुछ पता नहीं चल रहा है. इसलिए हम उसे यहां देखने आए हैं. हम उसे देखने संजय गांधी अस्पताल भी गए थे. लेकिन अभी तक उसका कुछ पता नहीं चला है.”
मुंडका में आगजनी की शिकार बिल्डिंग देखने के बाद हम संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल गए. अस्पताल के बाहर कंपनी में काम करने वालों के परिजनों का तांता लगा था.
यहां मौजूद लोगों में थोड़ा गुस्सा था, क्योंकि प्रशासन ने घायलों या मृतकों की कोई जानकारी या सूची जारी नहीं की थी. लोगों के परिजन लापता थे. अस्पताल में भी किसी के पास कोई जानकारी नहीं थी.
कुछ परिजनों ने हमें बताया मोर्चरी हाउस में कुछ डेड बॉडी रखी हुई हैं, लेकिन उनकी पहचान के बारे में कोई जानकारी किसी के पास नहीं है.
रात के करीब 3 बजे अस्पताल के गेट पर नदीम एक आधार कार्ड के साथ खड़े थे. उनकी आंखें गीली हैं. वह मीडिया के कैमरे में नहीं आना चाहते, वह सिर्फ आधार कार्ड की फोटो खींचने के लिए ही कहते हैं.
वह रुंधे हुए गले से कहते हैं, “जब आग लगी थी तभी मेरे पास मुस्कान की वीडियो कॉल आई थी. मुझसे बात करते हुए वह बहुत घबरा रही थी. वीडियो में सिर्फ धुंआ धुंआ दिखाई दे रहा था. बात करते-करते फोन कट हो गया. इसके बाद से मुस्कान की कोई खबर नहीं है. मैं तब से बहुत परेशान हूं. वह पिछले करीब दो साल से वहां काम कर रही थी. वह कॉलिंग का काम करती थी. उसे कंपनी में 13-14 हजार रुपए सैलरी मिलती थी. वह अपने परिवार के साथ सुल्तानपुर में रहती थी.”
नदीम कहते हैं, “फोन कटने के 10 मिनट बाद ही मैं घटनास्थल पर पहुंच गया था. तब से मैं भटक रहा हूं. कभी कंपनी तो कभी अस्पतालों के चक्कर काट रहा हूं. लेकिन मुस्कान का कुछ पता नहीं चल रहा है.”
19 वर्षीय पूजा भी उसी बिल्डिंग में काम करती थीं. रात के तीन बजे उनकी बहन मोनी संजय गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल के गेट पर बैठी मिलीं. वो कहती हैं, “मेरी बहन परिवार में इकलौती कमाने वाली थी. कई अस्पतालों में ढूंढा, लेकिन वह नहीं मिली. आग लगने के बाद से हम अस्पतालों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन कुछ पता नहीं चल पा रहा है.”
हमने संजय गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल में काम करने वाले डॉक्टरों से भी बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने बात करने से साफ मना कर दिया.
अस्पताल में बतौर गार्ड तैनात 37 वर्षीय सुरेंद्र कुमार कहते हैं, “मेरी शिफ्ट रात 9:30 बजे शुरू हुई. जब मैं आया था तब तीन- चार मरीज आए थे. वह जले हुए थे. डॉक्टरों ने इलाज के बाद उन्हें घर भेज दिया. बाकी जो ज्यादा घायल थे उन्हें सफदरजंग और एम्स रेफर कर दिया.”
रात के करीब 3:30 बजे हम वापस मुंडका पहुंचे. जलकर खाक हो चुकी उस बिल्डिंग में हमें घुसने का मौका मिला. एक गली से बिल्डिंग में एंट्री करने का एक गेट लगा है. यह गेट बमुश्किल तीन फीट चौड़ा है. रास्ता इतना ही चौड़ा है कि एक बार में एक या दो ही लोग एक साथ अंदर बाहर आ जा सकते हैं. एंट्री करते ही एक लिफ्ट है और उसकी बगल में एक सीढ़ी है जो ऊपर के फ्लोर पर जाती है. पहली मंजिल पर पहुंचते ही भारी तपिश के बीच धुंए से दम घुटना शुरू हो जाता है. दीवारों और छत से गर्म पानी रिस रहा है और उसकी बूंदे टिप-टिप कर नीचे गिर रही हैं. दीवारें, गेट सभी तप रहे थे.
हर फ्लोर पर कांच बिखरा पड़ा था. फर्नीचर, कागजात व अन्य सामान जलकर राख हो चुके थे. इमारत की पहली मंजिल पर कई जगहों से अभी भी धुआ निकल रहा था. एक कोने में आग की धीमी लपटें अभी भी दिखाई दे रही थीं. इमारत का सरसरी तौर पर मुआयना करने पर हमने पाया कि इस बिल्डिंग में फायर फाइटिंग उपकरण नहीं थे. किसी आपातकालीन स्थिति में आग बुझाने की कोई सुविधा नहीं थी.
घटनास्थल पर मौजूद बाहरी जिला दिल्ली डीसीपी समीर शर्मा ने 27 लोगों के मौत की पुष्टि की. जबकि लगभग 12 लोग घायल बताया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर घटना पर शोक जताया और प्रधानमंत्री राहत कोष से मृतकों और घायलों के परिवार के लिए राहत का ऐलान भी किया है.
मृतकों के आश्रितों को दो लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपए दिए जाने की घोषणा की गई है.
Also Read
-
Operation Sindoor debate: Credit for Modi, blame for Nehru
-
Exclusive: India’s e-waste mirage, ‘crores in corporate fraud’ amid govt lapses, public suffering
-
4 years, 170 collapses, 202 deaths: What’s ailing India’s bridges?
-
‘Grandfather served with war hero Abdul Hameed’, but family ‘termed Bangladeshi’ by Hindutva mob, cops
-
Air India crash: HC dismisses plea seeking guidelines for media coverage