NL Tippani
चोपड़ा फरार, बग्गा अंडरट्रायल और मेवाणी जमानत पर
बीते हफ्ते अगर आपने खबरिया चैनलों का मुआयना किया हो तो पाया होगा कि पूरा हफ्ता छुटभैय्ये नेताओं को राष्ट्रीय स्तर पर, स्थापित करने का महत्वपूर्ण काम किया गया. देश में फिलहाल हजार रुपए का एलपीजी सिलिंडर, सवा सौ रुपए का पेट्रोल, साढ़े तीन सौ रुपए वाला नींबू, दंगाबाजी कर रही बेरोजगार युवाओं की भीड़, बेतहाशा गर्मी और पर्यावरण से पेश चुनौतियां कोई मुद्दा नहीं रह गए हैं. अहम मुद्दा सिर्फ ये रह गया है कि कौन सा राज्य कितनी कुशलता से पुलिस को अपना मिलीशिया बना सकता है.
एक मुकाबला भाजपा बनाम आप के बीच है और दो मुकाबले भाजपा बनाम कांग्रेस के बीच हुए. सभी मुकाबलों में पुलिस नाम का संस्थान खूबसूरत फुटबॉल की तरह एक पैर से दूसरे पैर की ठोकर खाता रहा. लेकिन पुलिस की इस हालत पर आपको हमको तरस खाने की जरूरत नहीं है. जिस दिन हमारी-आपकी बारी आएगी, यही पुलिस बिना किसी मुरौव्वत के उठा कर ले जाएगी. एक संस्थान के रूप में पुलिस की गिरी हुई साख को लेकर जिनको कुछ करना है, या जो लोग कुछ कर सकते हैं उनकी कोई इच्छा नहीं है इसकी साख सुधारने की.
इसका दूसरा पहलू यह भी है कि खुद पुलिस के अंदर अपनी उस तार-तार हो चुकी साख को बचाने का कोई चाह नहीं है. विपक्ष में रहते हुए जो दल इस पुलिस के शिकार होते हैं, सत्ता में आने के बाद वो इसी पुलिस का इस्तेमाल अपने पक्ष में करते हैं. बस शिकार बदल जाते हैं.
इसके अलावा धृतराष्ट्र संजय संवाद में प्रधानमंत्री की यूरोप यात्रा पर विस्तार से बातचीत के लिए देखिए इस हफ्ते की टिप्पणी.
Also Read
-
TV Newsance 326: A Very Curly Tale, or how taxpayers’ money was used for govt PR
-
From J&K statehood to BHU polls: 699 Parliamentary assurances the government never delivered
-
Let Me Explain: How the Sangh mobilised Thiruparankundram unrest
-
TV Newsance 325 | Indigo delays, primetime 'dissent' and Vande Mataram marathon
-
The 2019 rule change that accelerated Indian aviation’s growth journey, helped fuel IndiGo’s supremacy