Report

कैसे मेटा के शीर्ष पदाधिकारी के संबंध मोदी और बीजेपी के लिए काम करने वाली फर्म से हैं?

मार्च 2020 से भारत में व्हाट्सएप्प इंक (इसका स्वामित्व फेसबुक के हाथों में है जिसे अब मेटा के नाम से जाना जाता है) में पब्लिक पॉलिसी, डायरेक्टर के तौर पर काम करने वाले शिवनाथ ठुकराल के पास कभी ओपालिना टेक्नोलॉजीज में हिस्सेदारी हुआ करती थी. ओालिना टेक्नोलॉजीज वही कंपनी है जो भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री कार्यालय, भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार के कपड़ा मंत्रालय को सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन्स उपलब्ध करा चुकी है.

भारत में मेटा के प्रमुख पैरोकारों में से एक ठुकराल ने 24 अक्टूबर, 2017 को फेसबुक में शामिल होने से पहले ओपालिना में अपनी सारी हिस्सेदारियां छोड़ दी थीं. हालांकि ओपालिना में काम करने वाले ठुकराल के पिता ने बीजेपी और मोदी जी के लिए काम करना जारी रखा.

भारत सरकार के कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के कंपनी रजिस्ट्रार के अनुसार एनडीटीवी प्रॉफिट के पूर्व प्रबंध संपादक ठुकराल मार्च 2015 से अक्टूबर 2017 तक ओपालिना टेक्नोलॉजीज में निदेशक थे और इसी कंपनी में अक्टूबर 2014 से ही उनकी 7.5 प्रतिशत की हिस्सेदारी भी थी.

फेसबुक इंडिया में शामिल होने से ठीक नौ दिन पहले ही ठुकराल ने ओपालिना के निदेशक पद से इस्तीफा दिया था. करीब-करीब उन्हीं दिनों उन्होंने कंपनी के अपने सारे शेयर अपने पिता कुलभूषण ठुकराल को हस्तांतरित कर दिए. इस तरह से ओपालिना की हिस्सेदारी का कुछ हिस्सा ठुकराल परिवार के पास ही रह गया जबकि शिवनाथ ठुकराल फेसबुक में शामिल हो चुके थे.

ठुकराल फेसबुक में अक्टूबर 2017 से मार्च 2019 तक पब्लिक पॉलिसी, डायरेक्टर (भारत और दक्षिण एशिया) थे. इसके बाद उन्होंने व्हाट्सएप में पब्लिक पॉलिसी, डायरेक्टर के तौर पर काम करने के लिए फेसबुक को छोड़ दिया. इसके साथ ही अक्टूबर 2020 से सितंबर 2021 तक वो अंखी दास के विवादित इस्तीफे के बाद फेसबुक के लिए इंटेरिम पब्लिक पॉलिसी, डायरेक्टर (भारत, मध्य एवं दक्षिण एशिया) के तौर पर भी काम कर रहे थे.

ओपालिना का गठन अप्रैल 2013 में हुआ था. कंपनी के प्रमुख शेयर धारकों में सतीश चंद्रा और गौरव शर्मा जैसे लोग थे जो पूर्व में टाइम्स ग्रुप के पदाधिकारी थे और अब इस कंपनी में डायरेक्टर थे.

ठुकराल को प्रधानमंत्री मोदी से उनकी नजदीकियों के लिए जाना जाता है. मई 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पूर्व ठुकराल पीएम मोदी के प्रचार अभियान का हिस्सा भी थे. टाइम मैगजीन द्वारा कुछ अनाम "भूतपूर्व फेसबुक कर्मियों" को उद्धृत करते हुए कहा गया है कि "2017 में ठुकराल को फेसबुक में जगह मिलने का प्रमुख कारण सत्ता में बैठी पार्टी से उनकी करीबी थी."

फेसबुक इंडिया ने उनके पिछले संबंधों को स्वीकार करते हुए टाइम को बयान दिया था कि "हम इससे अवगत हैं कि पूर्व में हमारे कुछ कर्मचारियों ने भारत में और दुनिया में दूसरी जगहों पर भी कई तरह के अभियानों का समर्थन किया है."

वर्तमान प्रधानमंत्री की मुखर समर्थक मधु कीश्वर ने भी अपनी किताब 'मोदी मुस्लिम्स एंड मीडिया', में इस बात का जिक्र किया है कि प्रधानमंत्री मोदी से उनकी मुलाकात ठुकराल ने ही 2013 में गुजरात के भरूच में एक रैली के दौरान कराई थी.

मोदी और बीजेपी के लिए ओपालिना का अभियान

ऑनलाइन सबूत इस बात की ओर इशारा करते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान ओपालिना ने सोशल मीडिया पर मोदी की उपस्थिति और बीजेपी के डिजिटल प्रचार अभियानों के लिए सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन्स तैयार किए थे.

इन रिपोर्टरों के हाथ एक ट्विटर बॉट लगा है- जो कि इंटरनेट पर मौजूद एक ऑटोनॉमस प्रोग्राम होता है और ऐसे नेटवर्क सिस्टम्स और यूजर्स से इंटरैक्ट कर सकता है- जिनके द्वारा मोदी के ट्विटर एकाउंट और फेसबुक "प्रोफाइल फोटो फ्रेम" से ट्वीट किया गया था, दोनों का ही इस्तेमाल 2019 के लोकसभा चुनावों से एक महीने पहले सोशल मीडिया पर बीजेपी के "मैं भी चौकीदार" प्रचार अभियान के लिए किया गया था.

ट्विटर बॉट और फेसबुक फोटो फ्रेम दोनों ही ओपालिना द्वारा तैयार किए गए थे.

(क) #मैं भी चौकीदार के लिए ट्विटर बॉट

2019 के आम चुनावों के दौरान राहुल गांधी और विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए एक नारा ईजाद किया- "चौकीदार चोर है."

इस सब से पहले पीएम मोदी ने ही खुद को भारत की धन-संपत्ति का चौकीदार या "संरक्षक" बता चुनाव प्रचार किया था. जाहिर तौर पर इससे उनका आशय यह था कि वह देश के इस खजाने को भ्रष्ट राजनेताओं और व्यापारियों की लूट से सुरक्षित रखेंगे. राहुल गांधी का यह नारा इस आरोप पर आधारित था कि मोदी सरकार ने फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित 36 लड़ाकू राफेल जेट्स के सौदे में अनिल अंबानी की अध्यक्षता वाले एक खास निजी कॉर्पोरेट समूह को फायदा पहुंचाया था.

मोदी के प्रचार अभियानों के प्रबंधकों ने कांग्रेस के नारे को "मैं भी चौकीदार" के जवाबी नारे से पलट दिया. एक चुनाव पूर्व सोशल मीडिया प्रचार अभियान के तौर पर मोदी और बीजेपी के समर्थकों को प्रोत्साहित किया गया कि वे इस नारे को हैशटैग के तौर पर पोस्ट करें -#मैंभीचौकीदार.

वो यूजर्स जिन्होंने इस हैशटैग को ट्वीट किया उन्हें मोदी के ट्विटर हैंडल @narendramodi से पर्सनलाइज्ड ट्वीट प्राप्त होने की पूरी संभावना थी.

इन रिपोर्टरों को ऐसे सबूत मिले हैं कि ओपालिना द्वारा डेवलप किए गए ट्विटर बॉट से ही ऐसी पर्सनलाइज्ड प्रतिक्रियाएं भेजी गई थीं.

यहां नीचे इसको प्रदर्शित करने वाले विभिन्न चरणों और मोदी के एकाउंट से प्रतिक्रिया स्वरूप ट्वीट्स के उदाहरण दिए गए हैं:

Tweet to user @SDFC_AB from @narendramodi: link | archive | screenshot.

Tweet to user @ProudHinduPS (handle used to be @Proud_Hindu_PS) from @narendramodi: link | archive | screenshot.

Tweet to user @VadicAyush (handle used to be @AyushTi14387767) from @narendramodi: link | archive | screenshot.

ये ट्वीट ट्विटर के सर्च फंक्शन के द्वारा ढूंढें नहीं जा सकते. उदाहरण के लिए "from:narendramodi #MainBhiChowkidar" सर्च करने पर सिर्फ यही एक ट्वीट दिखाई पड़ता है न कि दूसरे कोई भी प्रतिक्रिया स्वरूप किए गए ट्वीट. साथ ही अगर आप @narendramodi के replies timeline पर जाएंगे तो उसी ट्विटर एकाउंट से होने के बावजूद ये रिप्लाई ट्वीट वहां दिखाई नहीं पड़ेंगे.

इन रिप्लाई ट्वीट्स को देखकर यह पता लगता है कि ये ट्वीट "info 2020" नामक एक थर्ड पार्टी ट्विटर क्लाइंट को इस्तेमाल कर किए गए हैं.

गूगल की एडवांस सर्च तकनीक का इस्तेमाल करके हम @narendramodi के सभी ट्वीट्स को दोबारा हासिल कर सकते हैं जो इस थर्ड पार्टी क्लाइंट "info 2020" द्वारा ट्वीट किए गए थे. यहां देखें.

इन ट्वीट्स से यह साफ नहीं है कि "info 2020" थर्ड पार्टी ट्विटर क्लाइंट ओपालिना का ही एक प्रोडक्ट है. लेकिन इन पत्रकारों ने ऐसा भी पाया है कि ओपालिना टेक्नोलॉजीज से जुड़े ट्विटर एकाउंट्स अपने कई क्लाइंट्स के लिए इस जैसे ही विभिन्न हैशटैग अभियानों के संदर्भ में "info 2020" की टेस्टिंग कर रहे हैं. विभिन्न ट्विटर एकाउंट्स के संदर्भ में ऐसे टेस्ट्स ओपालिना द्वारा इस्तेमाल होते देखे गए हैं.

उदाहरण के लिए, ट्विटर हैंडल @OpalinaDemo2 (link | archive| screenshot) के प्रोफाइल पिक्चर में ओपालिना टेक्नोलॉजीज का लोगो है. इसके 34 ट्विटर फॉलोअर्स में ओपालिना के सह-संस्थापक गौरव शर्मा का निजी ट्विटर हैंडल @gaurav0403 और कंपनी से जुड़े अन्य एकाउंट्स हैं जिनमें @OpalinaHelp और @opalina_clients शामिल हैं (दोनों में ओपालिना टेक्नोलॉजीज का लोगो उनकी प्रोफाइल पिक्चर के रूप में भी है).

एक अन्य हैंडल, @imagehost01, में निम्नलिखित ब्यौरा है: "द रुट ऑफ ऑल अवसम स्टफ" - ओपालिना टेक्नोलॉजीज."

ये ट्विटर हैंडल विभिन्न हैशटैग अभियानों की कार्यक्षमता की टेस्टिंग में भी शामिल हैं.

इसी तरह की टेस्टिंग का एक दूसरा उदाहरण यह दर्शाता है कि ट्विटर क्लाइंट "info 2020" एक ओपालिना प्रोड्क्ट का हिस्सा है जिसका उपयोग विभिन्न ग्राहकों हेतु हैशटैग की स्वचालित ट्वीट प्रतिक्रियाओं को लागू करने के लिए किया जाता है. इस उदाहरण में, अमेज़ॉन का एलेक्सा ब्रांड ग्राहक है. जिसके द्वारा "info 2020" ट्विटर क्लाइंट का इस्तेमाल करके हैशटैग अभियान के लिए प्रतिक्रिया ट्वीट चलाए गए थे.

इन रिपोर्टरों ने इस बात के सबूत भी देखे कि ओपालिना के टेस्टिंग हैंडल ने एलेक्सा के आधिकारिक लॉन्च से पहले एलेक्सा अभियान की टेस्टिंग की थी और उन टेस्टिंग्स को भी उसी "info 2020" ट्विटर क्लाइंट द्वारा ही करवाया गया था.

यह अभियान 3 नवंबर, 2020 को शुरू हुआ था. जब यह अभियान सक्रिय था तो हैशटैग #AlexaHappyBirthday का इस्तेमाल कर ट्वीट करने वाले किसी भी उपयोगकर्ता को एलेक्सा ट्विटर अकाउंट @Alexa99 से एक स्वचालित ट्वीट प्राप्त होता था. इन स्वचालित प्रतिक्रियाओं के उदाहरण नीचे देखे जा सकते हैं.

यह गौर करने वाली बात है कि @Alexa99 एकाउंट से इन स्वचालित प्रतिक्रियाओं को भी उसी “info 2020” ट्विटर क्लाइंट का उपयोग करके ट्वीट किया गया है.

@OpalinaDemo2 जैसे टेस्टिंग हैंडल्स ने लॉन्च से चंद दिनों पहले ही 31 अक्टूबर, 2020 से ही अभियान की टेस्टिंग करनी शुरू कर दी थी.

@OpalinaDemo2 ने यह ट्वीट भी किया था: "यह एक प्रचारित सीटीए ट्वीट है, कृपया इस ट्वीट का उत्तर #123ComplexHashtag456 और एक इमोजी के साथ दें."

सीटीए उपयोगकर्ताओं को ग्राहकों में बदलने के लिए कदम उठाने का आवाह्न कर्ता होने के साथ ही वांछित कार्रवाई पर ध्यान केंद्रित करने हेतु सोशल मीडिया दर्शकों को लुभाने का एक तरीका है.

ओपालिना टेस्टिंग हैंडल के सेट में विभिन्न हैंडल हैशटैग और इमोजी व टेक्स्ट के क्रम में परिवर्तन के साथ प्रतिक्रिया करते हैं. यहां ओपालिना टेस्टिंग हैंडल @imagehost01 की एक ऐसी ही प्रतिक्रिया उदाहरण के लिए दी जा रही है:

यहां भी एक गौर करने वाली बात यह है कि @OpalinaDemo2 स्वचालित एलेक्सा जन्मदिन प्रतिक्रियाओं में से किसी एक के द्वारा ही प्रतिक्रिया करता है. और स्वचालित प्रतिक्रिया उसी ट्विटर क्लाइंट, “info 2020” से है. यहां साफ है कि टेस्टिंग के इस चरण में @Alexa99 के बजाय @OpalinaDemo2 से ही प्रतिक्रियाएं आ रही थी. प्रतिक्रिया के लिए ट्रिगर हैशटैग #AlexaHappyBirthday की बजाय #123ComplexHashtag456 है.

अभियान लॉन्च होने के बाद भी यह टेस्टिंग हैशटैग कुछ वक्त तक काम कर रहा था.

नरेंद्र मोदी का #MainBhiChowkidar अभियान भी ओपालिना द्वारा डेवलप किए गए उसी ट्विटर क्लाइंट प्रोडक्ट का इस्तेमाल करके लागू किया गया था.

ख) #MainBhiChowkidar के लिए फेसबुक फोटो फ्रेम

इसी तरह ओपलिना द्वारा "मैं भी चौकीदार" अभियान के लिए एक फेसबुक प्रोफाइल पिक्चर फ्रेम डेवलप किया किया गया था.

24 मार्च, 2019 को सुबह 10:17 बजे तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के फेसबुक पेज द्वारा भाजपा के लिए #MainBhiChowkidar अभियान का अनावरण किया गया. शाह के पेज का प्रोफाइल पिक्चर बदल दिया गया - इसने खास तौर से प्रोफाइल फोटो में एक "फ्रेम" को जोड़ दिया. जहां सबसे नीचे दायीं ओर प्रधानमंत्री मोदी की प्रोफाइल पिक्चर में एक फ्रेम जोड़ा गया जिसने मोदी की तस्वीर को और उभार दिया. और इसके साथ ही नीचे बायीं ओर हिंदी में "मैं भी चौकीदार" लिखा हुआ था.

ऐसा लगता है कि यह फेसबुक फोटो फ्रेम ओपलिना द्वारा बनाया गया है. अमित शाह द्वारा इस पेज के लॉन्च से पहले ओपालिना के कर्मचारियों को इसकी टेस्टिंग करते देखा जा सकता है.

"जॉर्ज जॉर्ज" नामक एक फेसबुक अकाउंट जिसके बारे में ऐसा प्रतीत होता है कि यह ओपलिना कर्मचारियों द्वारा ही चलाया जाता है, के द्वारा प्रोडक्ट के लाइव होने से लगभग दो घंटे पहले तक यानी अंतिम वक्त तक फ्रेम का परीक्षण किया गया. इस एकाउंट ने भी उसी फ्रेम के साथ उसी दिन सुबह 8:43 बजे एक तस्वीर पोस्ट की जिस दिन अमित शाह द्वारा यह फ्रेम पोस्ट किया गया था.

लेकिन हमें यह कैसे पता है कि "जॉर्ज जॉर्ज" असल में एक ओपालिना एकाउंट ही है?

इस एकाउंट में तीन फेसबुक फ्रेंड्स हैं - "सतीश ओपलिना", "डीएसएम सिवा", और "जेया जेजे".

डीएसएम सिवा ने अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर ओपालिना टेक्नोलॉजीज को अपने नियोक्ता के रूप में दर्शाया है. जेया जेजे भी अपने नियोक्ता को अपने लिंक्डइन प्रोफाइल पर ओपालिना टेक्नोलॉजीज के रूप में दर्शाती हैं. सतीश ओपालिना सिर्फ दो फेसबुक फ्रेंड्स के साथ एक अन्य टेस्टिंग एकाउंट मात्र ही प्रतीत होता है. सतीश ओपालिना के ये दो फेसबुक फ्रेंड्स थे- सतीश चंद्रा जो कि ओपालिना के निदेशकों में से एक थे और दूसरे थे "जॉर्ज जॉर्ज" एकाउंट.

लगभग एक ही समय में "जॉर्ज जॉर्ज" ने #MainBhiChowkidar फ्रेम का उपयोग करके अपना प्रोफाइल पिक्चर अपडेट किया, डीएसएम ने भी उसी वक्त फ्रेम के साथ अपना प्रोफाइल पिक्चर अपडेट किया. डीएसएम सिवा ने भी उसी दिन सुबह 8:50 पर अमित शाह की पोस्ट से 83 मिनट पहले फोटो पोस्ट की थी.

ग) मोदी जी के फेसबुक पेज पर टिप्पणियों को मॉडरेट करने और पीएमओ द्वारा प्राप्त पत्रों का प्रबंधन के लिए ओपालिना प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल किया गया था

विमल कुमार नाम के एक ओपालिना कर्मी ने अपने लिंक्डइन प्रोफाइल पर पहले से ही अपलोडेड रिज़्यूमे में उन्होंने स्वयं के द्वारा अपनी कंपनी के लिए निष्पादित परियोजनाओं का ब्यौरा दिया है. कुमार का वह बायोडाटा जो अब उनके लिंक्डइन प्रोफाइल पर दिखाई नहीं पड़ता इन रिपोर्टर्स द्वारा पुनर्प्राप्त और संग्रहीत किया गया था जबकि उसे प्रोफाइल पर भी देखा जा सकता था.

कुमार से संपर्क करने पर उन्होंने यह दावा किया कि इन परियोजनाओं को निष्पादित नहीं किया गया है और उनका उल्लेख अपने लिंक्डइन प्रोफाइल में करना सिर्फ एक गलती रही होगी.

कुमार के रिज़्यूमे में उन दो परियोजनाओं का वर्णन है जिन पर उन्होंने काम किया है.

पहला "एनएम कमेंटस मॉडरेशन पैनल" है. इसे नरेंद्र मोदी के फेसबुक पेज पर यूजर्स से प्राप्त टिप्पणियों के मॉडरेशन के लिए एक पैनल के तौर पर दर्शाया गया था.

विमल कुमार के रिज़्यूमे में दर्शायी गई दूसरी परियोजना प्रधानमंत्री कार्यालय या पीएमओ हेतु थी जो कि भारत सरकार की एक संस्था है. "एनएम लेटर्स" नाम की इस परियोजना को पीएमओ द्वारा प्राप्त पत्रों के प्रबंधन हेतु इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री प्रबंधन प्रणाली के रूप में दर्शाया गया है.

इन रिपोर्टरों ने कुमार से फोन पर बात की और उनसे पूछा कि क्या उनके नियोक्ता (ओपालिना) ने उन्हें लिंक्डइन से अपना बायोडाटा हटाने के लिए कहा था. उन्होंने इसका जवाब दिया, नहीं, उन्हें ऐसा करने के लिए नहीं कहा गया था.

हमने उनसे पूछा कि क्या उनके द्वारा वास्तव में उन परियोजनाओं पर काम किया गया है जिन्हें उन्होंने अपने रेज़्यूमे में दर्शाया था. उन्होंने इसके जवाब में भी नहीं ही कहा.

तो फिर उन्होंने अपने रेज़्यूमे में उन परियोजनाओं को दर्शाया ही क्यों था? इस पर विमल कुमार ने जवाब दिया: "यह गलती से हुआ होगा."

हालांकि ये रिपोर्टर्स स्वतंत्र रूप से कुमार के उन दावों की पुष्टि नहीं कर पाए जो कि पूर्व में उनके लिंक्डइन प्रोफाइल में उपलब्ध रेज़्यूमे में दर्शायी गई थी.

घ) कपड़ा मंत्रालय के 'कॉटन इज कूल' अभियान के लिए ट्विटर बॉट

ठुकराल के फेसबुक से जुड़ने से पहले ही ओपालिना ने 16 मई, 2017 को भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय के आधिकारिक ट्विटर हैंडल और केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी के लिए एक ट्विटर हैशटैग अभियान डेवलप किया था.

हैशटैग #CottonIsCool अगले कुछ दिनों तक कई हाई-प्रोफाइल ट्विटर यूजर्स द्वारा इस्तेमाल किया गया- जिसमें भाजपा नेता, पत्रकारों की सत्यापित प्रोफाइल्स, इंफ्लुएंसर्स और सार्वजनिक हस्तियां शामिल हैं. इसके अलावा दूसरे बहुत से ट्विटर यूजर्स भी शामिल थे.

पूर्व कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने 17 मई, 2017 को इस अभियान की सफलता का जश्न भी मनाया था.

ओपालिना को द ट्रू पिक्चर नाम की एक वेबसाइट से भी जोड़ा जा सकता है जो मोदी जी का समर्थन करती है. इस वेबसाइट पर दुष्प्रचार करने का आरोप भी है. वेब सर्च से पता चलता है कि वेबसाइट पर अपलोड किए गए लेख www.opalina.in स्टेजिंग प्लेटफॉर्म पर भी होस्ट किए जाते हैं. यह वेबसाइट दिल्ली स्थित ब्लूक्राफ्ट डिजिटल सर्विसेज द्वारा चलाई जाती है.

फेसबुक में ठुकराल के कार्यकाल से पहले ओपालिना ने दूसरी सरकारी परियोजनाओं पर भी काम किया था.

इससे कुछ महीने पहले ही सितंबर 2016 में उत्तर प्रदेश पुलिस और ट्विटर ने एक नई तरह की साझेदारी का अनावरण किया: ट्विटर सेवा नामक एक मंच का. इस मंच के माध्यम से उत्तर प्रदेश पुलिस 200 से अधिक एकाउंट्स के माध्यम से जनता से प्राप्त इनपुट का प्रबंधन कर सकती है और ट्विटर के माध्यम से सूचना के प्रसार का समन्वय कर सकती है.

जैसा कि ट्विटर इंडिया के तत्कालीन अधिकारी राहिल खुर्शीद ने एक ब्लॉगपोस्ट में बताया था कि ट्विटर के लिए ओपालिना द्वारा ही इस मंच को तैयार किया गया था.

खुर्शीद फिलहाल अमेरिका में हैं. वो हमसे कैमरे पर बातचीत करने के लिए तैयार हो गए. उन्होंने हमें बताया कि वो शिवनाथ ठुकराल को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जानते हैं जो "ओपलिना के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ था और उसके सलाहकार के तौर पर काम करता था."

ओपालिना पर उन्होंने कहा, "ट्विटर के पास अपने पार्टनर्स हैं. हमारे पास भागीदारों की एक पूरी प्रणाली थी जिसमें हमारी क्षमता को बढ़ाने के लिए बड़ी संख्या में कंपनियां शामिल थीं. ओपालिना इन्हीं कंपनियों में से एक थी."

ओपालिना के काम की तारीफ करते हुए उन्होंने आगे कहा, "ट्विटर के लिए यह एक महत्वपूर्ण कंपनी थी, हम उनकी सेवाओं से बहुत खुश थे; वे समय पर काम पूरा कर लेते. इसके साथ ही वो परिणाम उन्मुख और कुशल थे."

खुर्शीद ने हमें बताया कि भारत के सबसे बड़ी आबादी वाले सूबे के पुलिस विभाग को ट्विटर सेवा की पेशकश की गई थी और इसमें कोई वित्तीय लेनदेन शामिल न होने के कारण कोई निविदा प्रक्रिया भी नहीं थी. इसके बाद इसी तरह के कई प्रोडक्ट्स को भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के लिए ओपालिना द्वारा डेवलप किया गया जिसमें रेलवे, विदेश मंत्रालय और कपड़ा मंत्रालय शामिल थे.

हालांकि सोशल मीडिया पर आधारित इन कस्टमर रिलेशन मैनेजमेंट टूल्स के लिए इनमें से किसी भी सरकारी मंत्रालय द्वारा कोई निविदा जारी नहीं की गई है. इन प्लेटफॉर्म्स के डेवलप होने और बाद में इन्हें रद्द करने से पहले कई निविदाएं जारी की गई थीं. इन निविदाओं ने डिजिटल सेवाओं के लिए बोलियां आमंत्रित की थीं. अमूमन इनका आधार एक जैसा ही था. इनमें विभिन्न मंत्रालयों और MyGov.in वेबसाइट के लिए सोशल मीडिया एनालिटिक्स सॉल्यूशंस को लागू करने हेतु भी कई निविदाएं शामिल हैं.

ओपालिना ने जून 2017 के दूसरे सप्ताह में अपनी वेबसाइट को अपडेट करते हुए अपने बिजनेस पोर्टफोलियो में "बिग डेटा एनालिटिक्स" और भारत सरकार के साथ ट्विटर को भी अपने ग्राहकों की सूची में जोड़ा.

ओपालिना के वित्त में भी सुधार होना शुरू हो गया था. वित्त वर्ष 2013-14 (31 मार्च को खत्म होने वाले वित्त वर्ष में) में इसका कुल राजस्व लगभग 19 लाख रुपए था जो कि 2017-18 में बढ़कर 7.67 करोड़ रुपए और 2020-21 में बढ़कर 10.25 करोड़ रुपए हो गया. (कंपनी का पिछले साल का वित्तीय डाटा उपलब्ध है).

इन रिपोर्टरों ने 18 अप्रैल को ठुकराल, कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल, कपड़ा सचिव उपेंद्र प्रसाद सिंह, पूर्व कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी और ओपालिना के सह-संस्थापक गौरव शर्मा और केन फिलिप को एक प्रश्नावली भेजी थी. पीएमओ में संचार और सूचना प्रौद्योगिकी के लिए विशेष सेवा अधिकारी हिरेन जोशी और मेटा में भारत की संचार निदेशक बिपाशा चक्रवर्ती को भी यह प्रश्नावली भेजी गई थी.

अब तक सिर्फ ओपालिना के गौरव शर्मा ने ही जवाब दिया है. यहां उनका उत्तर दोबारा शब्दशः प्रस्तुत किया जा रहा है:

"आप हमारे सामने जिस तरह के सवाल रख रहे हैं वह धोखेबाजी और गोल-गोल घूमाकर पूछताछ करने के अलावा और कुछ नहीं हैं, जिससे कि हमारी कंपनी को आपके गलत उद्देश्यों की पूर्ति हेतु गोपनीय और मालिकाना जानकारी साझा करनी पड़े. हम अपनी मालिकाना जानकारी की रक्षा के लिए कानून के अनुसार हर संभव कदम उठाने के अपने अधिकार को तो सुरक्षित रखते ही हैं और इसके साथ ही हम अपनी कंपनी के स्वामित्व वाली किसी भी मालिकाना जानकारी को चुराने के किसी भी प्रयास/उकसावे के लिए आपराधिक शिकायत दर्ज करने में संकोच नहीं करेंगे.”

हम दूसरे लोगों के जवाबों का इंतजार कर रहे है. उनके जवाब आते ही उन्हें इस रिपोर्ट में जोड़ दिया जाएगा.

इस रिपोर्ट के सभी लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

Also Read: यूपीएससी के नए चेयरमैन 'छोटे मोदी’ की बड़ी कहानी

Also Read: लोकसभा में मोदी सरकार ने सीवर की सफाई के दौरान मरे सफाई कर्मियों के दिए गलत आंकड़े