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दिल्ली में सीएनजी की कीमतें: ‘थाली में दाल होती है तो सब्जी नहीं, सब्जी होती है तो दाल नहीं’

सीएनजी की लगातार बढ़ती कीमतों को लेकर 18 अप्रैल से दिल्ली में ऑटो और कैब चालकों ने दो दिन के बंद की घोषणा की थी. इसके चलते कई जगहों पर प्रदर्शन भी हुए. कई ऑटो चालकों ने दोपहर तक गाड़ी नहीं चलाई. हालांकि पहले दिन ही शाम होते-होते प्रदर्शन खत्म कर दिया गया. प्रदर्शन कर रहे संगठनों ने दावा किया कि लोगों की परेशानियों को ध्यान में रखते हुए ऐसा फैसला लिया गया.

कासगंज के रहने वाले 58 वर्षीय राकेश बीते 40 साल से दिल्ली में ऑटो चलाते हैं. करावल नगर में रहने वाले राकेश से हमारी मुलाकात दक्षिणी दिल्ली के अधचिनी गांव में एक चाय की दुकान पर हुई.

सीएनजी की बढ़ती कीमतों के सवाल पर वे महंगाई और सरकार को बुरा भला कहने लगते हैं. हालांकि सोमवार को हुए प्रदर्शन में वे शामिल नहीं हुए थे. राकेश कहते हैं, ‘‘प्रदर्शन में शामिल होता तो रात घर में खाने के लिए क्या बनता. कोरोना काल में तो 10 रुपए का दही खरीदने की क्षमता नहीं बची थी. कमाएंगे नहीं तो खाएंगे कैसे?’’

राकेश का मनना है कि दिल्ली की आप सरकार ही बढ़ती महंगाई की वजह है. उन्हें ही नहीं उनके आसपास के तमाम ऑटो चालकों को ऐसा लगता है. राकेश के बगल में बैठे जौनपुर के गिल्लू राम निषाद कहते हैं, ‘‘सबकुछ मुफ्त कर दिया है और हमसे वसूल रहे हैं. 200 यूनिट बिजली का एक-एक रुपए ही लेते और अगर महिलाओं से 10 रुपए की जगह दो रुपए ही किराए के रूप में लेते तो हमसे तो नहीं वसूलते.’’ निषाद 1985 से दिल्ली में ऑटो चला रहे हैं.

सीएनजी की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही हैं. राकेश बताते हैं, ‘‘पहले हम सुबह-सुबह 120 से 130 का गैस भरवाते थे तो दिनभर ऑटो चलता था. तब गैस की कीमत 42 रुपए थी. कुछ ही दिनों में कीमत 70 पार कर गई है. जिसके बाद अब 250 रुपए तक का गैस भराना पड़ता है. सीधे 100 रुपए से ज्यादा का नुकसान हो रहा है. सवारी मिल नहीं रही हैं.’’

राकेश हो या गिल्लू राम सीएनजी की बढ़ती कीमतों को लेकर इनकी नाराजगी केंद्र की मोदी सरकार के बजाय दिल्ली सरकार से है. इसके पीछे खास कारण है, वह है इस प्रदर्शन में सक्रियता से हिस्सा ले रहा दिल्ली ऑटो रिक्शा संघ. यह आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबंधित है. इसके महासचिव हैं, राजेंद्र सोनी. तमाम मीडिया संस्थानों में राजेंद्र सोनी का बयान प्रमुखता से प्रकाशित होता है. जिसमें वे केंद्र सरकार की बजाय ‘आप’ सरकार से सब्सिडी कम करने की मांग कर रहे हैं. इनके आयोजन में निशाने पर आप सरकार होती है.

दिल्ली में ऑटो रिक्शा पर आरएसएस का मुखपत्र कहे जाने वाले पाञ्चजन्य का विज्ञापन लगा नजर आता है. ऑटो चालकों ने यह विज्ञापन सोनी के कहने पर ही लगवाया है. इसके बदले उन्हें एक चादर और दो तकिये का खोल दिया गया है. यह बात हमें कई ऑटो वालों ने बताई. सोनी यह बात स्वीकार करते हुए कहते हैं कि संगठन की तरह से मेरे पास आया तो मैंने लगवा दिया. आपको भी लगवाना हो तो बताए. लगवा देंगे.’’

आप पर निशाना, केंद्र पर चुप्पी

राजेंद्र सोनी लगातार दिल्ली सरकार से ही सब्सिडी देने की मांग कर रहे हैं. आठ अप्रैल को अमर उजाला में प्रकाशित खबर में सोनी कहते हैं, ‘‘सीएनजी के दाम में रोज हो रही बढ़ोतरी के कारण घर चलाना मुश्किल हो गया है.’’

इस खबर में बताया गया है कि एक पत्र दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लिखा गया है. इस पत्र में सीएनजी पर प्रति किलो 35 रुपए की सब्सिडी देने की मांग की गई थी.

ऑटो रिक्शा चालकों के साथ सोनी ने 11 अप्रैल को भी दिल्ली सचिवालय पर प्रदर्शन किया था. इसके बाद 14 अप्रैल को एबीपी न्यूज़ से बात की. इसमें सोनी वहीं बातें कहते हैं जो राकेश और गिल्लू ने हमसे की थीं.

सोनी कहते हैं, ‘‘जब आपने डीटीसी की बसें, महिलाओं के लिए फ्री कर दी. 300 यूनिट बिजली फ्री, शराब फ्री कर दी, ई-रिक्शा वालों को 30 हजार रुपए की सब्सिडी दी. फिर इन ऑटो वालों ने क्या बिगाड़ा है. हमें 35 रुपए की सब्सिडी दे दो. अभी हम किराया बढ़ाने की मांग नहीं करेंगे.’’

इस बातचीत में सोनी एक-दो जगह केंद्र सरकार पर भी नाराजगी जाहिर करते हैं लेकिन मांग राज्य सरकार से ही होती है. वे कहते हैं, ‘‘जब अरविंद केजरीवाल की 49 दिन की सरकार आई थी तब सीएनजी की कीमत 51 रुपए थी तब इन्होंने फटाफट 15 रुपए की कमी कर दी थी. अब क्या बात हो गई. अब क्यों कीमतों में कमी नहीं कर रहे हैं. यह राज्य सरकार का काम होता है. केंद्र सरकार बढ़ा रही है, आप सीएनजी सस्ती कर दो. हम केंद्र सरकार का भी इस हड़ताल के अंदर विरोध कर रहे हैं.’’

दिल्ली में सीएनजी 71 रुपए 61 पैसे प्रति किलो है. दिल्ली में सरकार 2020 से सीएनजी पर कोई वैट नहीं लेती है.

न्यूज़लॉन्ड्री ने जब सोनी से इसको लेकर सवाल किया तो वे कहते हैं, ‘‘दिल्ली सरकार हर चीज पर सब्सिडी दे रही है. तो ऑटो वालों से क्या दुश्मनी है. जबकि उनकी सरकार बनाने में तो ऑटो वालों की बड़ी भूमिका थी. हम किराया बढ़ाने की मांग नहीं कर रहे हैं क्योंकि बसों में फ्री करने से वैसे भी सवारियों की कमी हो गई. कोरोना के कारण लोगों की आमदनी में काफी कमी आई है ऐसे में किराया बढ़ाने पर उनपर और दबाव बढ़ेगा और लोग ऑटो में बैठना बंद कर देंगे.’’

क्या आप केंद्र सरकार से भी कोई डिमांड कर रहे हैं. इसपर सोनी कहते हैं, ‘‘हमारे लिए कोई सरकार सगी नहीं है. हम दोनों का विरोध कर रहे हैं. आरएसएस से हमारा संगठन जुड़ा है लेकिन कभी आरएसएस ने किसी सरकार का विरोध करने से नहीं रोका. हमारे लिए ऑटो चालकों का हित सर्वोपरि है. आज दोनों ही सरकारों की गलत नीतियों के कारण ऑटो रिक्शा वालों का बुरा हाल है. केंद्र सरकार के प्रतिनधियों से जल्द ही मुलाकात कर कीमतों में कमी करने की मांग करेंगे. वहीं कई बार मिलने के लिए समय मांगने पर भी दिल्ली सरकार का कोई नुमांइदा हमसे नहीं मिल रहा है. अगर ऐसा ही रहा तो आंदोलन और तेज होगा. दिल्ली सरकार सब्सिडी दे हमारी बस यही मांग है.’’

बीते दिनों दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने बताया था कि ऑटो-टैक्सी चालकों की दिक्कतों और मांगों पर विचार करने के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया गया है. इसकी सिफारिशों के मुताबिक सरकार कदम उठाएगी.

हालांकि विशेषज्ञों की माने तो सरकार पेट्रोलियम उत्पादों पर इतनी सब्सिडी नहीं देगी. वो भी तब जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उतार चढ़ाव का दौर जारी है. कोरोना के दौर में अर्थव्यस्था कमजोर हुई है. तेलों की कीमत तय करने में अंतरराष्ट्रीय बाजार की भूमिका होती है. अगर वहां कीमतों में वृद्धि हुई तो सरकार को महंगी खरीदारी करनी पड़ेगी. सरकारी आमदनी का बड़ा हिस्सा तंबाकू और पेट्रोलियम पदार्थ से आता है. ऐसे में सरकार उसपर सब्सिडी देने से बचेगी.

विकास रुक गया

सरकार ने कमेटी का गठन कर दिया है. अब कब तक कमेटी अपनी रिपोर्ट देगी और ऑटो चालकों को राहत मिलेगी कह नहीं सकते है. लेकिन लगातार बढ़ती कीमतों की वजह से ऑटो चालकों की जिंदगी बदहाल हो गई है.

बुजुर्ग राकेश, गिल्लू के शरीर की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं, ‘‘आप इनका शरीर देखिए. इनके ही उम्र के किसी अमीर आदमी को देखिए. अंतर साफ दिख जाएगा. महंगाई बढ़ने का नतीजा ये हुआ कि अब दाल बनती है तो सब्जी नहीं और सब्जी बनती है तो दाल नहीं. सरकार राशन देती है लेकिन उसके साथ और भी कुछ लगता है. सरसों का तेल हो या सब्जी, हर रोज कीमत बढ़ रही है.’’

सरकार द्वारा मुफ्त राशन की बात सुन गिल्लू कहते हैं कि राशन महीने का 1200 से 1500 रुपए का मिलता है, और सीएनजी की कीमत दोगुनी कर दी. अब हर महीने सीएनजी का खर्च करीब तीन हजार बढ़ गया है. सिर्फ सीएनजी की कीमत में ही तीन हजार हमसे ले लिए. तो मुफ्त क्या हुआ. जो हमसे ले रहे हैं उसकी मार्केटिंग नहीं करते और जो मुफ्त में दे रहे हैं उसका हल्ला मचा देते हैं.’’

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