Report
लाभार्थी बने वोटर: यूपी में भारत के दो सबसे गरीब जिलों में कैसे हुई वोटिंग
20 करोड़ से अधिक विशाल जनसंख्या वाले उत्तर प्रदेश में इस बार चुनाव परिणामों ने हार-जीत के विश्लेषण का एक नया कोण पैदा कर दिया है. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के परिणामों ने 90 के दशक में चलने वाली खैरात संस्कृति की बहस को भी हवा दे दी है. जनता के बीच वोटर्स को तात्कालिक लाभ पहुंचाने वाली और उनके मत को प्रभावित करने की क्षमता रखने वाली छोटी-बड़ी एक दर्जन योजनाओं ने देश में लाभार्थियों का एक ऐसा बड़ा वर्ग तैयार किया है जो दूरगामी मुद्दे को दरकिनार करने को तैयार हैं.
उत्तर प्रदेश में लगभग 15 करोड़ वोटर हैं, माना जा रहा है कि इनमें से 13 करोड़ सरकार की किसी न किसी कल्याणकारी योजना के लाभार्थी हैं. और इसी उत्तर प्रदेश में ही भारत के दो सबसे ज्यादा गरीब जिले हैं जहां बीजेपी ने कुल 9 विधानसभा सीटों में 6 सीटों पर जीत दर्ज की है. नीति आयोग के इन्हीं दो जिलों के वोटर्स से समझने की कोशिश की है कि योजनाओं के लाभ ने उनके वोट को कैसे प्रभावित किया-
नीति आयोग ने नवंबर, 2021 में अपने पहले बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) जारी किया था. इस सूचकांक में श्रावस्ती को देश का सबसे बहुआयामी निर्धन और फिर दूसरे स्थान पर बहराइच को रखा था. वर्ष 1997 में श्रावस्ती बहराइच जिले से ही अलग हुआ था. स्वास्थ्य, जीवन स्तर और शिक्षा के मामले में दोनों जिलों का स्तर बेहद खराब है, जो कि बहुआयमी गरीबी सूचकांक से ही स्पष्ट होता है.
करीब 14 लाख की आबादी वाले श्रावस्ती जिले में दो विधानसभा सीटे हैं. जिले में दो विधानसभा सीटों में श्रावस्ती सीट पर बीजेपी के राम फेरन पांडेय 98448 वोट हासिल कर 1759 मतों से विजयी हुए हैं, जबकि भिन्गा सीट पर सपा की जीत हुई है.
इस जीत में लाभार्थियों का कितना महत्व है. इसे हमने गांव और परिवार के स्तर पर समझने की कोशिश की.
श्रावस्ती के इकौना ब्लॉक में बेलकर गांव के प्रधान अरविंद शुक्ला महात्मा बताते हैं, "उनके 2011 की जनगणना के मुताबिक उनके गांव में कुल 1974 परिवार हैं. वहीं कुल वोटर्स की संख्या 1400 हैं. इस बार विधानसभा चुनाव में उनके गांव के लिए दो बूथ थे. इनमें एक बूथ पर 64 फीसदी और दूसरे बूथ पर 56 फीसदी मतदान हुआ. जिसमें सर्वाधिक मत बीजेपी को रहे. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह राशन वितरण, उज्जवला योजना, किसान सम्मान निधि रही."
अरविंद बताते हैं कि उनके गांव में करीब 450 लोगों के पास दर्ज भूमि है. इनमें से 400 से अधिक लोगों को किसान सम्मान निधि मिला है. इसलिए ग्रामीणों का बीजेपी की तरफ झुकाव रहा.
वहीं परिवार स्तर पर योजनाओं के लाभ को समझने की कोशिश की गई. श्रावस्ती में पटना खरगौरा के निवासी 65 वर्षीय बाबू राम पांडेय बताते हैं कि उनका परिवार कर्जमाफी के समय कांग्रेस का वोटर था, फिर बसपा का और बाद में सपा का. हालांकि जब किसान सम्मान निधि के तहत हर 4 महीने पर 2 हजार रुपए और प्रत्येक महीने 500 रुपए का वृद्धा निराश्रित पेंशन मिल रहा है. वहीं उनके 42 वर्ष बेटे कैलाश पांडेय को प्रधानमंत्री आवास ग्रामीण योजना के तहत 1.10 लाख रुपए मिला. साथ ही उनके बच्चे को यूनिफॉर्म के लिए पैसा और लॉकडाउन के समय मिड-डे-मील का 1000-1200 रुपए दो बार मिला. इसके अलावा बाबू राम पांडेय की 40 वर्ष बहु रीता पांडेय को जननी सुरक्षा योजना के तहत 1500 रुपए भी मिले.
पूरा परिवार प्रधानमंत्री ग्रामीण कल्याण अन्न योजना के तहत प्रति यूनिट पांच किलो मुफ्त राशन भी पा रहा है. इनमें 3 किलो गेहूं और 2 किलो चावल शामिल है. इसके अलावा एक किलो नमक और एक लीटर रिफाइंड ऑयल और एक किलो भुना चना भी परिवार के प्रत्येक व्यक्ति को दिया जा रहा है. इस योजना को चुनाव से पहले मार्च, 2022 तक के लिए विस्तारित कर दिया गया था.
ठीक इसी तरह परिवार में बाबू राम पांडेय के 35 वर्ष बेटे दौलतराम पांडेय को स्वच्छ भारत मिशन ( ग्रामीण ) के तहत शौचालय निर्माण के लिए 12 हजार रुपए भी मिले थे.
परिवार के हर एक सदस्य को किसी न किसी तरह से योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा रहा है. लाभार्थियों की सूची में यह परिवार एक सैंपल है. दरअसल राशन वितरण में 80 फीसदी परिवार शामिल हैं. ऐसे में जिले के 80 फीसदी लोगों तक मुफ्त राशन की डिलीवरी करके उन्हें लक्ष्य किया जा रहा है.
श्रावस्ती के पटना गांव में काशीराम जाटव बसपा के पांरपरिक वोटर रहे लेकिन किसान सम्मान निधि के कारण उन्होंने अपना मत बीजेपी को डाला. वह बताते हैं कि आवास इसलिए नहीं मिला क्योंकि वह पात्र नहीं हैं.
जैसा नीति आयोग की रिपोर्ट में जिक्र है कि देश में सबसे ज्यादा गरीब जिलों में शुमार श्रावस्ती का नाम सबसे ऊपर है, वैसे ही यहां बदहाल अस्पताल, शिक्षा और लोगों का जीवन स्तर बेहद ही न्यूनतम पर बना हुआ है.
योजना ने बहराइच के लिए भी बीजेपी के हक में फैसला किया. धार्मिक विषय के अलावा 3,487,731 की जनसंख्या वाले बहराइच में कुल 7 सीटों में 6 सीट बीजेपी के खाते में गई हैं. यहां भी लाभार्थियों की बड़ी संख्या है.
बहराइच में सात विधानसभा सीटें हैं. इनमें बहराइच सदर, बलहा, नानपारा, मटेरा, महसी, पयागपुर, कैसरगंज शामिल हैं.
बीजेपी ने मटेरा- कैसरगंज छोड़कर सभी सीटों पर जीत दर्ज की है. मटेरा में बीजेपी समर्थित प्रत्याशी की जीत हुई है. ऐसे ही महसी क्षेत्र में जहां बीजेपी की जीत दर्ज हुई वहां के बारे में मुकेरिया गांव के एक वोटर 25 वर्षीय राजेंद्र पाल बताते हैं, "वह पहले कांग्रेस फिर सपा के वोटर थे लेकिन लाभ पहुंचाने वाली योजनाओं ने उन्हें कमल का वोटर बना दिया है. उनका पूरा परिवार अब कमल को वोट करता है क्योंकि मनरेगा का रोजगार और किसान सम्मान निधि दोनों फायदा पहुंचा रही हैं."
वह बताते हैं कि ऐसा वह सिर्फ अपने लिए नहीं कह रहे बल्कि उनके गांव में प्रत्येक परिवार में योजनाओं का लाभ पहुंच रहा है, जिसका नतीजा बीजेपी की जीत है.
वहीं, पयागपुर में भी बीजेपी के सुभाष त्रिपाठी ने सपा के प्रत्याशी को हराते हुए करीब 5 हजार मतों के फासले से दोबारा जीत दर्ज की है. पयागपुर में सुहेलवा गांव के वोटर मनोज कुमार गौतम पेशे से पेंटर हैं. वह बताते हैं, "उनके परिवार में छह सदस्य हैं लेकिन तीन लोगों को मुफ्त पांच किलो राशन दिया जा रहा है. हम पहले बसपा के समर्थक थे, लेकिन बसपा के कमजोर प्रत्याशी के कारण भाजपा के प्रत्याशी का समर्थन कर रहे थे."
उन्होंने बताया कि उन्होंने प्रत्याशी नहीं बल्कि भाजपा में मोदी-योगी के हाथों को मजबूत किया है.
गौतम ने आगे कहा, "वह सुहेलवा गांव में करीब 55 से 56 परिवार हैं और इनमें 300 से अधिक वोटर हैं. सभी ने पिछली बार भी और इस बार भी बीजेपी को ही समर्थन दिया है. बीजेपी के शासनकाल में शौचालय मिला और अब राशन मिल रहा है. योजनाओं में कमी जरूर है लेकिन हम भाजपा की ही सरकार चाहते थे."
बहराइच शहर में भी घसियारीपुरा मोहल्ले में कई मकान प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत डिलीवर किए गए. ऐसे ही एक लाभार्थी श्यामू और सुभाष निषाद ने इसका लाभ लिया. वह बताते हैं कि उनकी वजह से उनके घर का सपना पूरा हुआ, इसलिए बीजेपी को उन्होंने समर्थन किया है.
करोड़ों लाभार्थियों से वोट हासिल करने का यह तरीका अब बहस का नया विषय है और चुनावी विश्लेषण का नया कोण भी.
(साभार- डाउन टू अर्थ)
Also Read
-
‘They find our faces disturbing’: Acid attack survivor’s 16-year quest for justice and a home
-
From J&K statehood to BHU polls: 699 Parliamentary assurances the government never delivered
-
Let Me Explain: How the Sangh mobilised Thiruparankundram unrest
-
TV Newsance 325 | Indigo delays, primetime 'dissent' and Vande Mataram marathon
-
The 2019 rule change that accelerated Indian aviation’s growth journey, helped fuel IndiGo’s supremacy