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125 घंटे के 'सबूत': महाराष्ट्र भाजपा के 'पेन ड्राइव बम' में क्या है

8 मार्च को भारतीय जनता पार्टी के देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के राजनीतिक हलकों में 'पेन ड्राइव बम' से हमला किया.

विधानसभा में फडणवीस ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र विकास अघाड़ी सरकार ने भाजपा नेता गिरीश महाजन के खिलाफ साजिश रची थी जिसके सबूत 125 घंटे की वीडियो रिकॉर्डिंग के रूप में एक पेन ड्राइव में मौजूद हैं. फडणवीस ने यह भी आरोप लगाया कि एमवीए सरकार अन्य भाजपा नेताओं को भी निशाना बनाने के लिए राज्य मशीनरी का उपयोग कर रही है.

फडणवीस ने विधानसभा के उपाध्यक्ष को पेन ड्राइव सौंप दी है और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच की मांग की है.

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के संस्थापक शरद पवार ने कहा है कि फडणवीस के आरोप निराधार हैं और भाजपा द्वारा एमवीए सरकार को अस्थिर करने के प्रयासों का हिस्सा हैं. एमवीए शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस का राजनीतिक गठबंधन है. पवार ने यह भी कहा कि वीडियो रिकॉर्डिंग की लंबी अवधि से पता चलता है कि वह केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा की गई निगरानी की फुटेज हैं, जिससे फडणवीस को मिली जानकारी के स्रोत पर सवाल उठते हैंं.

पेन ड्राइव की वीडियो रिकॉर्डिंग और ऑडियो फाइलों में प्रमुखता से मौजूद सरकारी वकील प्रवीण चव्हाण ने शुरू में दावा किया था कि फडणवीस ने फुटेज को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है. इसके बाद से चव्हाण टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हो सके हैं.

न्यूज़लॉन्ड्री ने फडणवीस द्वारा जमा की गई पेन ड्राइव की रिकॉर्डिंग्स को देखा है. इनमें चव्हाण, पुलिस अधिकारियों और कुछ राजनेताओं के बीच बातचीत होती है. न्यूज़लॉन्ड्री इन फाइलों की प्रामाणिकता को स्वतंत्र रूप से सत्यापित नहीं कर सकता है.

पृष्ठभूमि

9 दिसंबर, 2020 को जलगांव के निंभोरा पुलिस स्टेशन में महाजन, उनके निजी सहायक रामेश्वर नाइक और 27 अन्य के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया था. महाजन और अन्य पर 2018 की एक घटना के लिए जबरन वसूली, धमकी, चोरी, आपराधिक साजिश और अतिचार का आरोप लगाया गया था.

महाजन अभी जलगांव के जामनेर से विधायक हैं. 2014 और 2019 के बीच वह फडणवीस के नेतृत्व वाली भाजपा-शिवसेना सरकार में जल संसाधन, चिकत्सीय शिक्षा और सिंचाई मंत्री थे.

यह शिकायत जलगांव मराठा विद्या प्रसार समाज के ट्रस्टी वकील विजय पाटिल ने दर्ज कराई थी. यह एक शैक्षणिक ट्रस्ट है जो 30 से अधिक माध्यमिक विद्यालय और कई कॉलेज चलाता है.

पाटिल के अनुसार, जनवरी 2018 में ट्रस्ट के कुछ कागजात प्राप्त करने के लिए उन्हें धोखे से पुणे भेजा गया. पाटिल ने कहा कि पुणे में उन्हें पहले एक फ्लैट में ले जाया गया और फिर एक होटल में उनके साथ मारपीट की गई, कपड़े उतारे गए, और धमकी दी गई कि अगर उन्होंने और अन्य ट्रस्टियों ने ट्रस्ट से इस्तीफा नहीं दिया तो उन्हें जान से मार दिया जाएगा. उन्हें बंधक बनाने वालों ने पाटिल को बताया कि महाजन ट्रस्ट पर कब्जा करना चाहते हैं.

गौरतलब है कि पाटिल ने तथाकथित मामले की शिकायत पुलिस में लगभग तीन साल बार दर्ज कराई. दिसंबर 2020 में पाटिल द्वारा पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के एक महीने बाद, प्राथमिकी पुणे के कोथरुड पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित कर दी गई. पुणे पुलिस ने कहा कि जलगांव मराठा विद्या प्रसारक समाज पर नियंत्रण के लिए दो गुटों के बीच प्रतिद्वंद्विता के कारण पाटिल को निशाना बनाया गया था.

पेन ड्राइव 'बम'

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में विधानसभा में विपक्ष के नेता फडणवीस के अनुसार, पाटिल द्वारा दायर की गई शिकायत और उसके बाद की जांच का उद्देश्य महाजन को झूठे मामले में फंसाना था.

फडणवीस ने कहा है कि डिप्टी स्पीकर को सौंपे गए पेन ड्राइव में मौजूद वीडियो रिकॉर्डिंग इस बात का सबूत हैं कि महाजन को फंसाने के लिए सरकारी वकील ने प्राथमिकी का मसौदा तैयार किया था. फडणवीस द्वारा प्रस्तुत रिकॉर्डिंग के अनुसार अन्य भाजपा नेता भी चव्हाण के रडार पर थे.

वीडियो 24

"गिरीश महाजन पुणे कब आए. यह जानकारी हमें मंत्रालय से मिली है.

"अनिल देशमुख निडर थे. उन्हें जो भी काम दिया जाता था, वह उसे पूरा करते थे. जयंत पाटिल और (एकनाथ) खडसे के संबंध अच्छे हैं. उन्होंने कहा है कि जब भी चव्हाण आएं तो उनका स्वागत किया जाए. फडणवीस को फंसाया जाता है तो अनिल देशमुख के बेटे के लिए एक सीट खाली हो जाएगी. एक निश्चित चरण के बाद बहुत अधिक पैसे की ज़रूरत होगी.

"हमारा निशाना कौन लोग हैं? देवेंद्र फडणवीस, गिरीश महाजन, जयकुमार रावल, सुभाष देशमुख, सुधीर मुनगंटीवार, चंद्रकांत पाटिल और चंद्रशेखर बावनकुले. फाइल तैयार है, ये लोग हमारे निशाने पर हैं."

'निशाने' के रूप में सूचीबद्ध सभी लोग भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं.

अनिल देशमुख एनसीपी के एक वरिष्ठ नेता हैं और 2019 और 2021 के बीच महाराष्ट्र के गृहमंत्री थे. जयंत पाटिल महाराष्ट्र के सिंचाई मंत्री हैं. एकनाथ खडसे भाजपा के पूर्व सदस्य हैं और अब एनसीपी में हैं.

एक अन्य रिकॉर्डिंग में, चव्हाण ने एनसीपी के एक विधायक अनिल गोटे के साथ बातचीत की, जो भाजपा के साथ हुआ करते थे. चव्हाण गोटे से कहते हैं कि फडणवीस संदेह के घेरे में हैं.

वीडियो 28सी

चव्हाण: मैं आपको मंगेश चव्हाण की फाइल दूंगा.

गोटे: मुझे मंगेश चव्हाण की फाइल में कोई दिलचस्पी नहीं है.

चव्हाण: मंगेश चव्हाण का मतलब गिरीश महाजन और गिरीश महाजन का मतलब देवेंद्र फडणवीस.

(मंगेश चव्हाण चालीसगांव से विधायक हैं और भाजपा के सदस्य हैं. उन्हें महाजन का करीबी माना जाता है.)

एक रिकॉर्डिंग में चव्हाण को यह चर्चा करते हुए सुना जा सकता है कि क्या कोई महाजन के खिलाफ गवाह बनने के लिए तैयार है. यह स्पष्ट नहीं है कि चव्हाण किससे बात कर रहे हैं. उस व्यक्ति की पहचान भी स्पष्ट नहीं है जिसे चव्हाण गवाह के रूप में पेश करना चाहते हैं.

वीडियो 2

"क्या वह गिरीश महाजन का नाम देने को तैयार हैं? मैं एक संक्षिप्त उत्तर के साथ आऊंगा. क्या वह वायदा माफ गवाह बनने के लिए तैयार है? मकोका (महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम) को प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा यदि ड्रग्स से संबंधित बयान दिया जाता है. ऐसा कोई नियम नहीं है कि आरोपी बनाने के लिए ड्रग्स की बरामदगी जरूरी है. संदेह पैदा करना ही काफी है. उसे बताएं कि यह एक शिक्षण संस्थान है. बहुत सारे छात्र हैं और इसलिए बाजार इतना बड़ा है. क्या हमने उसे पैसे दिए हैं? ...यह जताया जाना चाहिए कि जब तक संस्थान हमारे नियंत्रण में है, हम करोड़ों में कमा सकते हैं."

यहां 'शिक्षण संस्थान' जलगांव मराठा विद्या प्रसार समाज है.

पेन ड्राइव में पाटिल, शिकायतकर्ता और चव्हाण के बीच बातचीत भी है. एक बातचीत में चव्हाण पाटिल से कहते हैं कि वह 'बयान खुद तैयार करेंगे'.

नीचे वीडियो की प्लेलिस्ट देखें.

वीडियो 19

"गिरीश महाजन का नाम जोड़ें, मैं बयान तैयार करूंगा. आपने जो कहा है और बयान में क्या जोड़ा जाना चाहिए उसके बारे में मैं निर्देश दे रहा हूं."

चव्हाण ने भोइते नाम के किसी व्यक्ति का भी उल्लेख किया है जिसकी पहचान स्पष्ट नहीं है. पाटिल की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत में भोइते उपनाम के तीन लोगों का आरोपियों के रूप में जिक्र है. वह जलगांव मराठा विद्या प्रसारक समाज पर नियंत्रण के लिए पाटिल के समूह के साथ प्रतिस्पर्धा करने वाले गुट से संबंधित हैं.

फडणवीस ने आरोप लगाया है कि पुलिस के बजाय चव्हाण ने ही महाजन के खिलाफ प्राथमिकी का मसौदा तैयार किया था.

पवार की चाल

ऐसी कई रिकॉर्डिंग्स हैं जो बताती हैं कि एनसीपी नेता शरद पवार के इशारे पर महाजन के खिलाफ साजिश रची गई है.

एक वीडियो में चव्हाण कहते हैं कि उन्होंने प्राथमिकी का मसौदा तैयार किया और 'साहब' ने कुछ धाराओं को हटाकर उसे संशोधित किया.

वीडियो 11

“मैंने साहब को मीटिंग के लिए बुलाया है. वह मकोका से संतुष्ट नहीं थे. एक दिन में मैंने एफआईआर का मसौदा तैयार कर लिया. मैंने खुद आपराधिक धाराओं को जोड़ा. मैंने कई सेक्शन जोड़े, लेकिन उन्होंने कई पैराग्राफ हटा दिए."

पवार को अक्सर सम्मान के साथ 'साहब' कहा जाता है, खासकर एनसीपी कैडर द्वारा.

वीडियो 32 जी-एच

“साहब ने (हेमंत) नागराले को बताया है. जयंत पाटिल ने भी उनसे कहा… मैंने पूछा कि हमें क्या करना चाहिए. साहब ने मुझसे कहा कि जो अच्छा लगे वह करो. मैं फोन टैपिंग मामले पर अड़ा हुआ था. इसलिए मामला दर्ज किया गया. हमें अपने जजों को कोर्ट में लाना है, हमें कोर्ट में थोड़ा शोर मचाना है और फिर जज आदेश देंगे."

हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि 'साहब' या पाटिल ने कौन सी जानकारी साझा की, चव्हाण के बयानों से संकेत मिलता है कि चर्चा का विषय फडणवीस के खिलाफ मामला है. इस रिकॉर्डिंग के समय हेमंत नागराले मुंबई के पुलिस कमिश्नर थे.

फडणवीस को निशाना बनाना एक और बातचीत का फोकस है.

वीडियो 13

"साहब कभी सामने नहीं आते. वह घर पर किसी को बुलाते हैं और फिर बताते हैं. अगर वह सीधे फोन करते हैं तो वह बेवजह थाने की डायरी में दर्ज हो जाएगा. लेकिन शरद पवार साहब गिरीश महाजन और देवेंद्र फडणवीस को 100001% खत्म करना चाहते हैं."

"वह सुनिश्चित करेंगे कि गिरीश महाजन और देवेंद्र फडणवीस फंस जाएं. अगले साल तक इसे करने की जरूरत है. फिर फडणवीस खत्म हो जाएंगे."

एक अन्य रिकॉर्डिंग में चव्हाण उन सभी लोगों के बारे में बात कर रहे हैं जिन्हें 'फंसाया' जाना चाहिए और नाम भाजपा नेताओं के हैं.

वीडियो 12

“मुझे नागपुर से फोन आया और पूछा गया कि किसे फंसाया जाना चाहिए. जयकुमार रावल, गिरीश महाजन, देवेंद्र फडणवीस, संजय कुटे और (सुधीर) मुनगंटीवार. फिर मुझसे पूछा गया कि मैं मुंबई कब आऊंगा. मुझे शुक्रवार को जाने के लिए कहा गया था. लेकिन जब मैं गया तो निजी सचिव राउत वहां नहीं थे."

पवार के निजी सचिव संजय राउत हैं.

एक रिकॉर्डिंग से पता चलता है कि चव्हाण को उपमुख्यमंत्री और पवार के भतीजे अजीत पवार का समर्थन नहीं था.

वीडियो 9

“अजीत पवार ने समर्थन नहीं किया. लेकिन बड़े साहब सब कुछ देख रहे हैं. क्या कोई अच्छे अधिकारी हैं? उन्होंने मुझसे चार-पांच अच्छे अधिकारियों के नाम बताने को कहा है.”

माना जा रहा है कि 'बड़े साहब' शरद पवार के लिए प्रयोग किया गया है.

इस बातचीत से पता चलता है कि पवार महाजन के खिलाफ मामले में सीधे तौर पर शामिल नहीं थे, लेकिन उन्हें पता था कि भाजपा नेताओं के खिलाफ क्या साजिश रची जा रही है.

एक अन्य बातचीत से पता चलता है कि पवार ने भाजपा की संपत्ति के बारे में सवाल उठाने की साजिश रची. चव्हाण का यह भी दावा है कि पुलिस आयुक्त की नियुक्ति फडणवीस के खिलाफ एक मामले से संबंधित थी जिसमें उन पर सरकारी धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया था.

वीडियो 30

“पवार साहब तैयार हैं. (मुंबई पुलिस कमिश्नर) संजय पांडे जून में सेवानिवृत्त हो रहे हैं. अब वे मुंबई के पुलिस कमिश्नर बन गए हैं. उन्होंने कहा है कि वह मामला दर्ज कराएंगे. इसी वजह से उन्हें सीपी बनाया गया है. उन्होंने कहा कि वह मामला दर्ज करने को कहेंगे. जयंत पाटिल साहब बात करेंगे. आप प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) में शिकायत दर्ज करिए.

“फिर हर दो दिनों के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करें जिसमें कहिए कि ईडी ने कोई कार्रवाई नहीं की है. आप आरोप लगाइए. फिर हम कोर्ट जाएंगे... शिकायत दर्ज कराएं कि बीजेपी को 10 करोड़ रुपए का चंदा मिला है. इस एक ही शिकायत से नवाब मलिक पर चल रही जांच बंद हो जाएगी.”

मलिक महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक विकास, औकाफ, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री हैं.

गोटे ने 3 मार्च को ईडी के पास एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि जब फडणवीस महाराष्ट्र में भाजपा सरकार का नेतृत्व कर रहे थे, तब अंडरवर्ल्ड से संबंध रखने वाली एक कंपनी से बीजेपी को 20 करोड़ रुपए मिले थे.

एक अन्य वीडियो में, सरकारी वकील चव्हाण खुद को "एनसीपी का वकील" बताते हैं.

वीडियो 22

“मैं खडसे साहब को पवार साहब के पास ले जाता हूं. मेरे और जयंत पाटिल जैसे लोग अजित पवार साहब के पास जाते हैं. मैं खुद नहीं आऊंगा. क्योंकि अगर मैं आता हूं तो उन्हें इस बात का सबूत मिल जाएगा कि मैं एनसीपी का वकील हूं."

पाटिल के साथ एक बातचीत में चव्हाण ने चिंता व्यक्त की कि महाजन यह पता लगा सकते हैं कि पवार चव्हाण को निर्देश दे रहे हैं.

वीडियो 25

"यदि वह पूछते हैं कि आपका अपहरण किस दिन किया गया था, तो कहिएगा पहले सप्ताह में. सही तारीख बताने की जरूरत नहीं है. गिरीश महाजन कुछ हिस्सों को समझ चुके हैं और उन्हें एफआईआर की कॉपी मिल गई है. उन्होंने उसपर स्टे ले लिया है. अब वह यह देखने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या वह मुझसे कहीं मिल सकते हैं. मैं या तो सुबह जाऊंगा या देर रात में. अगर मेरी एक भी क्लिप उनके हाथ लग जाए तो वह समझ जाएंगे कि यह सब पवार साहब के इशारे पर हो रहा है."

षड्यंत्र और खुलासे

पेन ड्राइव में बातचीत के कई अंश हैं जिनमें चव्हाण महाजन के मामले पर चर्चा करते हुए छापेमारी और झूठे सबूत पेश करने की बात करते हैं.

वीडियो 10

“उन्हें चाकू को जब्त करने से पहले उस पर कुछ खून लगाना चाहिए था. एक चाकू खरीद कर मौके पर रख देना चाहिए था. इसे जब्त करने के लिए और क्या चाहिए? क्या आप जानते हैं कि कितने लोगों ने इस केस के लिए मेरे नाम की सिफारिश की है? दिलीप बोराले, वालसे पाटिल, जयंत पाटिल, जितेंद्र आव्हाड, अर्जुन खोतकर, अनिल देशमुख, रमेश जाधव, गुलाबराव, हसन मुश्रीफ, श्रीनिवास पाटिल -- इन सभी लोगों ने पवार साहब को पत्र दिया था... गिरीश महाजन इस जाल में नहीं फंसेंगे. सीपी (पुलिस आयुक्त) को हटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. डीजी (महानिदेशक) से मिलने जा रहा हूं."

इस रिकॉर्डिंग के समय अमिताभ गुप्ता पुणे के सीपी थे और यह रिपोर्ट लिखे जाने तक उनका तबादला नहीं किया गया है.

वीडियो 23

“यह खबर लीक करिए कि अलका पवार और (जलगांव मराठा विद्या प्रसार समाज के) अन्य निदेशकों पर छापेमारी होने जा रही है, और यह कि स्टे हटा दिया दिया गया है और गिरफ्तारियां होने जा रही हैं. इस तरह की खबरों के फैलने से वह मानसिक रूप से प्रभावित होंगे. अगर वीरेंद्र भोइते को गवाह बनाना है तो वकीलों की जरूरत पड़ेगी. अगर ऐसा होता है तो हम मदद करेंगे.

“चैनलों से बात करके उन्हें यह सब दिखाएं. उन्हें गिरीश महाजन की कई आपराधिक गतिविधियों के बारे में बताएं. शिवाजी भोइते को पुरानी तस्वीरें दिखाने के लिए कहिए."

वीरेंद्र भोइते उन 29 आरोपियों में से एक हैं जिनके खिलाफ पाटिल ने पुलिस में शिकायत दर्ज की थी और माना जा रहा है कि वह जलगांव मराठा विद्या प्रसारक समाज के एक प्रतिद्वंद्वी गुट से संबंध रखते हैं.

चव्हाण को यह दावा करते हुए भी सुना जाता है कि देशमुख एक भ्रष्ट गृहमंत्री थे और उन्होंने रिश्वत के रूप में करोड़ों रुपए लिए थे.

वीडियो 16

“अनिल देशमुख ने तबादलों से 100 करोड़ रुपए से अधिक की कमाई की है. उन्होंने कम से कम 250 करोड़ रुपए कमाए हैं. ट्रांसफर ही नहीं, पैसे कमाने के और भी तरीके हैं, जैसे कार खरीदना, निर्माण कार्य के टेंडर. उन्होंने दो साल में कम से कम 250 करोड़ रुपए कमाए हैं. आप क्या सोचते हैं? मुंबई में कम से कम 100 बड़े बिल्डर हैं. अगर हर एक 2-3 करोड़ रुपए भी दे देता है तो कलेक्शन 200-300 करोड़ रुपए तक पहुंच जाता है. बिल्डरों के लिए दो करोड़ कोई बड़ी रकम नहीं है. यह पक्का है कि अनिल देशमुख हमारे लिए उपयोगी रहे होते. मैं साहब का आदमी हूं. लेकिन मैं तस्वीरें नहीं रखता. मैं अपने रिश्ते नहीं दिखाता, अपना रुतबा नहीं दिखाता.”

पेन ड्राइव में ऑडियो फाइलें भी हैं, जैसे यह जिसमें चव्हाण ‘बड़े साहब’ के बारे में बात करते हैं.

ऑडियो 3

“बड़े साहब कहते हैं कि अगर आप राजनीति करना चाहते हैं, तो सीपी (पुलिस आयुक्त), सीआईडी ​​(अपराध जांच विभाग), ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) सब आपका होना चाहिए. देशमुख 25 लाख रुपए (रिश्वत) लेकर आए, लेकिन मैंने नहीं लिया. बाद में वह पकड़े गए. 25 लाख रुपए में मैं एक कार खरीद सकता था. वह खुद ही (रिश्वत) दे रहे थे, लेकिन मैंने पैसे नहीं लिए. देखिए कि भाग्य कैसे काम करता है? लेकिन मैं इससे दुखी नहीं हूं (25 लाख रुपए की रिश्वत न लेने से)...”

फडणवीस ने विधानसभा में आरोप लगाया था कि चूंकि चव्हाण एमवीए नेताओं के आदेश पर काम कर रहे थे, इसलिए वह पुलिस अधिकारियों को हर आदेश देने में सक्षम थे. पेन ड्राइव में मौजूद कुछ रिकॉर्डिंग्स से पता चलता है कि चव्हाण महाजन के खिलाफ शिकायत की जांच में हर संभव प्रयास कर रहे थे.

एक बातचीत में चव्हाण सहायक पुलिस आयुक्त सुषमा चव्हाण को कहते हैं की वह पंचनामा और गवाहों को तैयार रखें.

वीडियो 21

पंचनामा तैयार रखिए. आदेश 6.30 बजे तक तैयार हो जाना चाहिए.

“जलगांव कलेक्टर कार्यालय और जिला परिषद से पांच पंचों की आवश्यकता होगी. कल रविवार है इसलिए उन लोगों को पहले से ही चुन लीजिए... कुछ कहिए मत क्योंकि मामला संवेदनशील है. बस पुलिस कांस्टेबल को पहचान लीजिए.”

फडणवीस को इससे फायदा होगा?

महाजन के खिलाफ मामला चल रहा है, लेकिन 17 दिसंबर, 2020 को बॉम्बे उच्च न्यायालय ने महाजन और उनके निजी सचिव को अस्थायी राहत देते हुए पुणे पुलिस को महाजन और नाइक के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने से रोकने के आदेश की अवधि को बढ़ा दिया था. महाजन के वकील ने पुलिस में दर्ज शिकायत के समय पर सवाल उठाते हुए पूछा था कि घटना के कथित रूप से होने के वर्षों बाद पुलिस को इसकी सूचना क्यों दी गई. पुणे पुलिस को अपनी प्राथमिकी स्पष्ट करते हुए जवाब दाखिल करने को कहा गया है.

हालांकि पवार ने फडणवीस द्वारा जमा किए गए सबूतों के स्रोत के बारे में वैध सवाल उठाए हैं, अगर यह ऑडियो रिकॉर्डिंग और वीडियो फुटेज प्रामाणिक हैं तो वह सरकारी मशीनरी के चिंताजनक दुरुपयोग की ओर इशारा करते हैं.

12 मार्च को आयोजित एक प्रेस वार्ता में फडणवीस ने कहा कि उनके पास अपने आरोपों के समर्थन में और सबूत हैं, जिन्हें वह केवल सीबीआई के साथ साझा करेंगे. यह स्पष्ट है कि महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता का इरादा इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में डालने का कतई नहीं है.

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