Report
अतीत का पन्ना: यूपी के मुरादाबाद में हुई थी दुनिया की सबसे जानलेवा ओलावृष्टि
30 अप्रैल 1888 का दिन. यह दिन देश और दुनियाभर में सबसे जानलेवा और खतरनाक ओलावृष्टि के रूप में याद किया जाता है. इस दिन हुई ओलावृष्टि से उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में 246 लोगों की मौत हो गई थी. वेदर, क्लाइमेट एंड सोसायटी जर्नल में जुलाई 2017 में प्रकाशित विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) के शोधकर्ताओं विश्लेषण के मुताबिक, “मुरादाबाद में पड़े ओले बत्तख के अंडे, संतरे और क्रिकेट की गेंद के आकार के थे.”
मुरादाबाद की घटना के 10 दिन बाद लंदन टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “भारत तूफानों की एक असाधारण श्रृंखलाओं का गवाह बना है जो काफी काफी हद तक डक्का (ढाका) टोरनाडो की प्रकृति का है.”
मुरादाबाद की इस घटना का विस्तृत उल्लेख 1888 में प्रकाशित एडब्ल्यू ग्रीली की किताब अमेरिकन वेदर में मिलता है. ग्रीली उस वक्त यूएस सिग्नल कॉर्प्स (वर्तमान में यूएस वेदर सर्विस) में जनरल इंचार्ज थे. भारत के मौसम विभाग के पहले महानिदेशक सर जॉन इलियट ने घटना का विवरण देते हुए उन्हें बताया, “भारत में भीषण ओलावृष्टि हुई है जिससे घरों की खिड़कियां और शीशों के दरवाजे टूट गए हैं. घरों की छत टूटकर गिर गई है और पक्का बरामदा भी क्षतिग्रस्त हो गया है. घरों की दीवारें हिल गई हैं. बाहर हर तरफ अंधेरा है. बहुत बड़े और बेहद तेजी से ओले गिरे हैं. इतने बड़े ओले मैंने अपनी जिंदगी में कभी नहीं देखे हैं. जैसे की तूफान की रफ्तार कम हुई, मैं बाहर निकला, सिविल स्टेशन में एक भी घर ऐसा नहीं था जहां गंभीर चोट नहीं लगी हो. मुरादाबाद के आसपास छह से सात मील के दायरे में विनाशकारी ओलावृष्टि हुई है.”
सर जॉन इलियट ने आगे बताया, “अब तक 230 मौतें हो चुकी हैं. मौतों का कुल आंकड़ा 250 तक जा सकता है. ओलों से अधिकांश मौतें उन लोगों की हुईं जो खुले में थे और कहीं छिप नहीं पाए. अकेले रेसकोर्स में 14 शव मिले हैं.” उन्होंने यह भी बताया कि किसी यूरोपियन की मौत नहीं हुई है. पुलिस ने 1600 मवेशियों, भेड़ों और बकरियों की मौत रिपोर्ट की है.
डब्ल्यूएमओ के विश्लेषण के मुताबिक, ओला विशेषज्ञ स्नोडन फ्लोरा ने अपनी पुस्तक हेलस्टॉर्म इन यूनाइटेड स्टेट्स में कहा है कि 30 अप्रैल की घटना में अकेले मुरादाबाद में 230 लोग मारे गए, जबकि 16 मौतें बरेली में हुईं. इससे मौतों का कुल आंकड़ा 246 हो गया. इस आंकड़े का उल्लेख मौसम विज्ञानी सीएफ तालमन ने भी 1931 में प्रकाशित अपनी किताब रेल्म ऑफ द एयर में किया है. उनके अलावा मौसम के जाने-माने इतिहासकार पैट्रिक ह्यूज ने भी वेदरवाइज पत्रिका में इस संख्या का जिक्र किया है.
भारत के बाद चीन में ओलावृष्टि के लिहाज दूसरी बड़ी घटना घटी. चीन के हनान प्रांत में स्थित नानकिंग में 1932 में हुई ओलावृष्टि में 200 लोग मारे गए और हजारों लोग जख्मी हुए.
Also Read
-
TV Newsance 307: Dhexit Dhamaka, Modiji’s monologue and the murder no one covered
-
Hype vs honesty: Why India’s real estate story is only half told – but fully sold
-
2006 Mumbai blasts: MCOCA approval was based on ‘oral info’, ‘non-application of mind’
-
2006 blasts: 19 years later, they are free, but ‘feel like a stranger in this world’
-
Sansad Watch: Chaos in house, PM out of town