Report
एक और हाथरस: बुलंशहर में नाबालिग की हत्या और आधी रात अंतिम संस्कार
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में 21 जनवरी को एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया. मामला धराऊं गांव का है जो डिबाई-गलीमपुर के पास पड़ता है. गांव के एक युवक और मुख्य आरोपी सौरभ शर्मा ने 16 वर्षीय नाबालिग लड़की के साथ कथित दुष्कर्म के बाद उसकी गोली मारकर हत्या कर दी. मामले में परिवार ने चार लोगों पर इस अपराध में शामिल होने का आरोप लगाया. इनमें 25 वर्षीय सौरभ शर्मा, 40 वर्षीय महेंद्र शर्मा, 22 वर्षीय अनुज शर्मा और शिवम शर्मा शामिल हैं. मृतक पीड़िता लोधी समाज से थीं और सभी आरोपी तथाकथित उच्च जाति से हैं. परिवार का आरोप है कि पुलिस ने 10 दिन तक मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं की और छतारी पुलिस ने परिवार को धमकाकर आधी रात को ही पीड़िता का अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर किया.
एफआईआर और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुतबिक छतारी पुलिस ने 21 जनवरी को रात 11:34 बजे धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया.
लेकिन नीलम के परिवार वाले पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हैं.
इस पूरे मामले में हमने छतारी पुलिस स्टेशन के एसएचओ राहुल चौधरी से बात की. उन्होंने बताया, "पोस्टमॉर्टम में गैंग रेप जैसी कोई बात सामने निकलकर नहीं आई है. फिर भी लड़की के परिवार के कहने पर हमने सैंपल की स्लाइड, विधि विज्ञान प्रयोगशाला (निवादी) भेजी हुई है."
दबाव के बाद, डिबाई से जांच जहांगीराबाद कोतवाली को सौंप दी गई है और वहां के प्रभारी अखिलेश त्रिपाठी जांच कर रहे हैं. उन्होंने परिवार से पूरी जानकारी ली है और जल्द ही रिपोर्ट शीर्ष अफसरों को सौंपने की बात कही.
न्यूज़लॉन्ड्री ने अखिलेश त्रिपाठी से बात करने की कोशिश की. उन्होंने हमसे स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह इस मामले में जानकारी नहीं दे सकते. अब तक इस मामले में सौरभ शर्मा, शिवम शर्मा, निशांत और अनुज को गिरफ्तार कर लिया गया है. महेंद्र शर्मा का अब तक पता नहीं लग पाया है.
इस पूरे मामले पर न्यूज़लॉन्ड्री की टीम ने बुलंदशहर जाकर मामले की तहकीकात की.
पीड़िता नीलम (बदला हुआ नाम) गलीमपुर गांव की रहने वाली थी. रोज़ की तरह ही दोपहर 12 बजे वह अपने घर से खेत गई थी. लड़की की नानी रेश्मी देवी बताती हैं, "नीलम 12 बजे खेत गई थी. शाम 5 बजे से हमने इस गांव (धराऊं) में पुलिस की दो गाड़ियों को आते हुए देखा. लोगों को लगा कि पुलिस ट्यूबवेल के पास जुआ खेलने वालों को पकड़ने जा रही है."
बता दें कि नीलम गलीमपुर की रहने वाली है लेकिन आरोपी सौरभ शर्मा नीलम को उसके गांव से करीब 15 किलोमीटर दूर धराऊं लेकर गया था जहां उसने घटना को अंजाम दिया. धराऊं गांव नीलम का ननिहाल भी है.
छतारी पुलिस के अनुसार नीलम की लाश गांव में बने एक ट्यूबवेल के कमरे से मिली जहां सौरभ शर्मा भी मौजूद था. थानाध्यक्ष (छतारी) राहुल चौधरी बताते हैं कि उन्हें शाम 4 बजे के करीब एक अज्ञात व्यक्ति का कॉल आया जिसके बाद वह घटना स्थल पहुंचे. "हमें एक कॉल आया था. हमने उसकी पहचान नहीं पूछी और तुरंत घटनास्थल पर पहुंच गए. ट्यूबवेल का दरवाजा अंदर से बंद था. मुख्य आरोपी सौरभ शर्मा ने दरवाजा खोला. नीलम की लाश वहां पड़ी हुई मिली. उसके सर पर गोली लगी थी. सौरभ ने भी आत्महत्या करने का प्रयास किया था. उसने अपने दोनों हाथ और गले की नसें ब्लेड से काटने की कोशिश की थी."
60 वर्षीय रेश्मी देवी (नीलम की नानी) ने हमें बताया कि 21 जनवरी को शाम छह बजे पुलिस उनके घर आई थी. "पुलिस की दो गाड़ियां जब गांव में आईं तब देखने के लिए बच्चे उसके पीछे गए, लेकिन पुलिस ने सबको डंडा मारकर भगा दिया. थोड़ी देर बाद पुलिस की एक गाड़ी वापस चली गई. इसके बाद करीब छह बजे एक मोटरसाइकिल पर पुलिस वाले हमारे घर आए. उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या यह हरिजनों का मकान है और क्या मेरी रिश्तेदारी गलीमपुर में है? फिर उन्होंने पूछा क्या घर में नीलम नाम की लड़की रहती है? मैंने कहा हां मैं उसे जानती हूं लेकिन वह तो अपने गांव में है."
इस दौरान पुलिस ने रेश्मी देवी को बताया कि नीलम की लाश महेंद्र शर्मा के ट्यूबवेल से मिली है और इसके बाद पुलिस उन्हें शव की पहचान करवाने ले गई. उनका कहना है कि जब वह ट्यूबवेल पहुंचीं तब उन्हें लड़की की लाश को नहीं देखने दिया गया. रेश्मी देवी बताती हैं, "मैं बहुत रोई और गिड़गिड़ाई कि मुझे एक बार लड़की का चेहरा देखने दो, लड़की के नाना भी वहां थे लेकिन उन्हें भी धक्का मारा गया. वहां खड़ी महिला पुलिस ने मेरे साथ बदतमीज़ी भी की."
रेश्मी देवी आगे बताती हैं कि एक महिला और दो पुरुष पुलिसवालों ने लड़की की लाश को उठाकर पुलिस की गाड़ी में रखा. लड़की के नाना फफकते हुए बताते हैं कि उन्होंने गाड़ी में चढ़ने की कोशिश की तो पुलिस ने उन्हे धक्का दे दिया.
नीलम ने सातवीं तक पढाई की है. परिवार में पिता, मां और दो छोटे भाई हैं. पिता मजदूरी का काम करते थे. जब हम परिवार से मिले तो मां मीना देवी रो रही थीं और बात करने की स्थिति में नहीं थीं. नीलम के पिता श्याम लाल ने बताया, "नानी द्वारा पहचान करने के बाद पुलिस ने हमारे प्रधान (गलीमपुर) को सूचित किया. उनके जरिए हमें हमारी बेटी के बारे में पता चला. हम तुरंत छतारी पुलिस स्टेशन भागे."
इसके बाद पुलिस ने पीड़िता के मामा बालकिशन को फोन किया, जो कि नोएडा में काम करते हैं और पुलिस ने उन्हें लड़की की लाश को ले जाने के लिए कहा. बालकिशन रात तीन बजे गांव पहुंचे.
रेश्मी देवी बताती हैं कि ट्यूबवेल से लौटने के बाद वह महेंद्र शर्मा के आवास पर गईं लेकिन उन्हें वहां किसी ने मिलने नहीं दिया.
नीलम की नानी रेश्मी देवी कहती हैं, "मुझे महेंद्र प्रधान से मिलने नहीं दिया गया. पहले कहा कि वह चाय पी रहे हैं, फिर कह दिया कि वह घर पर नहीं हैं. मैं रोती-रोती थाने पहुंची तो वहां मुझे कह दिया गया कि यहां कोई लाश नहीं है. पुलिस ने हमारी शिकायत तक लिखने से मना कर दिया."
लड़की के मामा 35 वर्षीय बालकिशन ने आगे का घटनाक्रम बताया. उन्होंने कहा, "22 जनवरी को अधिकारियों का फोन आया कि बुलंदशहर जिला अस्पताल में लड़की का पोस्टमार्टम हो रहा है. हम पोस्टमार्टम से संतुष्ट नहीं थे और अगले दिन पोस्टमार्टम करवाने की मांग की, लेकिन पुलिस वहां लाठी का भय दिखाकर शव को छतारी थाने पर ले गई."
बालकिशन आगे बताते हैं कि उस समय थाने पर गांव के अन्य लोग भी मौजूद थे लेकिन पुलिस ने उनकी शिकायत नहीं लिखी और पुलिस ने डंडे के बल पर एकत्रित भीड़ को हटाने का प्रयास किया.
बालकिशन कहते हैं, "पुलिस 22 जनवरी शाम को छह बजे लाश को थाने लेकर आई. हम दो घंटे तक आगे की कार्रवाई का इंतजार करते रहे. हमने गैंगरेप की धारा जोड़ने के लिए कहा लेकिन पुलिस ने कहा कि सौरभ ने उसे गोली मारी है. इसके अलावा कुछ नहीं हुआ है."
आधी रात को किया गया लड़की का अंतिम संस्कार
बालकिशन और उनके परिवार का आरोप है कि पुलिस ने लड़की का अंतिम संस्कार आधी रात को किया जबकि परिवार अगले दिन सुबह अंतिम संस्कार करना चाहता था. बालकिशन कहते हैं, "हम पर दबाव डाला गया. उन्होंने शव हमें सौंप दिया था. हम लाश को डिबाई लेकर जा रहे थे. वहीं पुलिस की एक गाड़ी भी पहुंच गई. उन्होंने हम पर अंतिम संस्कार करने का दबाव डाला. इतने में पुलिस की एक और गाड़ी वहां आ गई. हमें आश्वासन दिया गया कि अंतिम संस्कार कर दो पुलिस जांच में सहयोग करेगी."
पीड़िता का दाह संस्कार गांव से 12 किलोमीटर दूर बुलंदशहर में स्थित राजघाट पर किया गया. बालकिशन पुलिस पर आरोप लगाते हैं कि उनके दबाव के चलते, किसी ने भी अंतिम संस्कार का फोटो या वीडियो नहीं बनाया.
परिवार ने चारों आरोपियों के खिलाफ गैंगरेप का आरोप लगाया है. हमने पूछा कि किस आधार पर वह इतना गंभीर आरोप लगा रहे हैं? बालकिशन जवाब में कहते हैं, "उस लड़की को गांव से लाया गया और मार डाला. यह किसी एक शख्स का काम नहीं हो सकता. उसके गले और चेहरे पर निशान थे."
हालांकि छतारी पुलिस ने इस आरोप को मानने से इंकार कर दिया. पुलिस का कहना है कि मामला प्रेम प्रसंग का है और परिवार ने अपनी इच्छा से अंतिम संस्कार किया.
डीआईजी/ एसएसपी संतोष कुमार सिंह ने वीडियो बयान के जरिए कहा. "लड़की और लड़का पहले से एक दूसरे को जानते थे. लड़की अपनी मर्जी से लड़के के साथ बाइक पर बैठकर धराऊं गांव आई जहां वे दोनों ट्यूबवेल पर गए. वहां लड़के द्वारा लड़की की गोली मारकर हत्या कर दी गई. परिवार द्वारा अपनी मर्जी से स्वतंत्र गंगा घाट कर्णवास पर लड़की का दाह संस्कार किया गया."
कौन थे आरोपी?
आरोपी सौरभ शर्मा और अनुज शर्मा भाई हैं. शिवम शर्मा, महेंद्र शर्मा का बेटा है. सभी के घर धराऊं गांव में अगल-बगल ही हैं. हमने सौरभ शर्मा के परिवार से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने कोई भी बात करने से मना कर दिया. सौरभ के भाई मोनू शर्मा ने बस इतना कहा कि अब उनका सौरभ से कोई रिश्ता नहीं है. सौरभ के पिता राजेश शर्मा गांव में पंडित हैं.
हमने सौरभ के चचेरे भाई निशांत के पिता, चाचा और मामी से बात की. सौरभ के चाचा कांशीलाल शर्मा बताते हैं, "21 जनवरी की सुबह 11:30 बजे सौरभ मेरे बेटे 16 वर्षीय निशांत को गांव के बाहर ले गया. सौरभ को गाड़ी चलानी नहीं आती है इसलिए वह मेरे बेटे (अपने चचेरे भाई) को ले गया था. निशांत 2:30 बजे घर आ गया और उसके साथ सौरभ नहीं था."
सौरभ के घर के बगल में महेंद्र शर्मा का घर है. उनकी पत्नी, 35 वर्षीय नीरज शर्मा गांव की प्रधान हैं. उनका एक ट्यूबवेल सालों से गांव में बना हुआ है और उसके जरिए गांव में खेती के लिए पानी छोड़ा जाता है. मृतक लड़की की लाश ट्यूबवेल के कमरे से मिली थी जहां ताला लगा रहता है. इस ताले की चाबी महेंद्र शर्मा के घर पर रहती है.
नीरज शर्मा बताती हैं, "ट्यूबवेल की चाबी आंगन में लटकी रहती है. कोई भी गांव वाला चाबी ले जा सकता है. हम इसकी निगरानी नहीं रखते. उस दिन (21 जनवरी) सौरभ मेरे बेटे शिवम से चाबी ले गया था. इससे ज्यादा मुझे कुछ नहीं मालूम."
महेंद्र शर्मा वारदात के दिन से गांव में नहीं हैं. हमारे बार-बार पूछने पर भी नीरज ने हमें नहीं बताया कि महेंद्र शर्मा कहां हैं.
उन्होंने आगे कहा कि गांव के कुछ लोग उनसे चिढ़ते हैं इसलिए शिवम और उनके पति को फंसाया जा रहा है. वे तेज आवाज में कहती हैं, "गांव के कुछ लोगों को मुझसे चिढ़ है क्योंकि मैं चुनाव जीतकर प्रधान बनी. एक-डेढ़ साल पहले भी वह लड़की और सौरभ ट्यूबवेल के पास पकड़े गए थे. लड़की पहले से ही बदचलन है वरना बिना मर्जी के इतनी आसानी से लड़का किसी लड़की को खेत तक लेकर नहीं आ सकता था. लड़की की शादी होने वाली थी. सौरभ उस लड़की से प्यार करता था इसलिए उसने गुस्से में गोली मारी होगी."
"सभी आरोपी लड़के दबंग हैं"
हमने गांव के लोगों से मुख्य आरोपी सौरभ शर्मा के बारे में जानने की कोशिश की तो पता चला कि सौरभ, महेंद्र शर्मा के घर काम किया करता था. उसने कुछ दिन पहले 68 वर्षीय यशोधन सिंह के प्लांट (ईंट भट्टा) पर भी काम किया था. यशोधन ईंटों का काम करते हैं. उनका कारोबार गांव से पांच किलोमीटर दूर है. उन्होंने बताया, "सौरभ ने 16 जनवरी को मेरे यहां नौकरी शुरू की थी लेकिन चार-पांच दिन बाद ही उसने काम छोड़ दिया. यह सच है उसे बाइक चलानी नहीं आती. मैंने भी एक बार उसे चाय लेने के लिए भेजा था लेकिन उसने यह कहकर मना कर दिया था कि उसे बाइक चलनी नहीं आती."
हादसे के दिन दारोगा ने यशोधन को कॉल किया था. वे बताते हैं, "मुझे दोपहर तीन बजे पुलिस का कॉल आया था कि गांव के ट्यूबवेल से एक लड़की की लाश मिली है लेकिन पुलिस किसी को घटना स्थल के करीब नहीं जाने दे रही थी. सौरभ दबंग किस्म का लड़का था और अक्सर महेंद्र शर्मा के साथ रहता था. ये सभी लोग गुंडई किया करते थे."
वहीं यशोधन की पत्नी बताती हैं कि सौरभ लड़कियों को छेड़ा करता था और सही लड़का नहीं था.
न्यूज़लॉन्ड्री की टीम बुलंदशहर में स्थित राजघाट पहुंची जहां लड़की को जलाया गया था. 26 वर्षीय सचिन श्मशान घाट की देख-रेख करते हैं. उन्होंने हमें अपना रजिस्टर दिखाया. 22 जनवरी को रजिस्टर में कोई एंट्री नहीं हुई थी.
सचिन कहते हैं, "मैं रात को 9 बजे ही यहां से चला जाता हूं. यहां का दरवाजा हमेशा खुला रहता है. अगर आधी रात को यहां किसी की लाश जली हो, तो मुझे नहीं पता. हालांकि अगले दिन 23 जनवरी को सुबह जब मैं आया तब यहां लकड़ियां जली हुई पड़ी थीं. मुझे नहीं पता वह लाश किस की थी."
2 फरवरी को मृतक के पिता लड़की का मृत्यु प्रमाण-पत्र लेने आए थे लेकिन रजिस्टर में उनकी एंट्री न होने के कारण उन्हें वापस लौटा दिया गया.
गांव में जगह-जगह उतर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा मिशन शक्ति का प्रचार किया गया है. बस स्टॉप और दुकानों पर महिला सुरक्षा के दावे के साथ हेल्पलाइन नम्बर लिखा ज़रूर है लेकिन इसके बावजूद महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को इसी तरह दबाने की कोशिश होती रहती है.
Also Read
-
Why the CEO of a news website wants you to stop reading the news
-
‘A small mistake can cost us our lives’: Why gig workers are on strike on New Year’s Eve
-
From Nido Tania to Anjel Chakma, India is still dodging the question of racism
-
‘Should I kill myself?’: How a woman’s birthday party became a free pass for a Hindutva mob
-
I covered Op Sindoor. This is what it’s like to be on the ground when sirens played on TV