Video
वाटर स्पोर्ट्स पर भारी पड़ रही सरकारी लापरवाही
दिल्ली में लगातार बढ़ते प्रदूषण की मार आम जनता को सहनी पड़ती है. अकसर आपने महसूस किया होगा कि जब घर से बाहर निकलते हैं तो आंखें जलने लगती हैं. यह सुबह- सुबह घने कोहरे और सर्दी की वजह से नहीं है, बल्कि यह फैक्ट्रियों और परिवहन से निकलने वाले धुएं के कारण है. इस धुएं में सांस लेना खतरनाक ही नहीं जानलेवा भी है. नवंबर के महीने में जहां देशभर में छट पूजा का त्यौहार धूम-धाम से मनाया जा रहा था वहीं तब दिल्ली में सबका ध्यान यमुना में बह रहे झागों पर था. दिल्ली के घाटों पर सूरज को अर्घ्य देने के लिए महिलाएं पहुंचीं और यमुना नदी में खड़े होकर अर्घ्य दिया यह जानते हुए कि पानी कितना विषैला है.
एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल प्रदूषण से 2.3 मिलियन लोगों की जान चली जाती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में बढ़ते औद्यौगीकरण, परिवहन से प्रदूषण और घरों की गंदगी, मल-मूत्र ने पर्यावरण की स्थिति बेहद खराब बना दी है.
ऐसे में प्रदूषण का असर कहीं न कहीं वाटर स्पोर्ट्स पर भी देखने को मिल रहा है. कायकिंग और कैनोइंग एक ऐसा खेल है जो पूरी तरह से जल और वायु पर निर्भर करता है. यह एक तरह का बोटिंग और पेडल खेल है जो ओलंपिक्स में भी खेला जाता है.
प्रदूषण ने इस खेल को भारत में खेलने वाले खिलाड़ियों और उनके भविष्य पर खतरनाक असर डाला है. इससे होने वाले नुकसान को जानने के लिए यह रिपोर्ट देखें.
Also Read: दिल्ली, यमुना की अपराधी
Also Read
-
Exclusive: India’s e-waste mirage, ‘crores in corporate fraud’ amid govt lapses, public suffering
-
4 years, 170 collapses, 202 deaths: What’s ailing India’s bridges?
-
‘Grandfather served with war hero Abdul Hameed’, but family ‘termed Bangladeshi’ by Hindutva mob, cops
-
India’s dementia emergency: 9 million cases, set to double by 2036, but systems unprepared
-
धर्मस्थला में सामूहिक दफन की जांच: खुदाई के तीसरे दिन मिले मानव अवशेष