Report
सपने बॉलीवुड के: नोएडा की फिल्म सिटी मीडिया के जमावड़े में कैसे बदल गई
इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
बॉलीवुड के अपने सपने को संजोकर रखने में उत्तर प्रदेश की अपनी अलग ही मिसाल है. 1988 से जब न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डवेलपमंट अथॉरिटी (नोएडा) में फिल्म सिटी की स्थापना हुई, तब से ही राज्य को फिल्में बनाने के लिए अनुकूल जगह के रूप में स्थापित करने का प्रयास चल रहा है. लेकिन सफलता नहीं मिली है.
2015 में, जब नोएडा फिल्म सिटी में निर्माता कंपनियों की जगह मीडिया संस्थानों ने लेनी शुरू कर दी थी, तब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लखनऊ आगरा एक्सप्रेस वे पर दो और फिल्म सिटी खड़ी करने की कोशिश की थी. दोनों ही ठंडे बस्ते में पड़ी रहीं. वहीं इस साल की शुरुआत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने "सबसे बड़ी फिल्म सिटी" को इस बार यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी या येईडा इलाके में बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी.
वहीं कई दशकों बाद, पहली नोएडा फिल्म सिटी एक मीडिया के जमावड़े में बदल गई है.
सूचना व प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले फिल्म कार्यालय की वेबसाइट के अनुसार, नोएडा फिल्म सिटी 100 एकड़ से अधिक में फैली है (75 एकड़ खुला, 25 एकड़ ढका), जिसमें 16 स्टूडियो और 350 चैनलों के ऑफिस प्रांगण के अंदर हैं.
नोएडा फिल्म सिटी से चलने वाले मीडिया संस्थानों में रिपब्लिक टीवी, एबीपी नेटवर्क, नेटवर्क 18, इंडिया टुडे, डिश टीवी, टाइम्स नाउ और ईटी नाउ, ज़ी मीडिया, दैनिक भास्कर और प्रज्ञा चैनल हैं. इनमें से कोई भी ऐसा नहीं है जिसे प्लॉट शुरू में आवंटित किया गया हो. नोएडा फिल्म सिटी के 21 प्लॉटों का सालाना कारोबार 28 करोड़ है.
1988 में जब नोएडा फिल्म सिटी की सेक्टर 16a में स्थापना हुई, तब इस प्राइम प्रॉपर्टी को बाजार मूल्य से कहीं कम संस्थागत मूल्य पर दिया गया था. 1986 में नोएडा में व्यवसायिक भूमि का आधिकारिक मूल्य 180 रुपए प्रति वर्ग मीटर था और बाजार मूल्य 400 रुपए प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से बिक्री होती थी.
लेकिन नोएडा फिल्म सिटी में शुरुआती आवंटन को जमीन छूट में 200 रुपए प्रति वर्ग मीटर पर मिली थी. पुरानी फिल्म सिटी में भारतीय सिनेमा के कई बड़े नामों, जैसे कि निर्माता और निर्देशक यश चोपड़ा की आदित्य फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड, निर्माता बोनी कपूर की नरसिम्हा इंटरप्राइजेज और फ़िल्म व संगीत निर्माता गुलशन कुमार की सुपर कैसेट्स इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड ने प्लॉट लिए थे.
निर्माण का केंद्र बनने की मूल भावना के पूरा न हो पाने पर भी फिल्म सिटी में रियल एस्टेट के मूल्य में बढ़ोतरी हुई है. आज नोएडा फिल्म सिटी में व्यवसायिक ज़मीन का बाजार भाव करीब 4,032 रुपए प्रति वर्ग फीट या 43,384.32 रुपए प्रति वर्ग मीटर है.
नोएडा फिल्म सिटी के पुराने संस्थानों में से एक 1993 में स्थापित एशियन अकैडमी आफ फिल्म एंड टेलिविजन है, जिसकी स्थापना संस्थान के अध्यक्ष संदीप मारवाह ने की थी. मारवाह कहते हैं कि नोएडा फिल्म सिटी के पीछे का "मिशन इलाके में कला और फिल्मों की संस्कृति को बढ़ावा देना था." 90 के दशक में नोएडा फिल्म सिटी के अंदर कई टेलीविजन सीरियल शूट किए गए और 2000 के दशक की शुरुआत में मीडिया संस्थान आना शुरू हो गए.
80 के दशक में नोएडा अथॉरिटी की कार्यपद्धति से अवगत एक सूत्र के अनुसार, नोएडा फिल्म सिटी में ज़मीन आवंटन की योग्यता के लिए किसी कंपनी को तीन मानकों पर खरा उतरना होता था. फिल्मों में काम करना, एक वित्तीय वर्ष में 200 से 300 करोड़ का कारोबार करना और कम से कम 10 साल पहले स्थापित होना, ज़मीन आवंटन के मानक थे.
नोएडा फिल्म सिटी में इन मूल आवंटितों में से केवल गुलशन कुमार की सुपर कैसेट्स इंडस्टरीज प्राइवेट लिमिटेड और संदीप मारवाह का मारवाह इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कंप्यूटर बचे हैं. 2000 के दशक की शुरुआत से, मूल आवंटी अपनी जमीन के प्लॉट बेचते रहे हैं और अक्सर नए मालिक मीडिया घराने होते हैं. पुरानी फिल्म सिटी के प्लॉटों के मौजूदा मालिक, भूमि आवंटन के मूल मानकों पर खरे नहीं उतरते.
प्लॉट नंबर एफसी- 9, जिसका क्षेत्रफल 6320.56 वर्ग मीटर है बोनी कपूर की नरसिम्हा एंटरप्राइज को 15 अप्रैल 1988 को आवंटित किया गया. 14 जुलाई 2003 के हस्तांतरण और बिक्री दस्तावेज बताते हैं कि प्लॉट जी टेलीफिल्म्स को बेच दिया गया था.
प्लॉट नंबर एफसी- 8 जो 12,000 वर्ग मीटर से अधिक में फैला है, यश चोपड़ा की आदित्य फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड को 26 मार्च 1988 को आवंटित किया गया. यशराज फिल्म्स की कई फिल्मों और टीवी सीरियलों, जैसे कि टीवी सीरियल भंवर और कमल हासन की फिल्म अभय की यहां पर शूटिंग भी हुई.
दस्तावेजों के अनुसार प्लॉट आवंटित होने पर आदित्य फिल्म्स ने स्पष्ट किया, "हमारा स्टूडियो केवल उन्हीं उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल हो रहा है जिनके लिए इसका आवंटन हुआ था और केवल टीवी सीरियलों, टेलीफिल्मों और फिल्मों के निर्माण से जुड़ी गतिविधियों के लिए ही इसका इस्तेमाल होता रहेगा."
लेकिन 7 मार्च 2005 को इस प्लॉट को टीवी टुडे नेटवर्क को दे दिया गया जो लिविंग मीडिया प्राइवेट लिमिटेड की एक सहायक कंपनी है. 2013 में टीवी टुडे नेटवर्क ने प्लॉट के एक हिस्से को लिविंग मीडिया और मेल टुडे न्यूज़ पेपर प्राइवेट लिमिटेड को किराए पर दे दिया, जोकि लिविंग मीडिया एक और सहायक कंपनी है.
नोएडा में किराए पर देने के नियम व कानूनों के अनुसार, "व्यवसायिक प्रांगण के किराए की इजाजत, मांगी गई अवधि को न देखते हुए केवल 10 साल के लिए ही दी जाएगी." भूमि की किराया दर 150 रुपए प्रति वर्ग मीटर तय की गई थी.
2005 में, हस्तांतरण शुल्क 440 रुपए प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से था. 12,000 वर्ग मीटर से अधिक में फैला प्लॉट नंबर एफसी- 8,52,80,000 रुपए का बैठता है.
आदित्य फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड और टीवी टुडे नेटवर्क के बीच हस्तांतरण ज्ञापन कहता है कि हस्तांतरित किए जाने वाले को, जो कि यहां पर टीवी टुडे नेटवर्क है, "प्रोडक्शन, संपादन, स्टूडियो, प्रसारण, टेलीकास्टिंग, रिले, संचारण, प्रोग्रामिंग और सभी मल्टीमीडिया गतिविधियों के वितरण का काम करना ज़रूरी है."
न्यूज़लॉन्ड्री के द्वारा जांचे गए अधिकार प्रमाण पत्र के अनुसार प्लॉट नंबर एफसी- 6, का आवंटन मूलतः रमेश प्रसाद के प्रसाद प्रोडक्शन्स को 21 मार्च 1988 को किया गया था. 21 दिसंबर 2006 को इस प्लॉट का हस्तांतरण टाइम्स ग्रुप को कर दिया गया जिसमें बेनेट, कोलमैन एंड कंपनी का प्रमुख मालिकाना हिस्सा है.
2005 से 2008 के बीच प्लॉट नंबर एफसी- 7, जिसका क्षेत्रफल 8047.85 वर्ग मीटर है जागरण टीवी प्राइवेट लिमिटेड के पास पट्टे पर थी. इसका मूल आवंटन रोमेश फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम 30 मार्च 1988 को किया गया था. 7 जून 2021 को एम-मॉन्क्स डिजिटल मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर इस प्लॉट की किराया स्वीकृति जारी की गई.
डीबी कॉर्प लिमिटेड या दैनिक भास्कर समूह के पास 1996.70 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाले प्लॉट एफसी- 10 और प्लॉट एफसी- 11 का मालिकाना हक है. इसका मूल आवंटन टूटू शर्मा की पद्मिनी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड को 6 अप्रैल 1988 को किया गया था. 17 जनवरी 2008 को न्यू डेल्ही टेलीविजन या एनडीटीवी ने एफसी- 10 के हस्तांतरण की अर्जी रखी. दस्तावेजों से पुष्टि हुई कि 10 मार्च 2009 से प्लॉट को उपयोग में माना गया था, लेकिन 8 अक्टूबर 2013 को दैनिक भास्कर समूह ने पद्मिनी फिल्म्स से यह प्लॉट खरीद लिया.
दैनिक भास्कर समूह ने 1074.90 वर्ग मीटर में फैले प्लॉट एफसी- 11 को भी विनोद पांडे की सिने इमेजेस एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड से 1 अप्रैल 2015 को खरीद लिया. 24 जून 2002 को मैसर्स सीने इमेजेस एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के स्वामित्व वाले ब्रह्मा स्टूडियो ने, अपने स्टूडियो के एक भाग को टीवी सीरियल निर्माता कंपनी उषा किरण ईटीवी को किराए पर देने के लिए आवेदन किया. न्यूज़लॉन्ड्री इस बात की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं कर पाया कि इसे मंजूरी मिली थी या नहीं.
8,000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाले प्लॉट नंबर एफसी- 5 का आवंटन पूर्ण चंद्र राव की लक्ष्मी प्रोडक्शन को 16 अप्रैल 1988 को किया गया. आज की तारीख में रिपब्लिक टीवी का दफ्तर इस प्लॉट पर ही है.
7950 वर्ग मीटर से अधिक में फैले प्लॉट नंबर एफसी- 12 का मूल आवंटन ईगल फिल्म्स को किया गया और आज इसका स्वामित्व एबीपी नेटवर्क और अल्फा आईटी एंड मीडिया प्रोजेक्ट्स एलएलपी के पास है.
न्यूज़लॉन्ड्री ने नोएडा अथॉरिटी की सीईओ रितु माहेश्वरी को एक विस्तृत प्रश्नावली ईमेल की है जिसमें यह पूछा गया है कि क्या मूल आवंटितों को अपने प्लॉट बेचने की इजाज़त थी, व क्या किसी के खिलाफ अनाधिकृत रूप से हस्तांतरण की वजह से कोई कदम उठाए गए. उनकी तरफ से कोई भी जवाब आने पर इस रिपोर्ट में जोड़ दिया जाएगा.
एएटीएफ के संदीप मारवा यह तर्क रखते हैं कि नोएडा फिल्म सिटी के एक मीडिया जमावड़े में बदल जाने को, फिल्म निर्माण यूपी में लाने की असफलता के बजाय सफलता के रूप में देखना चाहिए. TenNews.in को दिए एक इंटरव्यू में मारवा ने कहा, "फिल्म सिटी बनाने का अभियान व्यापक रूप से पूरा हो गया है क्योंकि वहां फिल्मों और मीडिया घरानों को ही बढ़ावा मिल रहा है."
इस सबके बीच उत्तर प्रदेश सरकार अपने बॉलीवुड के सपनों का पीछा कर रही है और "सबसे बड़ी फिल्म सिटी" का निर्माण कार्य गौतम बुद्ध नगर जिले में जनवरी 2022 में शुरू होना है.
Also Read
-
Decoding Maharashtra and Jharkhand assembly polls results
-
Newsance 275: Maha-mess in Maharashtra, breathing in Delhi is injurious to health
-
Pixel 9 Pro XL Review: If it ain’t broke, why fix it?
-
‘Ladki Bahin success, OBC consolidation’: Shinde camp settles Sena vs Sena debate
-
From Mahayuti’s big comeback to JMM’s powerplay: What the election mandate means