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जागरण, न्यूज़ 18 हिंदी और इंडिया डॉट कॉम ने गलत जानकारी देकर की मोदी सरकार की तारीफ

7 अक्टूबर को दैनिक जागरण की वेबसाइट पर पीएम किसान एफपीओ योजना को लेकर एक खबर छपी. जिसका शीर्षक ‘PM Kisan FPO Yojana : अब किसानों को मिलेंगे 15 लाख रुपये, जल्द करें आवेदन वरना पछताना होगा’ है.

खबर में बताया गया है कि कभी नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने से पहले लोगों को 15-15 लाख रुपए देने का सपना दिखाया था अब वह सच होने जा रहा है. अगर आप किसान हैं तो पीएम किसान एफपीओ योजना से जुड़कर इसका लाभ उठा सकते हैं.

खबर की शुरुआत में जागरण लिखता है, ‘‘किसानों की आर्थिक मदद के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयासरत है. केंद्र सरकार एक बार फिर किसानों के लिए योजना लेकर आई है. किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार नया कृषि बिल लाने की तैयारी कर रही है. इसी बीच सरकार किसानों को एक बड़ा गिफ्ट देने जा रही है. और इसके तहत सरकार किसानों को 15 लाख रुपए दे रही है.’’

जागरण की खबर के मुताबिक सरकार किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए नया कृषि कानून लाने की तैयारी में है, हालांकि अभी कोई नया कानून तो आ नहीं रहा है. वास्तव में यह पुरानी खबर है, जिसे जागरण ने दोबारा से प्रकाशित किया और वो भी कई गलत दावों के साथ.

जागरण का दावा

पीएम किसान एफपीओ योजना के माध्यम से केंद्र सरकार किसानों को 15 लाख रुपए की आर्थिक मदद देने जा रही है.

क्या है हकीकत

जागरण की इस रिपोर्ट से लगता है कि यह योजना आने वाले समय में शुरू होगी. दरअसल पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की पहली वर्षगांठ के दौरान 28 फरवरी 2020 को यूपी के चित्रकूट में कहा था कि 10 हजार नए एफपीएओ बनाए जाएंगे.

पीएम ने कहा था, ‘‘देश के किसानों की आय बढ़ाने के लिए, किसानों को सशक्त करने के लिए, 10 हजार कृषि उत्पादक संगठन की योजना लांच की गई. यानी किसान उत्पादक तो था ही अब वो एफपीओ के माध्यम से व्यापार भी करेगा.’’

इसके बाद पीएम कार्यक्रम में आए लोगों से वहां लगी प्रदर्शनी में शामिल देश के सफल एफपीओ वालों से मिलने की अपील करते हैं. यानी पहले से एफपीओ चल रहा था.

किसानों की आमदनी दोगुनी करने को लेकर बनी दलवाई कमेटी के प्रमुख अशोक दलवाई ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि एफपीओ योजना भारत में 2011 से चल रही है. एफपीओ से जुड़े एक सीनियर अधिकारी ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, ‘‘यह योजना 2011-12 से चल रही है. हालांकि पहले यह एकीकृत नहीं थी. 2013-14 में इसमें करीब नौ लाख रुपए मिलते थे लेकिन अब 18 लाख रुपए मिलते हैं.’’

वहीं मध्य प्रदेश में 2006 से ही कई एफपीओ चल रहे हैं.

जागरण का दावा- किसानों को 15 लाख रुपए की आर्थिक मदद

बता दें कि भारतीय जनता पार्टी और उनके नेता अक्सर इस बात से इंकार करते हैं कि पीएम मोदी ने कभी भी हर खाते में 15 लाख रुपए देने की बात नहीं कही थी. वहीं गृहमंत्री अमित शाह ने इसे जुमला बताया था. जबकि जागरण लिखता है, कभी नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने से पहले लोगों को 15-15 लाख रुपए देने का सपना दिखाया था अब वह सच होने जा रहा है. अगर आप किसान हैं तो पीएम किसान एफपीओ योजना से जुड़कर इसका लाभ उठा सकते हैं.

इसे पढ़कर ऐसा लगता है कि हरेक किसान को सरकार 15 लाख रुपए पीएफओ योजना के तहत दे रही है. वहीं खबर के अंदर लिखा है, ‘‘इस स्कीम का लाभ लेने के लिए 11 किसानों को मिलकर एक संगठन या कंपनी बनानी होगी.’’ जो कि दोनों अधूरी जानकारी है.

दरअसल 11 किसान मिलकर एफपीओ के लिए रजिस्ट्रेशन कर सकते है, लेकिन उन्हें कोई सरकारी लाभ नहीं मिलेगा.

7 जुलाई 2020 को भारत सरकार द्वारा पीएफओ को लेकर गाइडलाइन्स जारी की गई थीं. जिसके मुताबिक समतल क्षेत्र में न्यूनतम 300 किसानों का समूह और नार्थ-ईस्ट और पहाड़ी क्षेत्रों में 100 किसान समूह एफपीओ के लिए पात्र होंगे.

जागरण जहां 15 लाख रुपए का जिक्र कर रहा है. वहीं सरकारी दस्तावेज के मुताबिक 300 किसानों का संगठन, एफपीओ को तीन साल में 18 लाख रुपए देगा. ऐसे में देखें तो हर साल 6 लाख रुपए हुए. यदि प्रति किसान देखें तो 300 किसानों को साल भर में महज 2-2 हजार रुपए मिलेंगे. वहीं ये पैसे इन संगठनों को वापस नहीं करने हैं. इसे सरकार एफपीओ को स्थापित करने के लिए दे रही है.

दरअसल एफपीओ कंपनी एक्ट और सहकारी समितियों के तहत रजिस्टर होता है. बकायदा यह एक कंपनी की तरह चलता है. सरकारी दस्तावेज के मुताबिक तीन साल में 18 लाख की वित्तीय सहायता एफपीओ की संपूर्ण प्रशासनिक और प्रबंधन लागत की पूर्ति के लिए नहीं है. यह एफपीओ को टिकाऊ और आर्थिक रूप से खड़ा होने तक की जाएगी.

सरकार की तरफ से बकायदा एफपीओ में काम करने वाले कर्मचारियों की सेलरी की भी जानकारी दी गई है.

जागरण का दावा

जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम किसान एफपीओ योजना का लाभ पाने के लिए किसानों को अभी थोड़ा इंतजार करना होगा.

हकीकत

जागरण का यह दावा भी गलत है. दरअसल कई राज्यों में एफपीओ चल रहे हैं. एफपीओ की क्रियान्वयन एजेंसी लघु कृषक कृषि व्यापर संघ (एसएफएसी), नाबार्ड और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडी ) हैं.

लघु कृषक कृषि व्यापार सहायता-संघ (एसएफएसी) की वेबसाइट के मुताबिक भारत में अभी उनके सपोर्ट से 897 एफपीओ चल रहे हैं. जिसमें मध्य प्रदेश में 146 और महाराष्ट्र में 105 हैं. वहीं कर्नाटक में 125 एफपीओ हैं.

एसएफएसी की ही वेबसाइट पर गैर एसएफएसी प्रचारित एफपीओ की भी जानकारी दी गई. वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश गैर एसएफएसी प्रचारित एफपीओ की संख्या 178 और उत्तराखण्ड में 38 है.

एफपीओ से जुड़े सीनियर अधिकारी ने बताया, ‘‘फरवरी 2020 में प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद करीब 1000 की संख्या में एफपीओ बन चुके है.’’

इस खेल में सिर्फ जागरण ही अकेला नहीं….

इस पुरानी खबर को प्रकाशित करने वाला जागरण अकेला नहीं है, इसी खबर को न्यूज़ 18 हिंदी ने 8 अक्टूबर को और इंडिया.कॉम ने 6 अक्टूबर को प्रकाशित किया है. इंडिया डॉट कॉम ने इस पर वीडियो स्टोरी की है.

इंडिया डॉट कॉम ने भी अपनी रिपोर्ट में वहीं दावें किए हैं जो दैनिक जागरण की रिपोर्ट में हैं. इस योजना पर होने वाले खर्च की जानकारी देते हुए वीडियो में बताया गया है, साल 2024 तक 6885 करोड़ रुपए सरकार की तरफ से खर्च किए जाएंगे. वहीं सरकारी दस्तावेज के मुताबिक 2023-24 तक इसके लिए 4496.00 करोड़ का बजटीय प्रावधान है. वहीं 2026-27 तक इसपर कुल 6885 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे.

वहीं न्यूज़ 18 की खबर और दैनिक जागरण की खबर में मामूली अंतर है.

जागरण में जहां लिखा है, ‘‘किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार नया कृषि बिल लाने की तैयारी कर रही है. इसी बीच सरकार किसानों को एक बड़ा गिफ्ट देने जा रही है. और इसके तहत सरकार किसानों को 15 लाख रुपयए दे रही है.’’

वहीं न्यूज़ 18 ने लिखा, ‘‘कृषि बिल लाने के बाद कृषि को बड़े बिजनेस का रूप देने के लिए सरकार किसानों को तोहफा देने जा रही है. किसानों को नया कृषि बिजनेस शुरू करने के लिए सरकार 18 लाख रुपए मुहैया कराएगी.’’

न्यूज़ 18 में इसी पर एक डिटेल स्टोरी मार्च 2020 में छपी है.

हैरानी की बात ये है कि जिस योजना की घोषणा फरवरी 2020 में हुई. और जिसके लिए सरकार 7 जुलाई 2020 को गाइडलाइन्स जारी की गई थी, उसे लगातार मीडिया समय-समय पर प्रकाशित करता रहा.

हिंदुस्तान हिंदी, 1 जुलाई 2021

पीएम किसान FPO योजना: मोदी सरकार किसानों को देगी 15 लाख रुपये, क्या आप लेने को हैं तैयार?

ज़ी हिंदुस्तान, 2 जुलाई 2021

PM Kisan FPO Yojana: हर किसान पा सकता है 15 लाख रुपये, जानिए कैसे उठाएं इस स्कीम का लाभ

प्रभात खबर, 18 अगस्त 2021

PM Kisan FPO Yojana: किसानों को 15 लाख रुपये की मदद देगी पीएम मोदी की सरकार, जानें, कब-कैसे कर सकेंगे आवेदन

क्या इतना आसान है सरकार से 18 लाख रुपए लेना?

मध्य प्रदेश के दमोह जिले के रहने वाले पंकज कुमार शर्मा भी एफपीओ से जुड़े हुए हैं. एसएफएसी के जरिए बने ‘हटा आजीविका महिला किसान प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड’ को मैनेजमेंट ग्रांट का एक क़िस्त मिल चुका है. एक्युटी ग्रांट के लिए इन्होंने अप्लाई किया है, लेकिन अब तक नहीं मिल पाया. यह एफपीओ सोयाबीन पर काम करता है.

एफपीओ में सरकारी मदद कैसे मिलती है, इसको लेकर न्यूज़लॉन्ड्री ने शर्मा से बात की. उन्होंने बताया, ‘‘एफपीओ में 18 लाख रुपए मिलेंगे यह निश्चित नहीं है. उन्हीं एफपीओ को सरकारी मदद मिलती है जिससे 300 किसान जुड़े हों. अब ये 300 किसान कंपनी में 1000 रुपए जमा करते हैं तो कुल 3 लाख रुपए जमा हुए. इसके बाद सरकार की तरफ से नाबार्ड और एसएफएसी एजेंसियां इतना ही एक्युटी ग्रांट देती हैं. यह पैसा कंपनी के पास आता है. ऐसे में कंपनी के पास छह लाख रुपए हो जाते हैं और उन पैसों से कंपनी अपना बिजनेस आगे बढ़ाती है.’’

क्या एफपीओ के जरिए किसानों को आसानी से पैसे मिल सकते हैं? इस सवाल पर शर्मा कहते हैं, यह ना तो आसान है और ना ही मुश्किल. एक्युटी ग्रांट देने के सरकार के कुछ नियम है. जिसका जिक्र मैंने आपसे अभी किया अगर उस पैमाने पर खरे उतरते हैं तभी आपको मदद मिलेगी.’’

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