Report
क्या दुनिया फिर से जल संकट के कारण व्यापक पलायन के मुहाने पर खड़ी है?
दिल्ली के श्रम बाजारों में पिछले कुछ हफ्तों से भीड़ बढ़ने लगी है. अनौपचारिक कामगारों के ये बाजार आसपास के राज्यों, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के मौसम की स्थिति का पैमाना हैं. मानसून का यह मौसम अनिश्चितताओं से भरा है. दिल्ली के बाजारों में अनौपचारिक कामगारों की संख्या में वृद्धि भविष्य के सूखे का एक निश्चित संकेत है. कृषि के मौसम के मध्य इस पलायन को आमतौर पर पानी की कमी से जोड़कर देखा जा रहा है. श्रम बाजारों को ट्रैक करके और पलायन के लिए चर्चित राज्यों के प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर श्रमिकों की बढ़ती भीड़ देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनकी आजीविका कितने गहरे संकट में है.
हताशा भरे इस पलायन के मूल में हमेशा पानी की उपलब्धता रहती है. इस तरह के पलायन को देखकर पुराने घटनाक्रम जेहन में उभरने लगते हैं. करीब 50 लाख साल पहले पूर्वी अफ्रीका में पड़े सूखे ने हमारे पूर्वजों को जल समृद्ध स्थानों में पलायन के लिए बाध्य कर दिया था. कहा जाता है कि तभी से मनुष्य पानी के पीछे भाग रहा है. आवास और भोजन से अधिक पानी के लिए पलायन हुआ है. ओडिशा से दूरस्थ केरल में पलायन की प्रमुख वजह भी पानी था. इस पानी के संकट ने जीवनयापन को विभिन्न तरीकों से प्रभावित किया था. पारंपरिक जल संचयन प्रणालियों का पतन कृषि विफलताओं का कारण बना, जिसके परिणामस्वरूप बुंदेलखंड क्षेत्र से पलायन हुआ.
अगर हम इतिहास पर नजर डालें तो पाएंगे कि प्राचीन काल में बस्तियों उन्हीं स्थानों पर बसाई गईं जहां पानी उपलब्ध था. वर्तमान में इसकी कमी ने एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर पलायन बढ़ा दिया है. लोग जल की उपलब्धता और बेहतर आजीविका के लिए भी अपना पैतृक आवास छोड़ रहे हैं. प्राचीन काल में कृषि और शिकार आजीविका के प्रमुख साधन थे. समय के साथ हमने आजीविका के कई साधन बढ़ा लिए हैं.
सवाल उठता है कि क्या दुनिया पानी की कमी के कारण एक और परिवर्तनकारी पलायन का गवाह बनेगी? गंभीर जल संकट का प्रमाण हम सबके समक्ष है. जलवायु परिवर्तन से यह संकट और बढ़ गया है. विभिन्न अनुमानों से पता चलता है कि धरती के 66 प्रतिशत भूमि क्षेत्रों में पानी की कमी हो रही है. भीषण सूखे का सामना कर रही जनसंख्या 21वीं सदी के अंत तक दोगुनी हो सकती है. हाल ही में विश्व बैंक की रिपोर्ट “वेब एंड फ्लो: वाटर, माइग्रेशन एंड डेवलपमेंट” 64 देशों से एकत्रित आंतरिक पलायन के आंकड़ों का विश्लेषण करती है. ये आंकड़े 1960 से 2015 के दौरान 189 जनगणनाओं से लिए गए हैं. रिपोर्ट में दलील दी गई है कि समकालीन दुनिया में आंतरिक पलायन की प्रमुख वजह पानी की कमी रही है.
किसी बस्ती के लिए पूंजी मानी जाने वाली और सामाजिक विकास के लिए जरूरी विरासत में मिली जल संरचनाओं में कोई बदलाव नहीं हुआ है, जबकि हाल में मानव जनित परिवर्तनों के कारण हम पानी के प्रति और संवेदनशील हुए हैं, 50 लाख साल पहले से भी अधिक. आंकड़ों के इस व्यापक विश्लेषण से यह स्थापित होता है कि कम वर्षा के कारण 1970 और 2000 के बीच पलायन में 10-11 प्रतिशत वृद्धि हुई है.
रिपोर्ट के अनुसार, “हैरानी की बात है कि बारिश अथवा बाढ़ (वेट शॉक) के मुकाबले सूखे (ड्राई शॉक) के कारण पलायन पर पांच गुना असर पड़ता है. बार-बार सूखे के झटकों के कारण स्थानीय लोग खुद को अनुकूलित नहीं कर पाते.” पानी की कमी से उठने वाली पलायन की लहर विकासशील और गरीब देशों में अधिक प्रबल रही है.
पलायन के विभिन्न कारण हैं, जैसे बेहतर आर्थिक अवसरों की तलाश, उच्च शिक्षा की चाह, संघर्ष और भीषण आपदाएं. बहुत से देशों में सूखा या पानी की कमी से होने वाले पलायन को शिक्षा के लिए होने वाले पलायन के बाद रखा गया है. जलवायु परिवर्तन ने इस संकट को और बढ़ा दिया है. पिछले तीन दशकों में दुनिया की औसतन 25 फीसदी आबादी को हर साल असामान्य बारिश का सामना करना पड़ा. इस तरह के झटकों का लोगों पर बड़ा आर्थिक प्रभाव पड़ता है.
जलवायु परिवर्तन को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में सूखा बढ़ेगा जिससे पलायन और तेजी से बढ़ सकता है. विश्व बैंक की रिपोर्ट में पाया गया है कि किसी क्षेत्र में सबसे गरीब बारिश का दंश झेलने को अभिशप्त होंगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि 80 प्रतिशत निर्धनतम आबादी पर्याप्त पानी नहीं होने के बावजूद पलायन नहीं कर पाएगी क्योंकि आर्थिक तंगी आड़े आएगी.
(डाउन टू अर्थ से साभार)
Also Read: जल संकट के कारण लोग पलायन करने को मजबूर
Also Read
-
Exclusive: India’s e-waste mirage, ‘crores in corporate fraud’ amid govt lapses, public suffering
-
4 years, 170 collapses, 202 deaths: What’s ailing India’s bridges?
-
‘Grandfather served with war hero Abdul Hameed’, but family ‘termed Bangladeshi’ by Hindutva mob, cops
-
India’s dementia emergency: 9 million cases, set to double by 2036, but systems unprepared
-
धर्मस्थला में सामूहिक दफन की जांच: खुदाई के तीसरे दिन मिले मानव अवशेष