Report
पाञ्चजन्य के संपादक ने क्यों फैलाई मंदिर तोड़ने की अफवाह
पाञ्चजन्य पत्रिका के संपादक हितेश शंकर ने मंदिर तोड़े जाने का एक ट्वीट किया. अपने ट्वीट में हितेष शंकर ने गृहमंत्री अमित शाह और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी टैग किया था. बाद में दिल्ली पुलिस ने इसे गलत बताया. पुलिस के मुताबिक, उनकी पड़ताल में ट्वीट में जो बताया गया है वैसा कुछ नहीं मिला.
हितेश शंकर ने 23 सिंतबर को एक ट्वीट किया. दोपहर एक बजकर 14 मिनट पर किए गए इस ट्वीट में उन्होंने लिखा- “दिल्ली के मुस्लिम बहुल नूर नगर में एक मंदिर को ध्वस्त करने के बाद निशान तक मिटाए जा रहे हैं. मंदिर गिराने वालों को मंदिर वहीं बनाना होगा!”
इस ट्वीट में शंकर ने मुस्लिम बहुल नूर नगर में मंदिर तोड़ने का जिक्र तो किया और साथ ही गृह मंत्री अमित शाह, अरविंद केजरीवाल और वीएचपी के अध्यक्ष आलोक कुमार को टैग किया. लेकिन यह नहीं बताया की मंदिर कौन तोड़ रहा है? सिर्फ इतना ही लिखा कि मंदिर मुस्लिम बहुल इलाके में टूट रहा है.
इसके बाद पूर्वी दिल्ली के नूर नगर इलाके के रहने वाले लोगों ने मंदिर तोड़ने की घटना की सच्चाई को सामने रखा, लेकिन शंकर ने उस पर ध्यान नहीं दिया. विवाद बढ़ने के बाद शाम 7 बजकर 49 मिनट पर डीसीपी साउथ ईस्ट ने शंकर के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए बताया, “स्थानीय पुलिस ने ट्वीट की सामग्री को सत्यापित करने के लिए मौके का दौरा किया. संपत्ति हिंदू समुदाय के एक सदस्य की है जो मंदिर से सटी अपनी संपत्ति में तोड़फोड़ कर रहे थे. मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ है, वह बिल्कुल ठीक है.”
पुलिस अधिकारी का बयान सामने आने के बाद हितेश शंकर की फजीहत शुरू हो गई. इसके बाद रात 10:10 बजे शंकर ने एक और ट्वीट कर अपनी तरफ से कुछ “तथ्य” बताए.
“तथ्य :
1) मंदिर का अर्थ केवल गर्भगृह नहीं, ऐसा पूरा परिसर देवता का स्थान होता है.
2) साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वालों से इतर ध्यान दें स्थानीय मुस्लिम ही मंदिर तोड़ने का विरोध कर रहे हैं.
3) पिता ने मंदिर बनवाया तो क्या पुत्र भूमि को व्यावसायिक उपयोग में बदल सकता है?”
यह सारे तर्क हितेश ने उनके दावे का एक पुलिस अधिकारी द्वारा खंडन करने के बाद दिया. जबकि उनके पहले ट्वीट का संदेश साफ तौर पर सांप्रदायिक था. ये तथाकथित तथ्य उन्होंने पहले ट्वीट में नहीं बताया. पहले ट्वीट में उन्होनें नूर नगर और मुस्लिम बहुल इलाके का जिक्र किया. उन्होंने यह बात नहीं बतायी कि मंदिर एक हिंदू का है, वह व्यक्ति स्वयं उसमें बददलाव कर रहा है.
पूरा मामला क्या है
विवाद बढ़ने पर शंकर ने अपने ट्वीट में एक पत्र भी साझा किया. यह पत्र सईद फैजुल अजीम उर्फ अर्सी ने दिल्ली पुलिस के एसीपी को 10 सिंतबर को लिखा था. जिसमें कहा गया है- “इस जमीन पर बने मंदिर में स्थानीय लोग कई सालों से पूजा करते आ रहे हैं. यहां हो रही तोड़फोड़ से सांप्रदायिक घटना हो सकती है, इसलिए पुलिस कोई कार्रवाई करें.”
सईद फैजूल अजीम उर्फ अर्सी न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, “यह जमीन जोहरी लाल की है और यहां करीब 50 साल से मंदिर और धर्मशाला बनी है. यहां रहने वाले स्थानीय लोग मंदिर में पूजा करते हैं. यह लोग धर्मशाला को तोड़कर वहां बिल्डिंग बना रहे थे. इसलिए हमने पुलिस को सूचना दी, ताकि कोई सांप्रदायिक घटना ना हो.”
पुलिस को आवेदन देने के साथ-साथ अर्सी ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की, जिस पर 24 सिंतबर (शुक्रवार) को सुनवाई हुई. अर्सी कहते हैं, “दिल्ली हाईकोर्ट ने हमारी याचिका पर सुनवाई करते हुए मंदिर के निर्माण कार्य पर रोक लगा दी. कोर्ट ने कहा कि इस जमीन पर कोई निर्माण नहीं हो सकता. यहां धर्मशाला और मंदिर ही रहेगा.”
क्या मंदिर में तोड़फोड़ की गई? इस पर वह कहते हैं, “अभी तक तो मंदिर नहीं तोड़ा गया. लेकिन उन लोगों ने धर्मशाला को तोड़ने के बाद मंदिर को ढ़क दिया था. मंदिर के कुछ हिस्सों में जरूर नुकसान हुआ है.”
न्यूज़लॉन्ड्री खुद मौके पहुंचा. हमने पाया कि मंदिर पूरी तरह से सुरक्षित था. बगल में धर्मशाला टूटी हुई थी. बाहर गेट पर ताला लगा था. स्थानीय लोगों ने भी बताया कि मंदिर ठीक है.
नूर नगर में कुछ ही घर हिंदुओं के हैं. जैसा हितेश शंकर के पहले ट्वीट से प्रतीत हो रहा है कि “मंदिर तोड़ने के बाद अब उसके निशान मिटाए जा रहे हैं.” ऐसा मौके पर नहीं है. वहां मौजूद गार्ड ने कहा, अंदर आने के लिए थाने से अनुमति लेनी होगी.
न्यूज़लॉन्ड्री ने हितेश शंकर से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया. हमने उन्हें कुछ सवाल भेजे हैं लेकिन उनका भी कोई जवाब नहीं मिला.
Also Read
-
A flurry of new voters? The curious case of Kamthi, where the Maha BJP chief won
-
Delhi’s demolition drive: 27,000 displaced from 9 acres of ‘encroached’ land
-
Delhi’s war on old cars: Great for headlines, not so much for anything else
-
डिस्टर्ब्ड एरिया एक्ट: गुजरात का वो कानून जिसने मुस्लिमों के लिए प्रॉपर्टी खरीदना असंभव कर दिया
-
How Muslims struggle to buy property in Gujarat