Report
कृषि कानूनों के विरोध में अकाली दल और बसपा ने निकाला 'ब्लैक फ्राइडे प्रोटेस्ट मार्च'
कृषि कानूनों के विरोध में शुक्रवार 17 सितम्बर को शिरोमणि अकाली दल ने दिल्ली में 'ब्लैक फ्राइडे प्रोटेस्ट मार्च' का आयोजन किया. इस मार्च को समर्थन देने तीन अन्य संगठन- बहुजन समाज पार्टी, युवा अकाली दल और अकाली दल की छात्र इकाई स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया भी शामिल हुए. यह मार्च गुरुद्वारा रकाब गंज से सुबह आठ बजे शुरू हुआ. लेकिन पुलिस की भारी तैनाती और जगह-जगह बैरिकेडिंग के कारण शुरुआत देरी से हुई. सैंकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता पुलिस बैरिकेडिंग लांघ कर संसद भवन की तरफ आगे बढे. इस विरोध मार्च का नेतृत्व पार्टी प्रमुख सुखबीर सिंह बादल और नेता हरसिमरत कौर बादल ने किया.
अकाली दल के प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने झाड़ोदा बार्डर बंद कर दिया. वहीं इसके बाद दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) ने भी जानकारी दी कि पंडित श्रीराम शर्मा और बहादुरगढ़ सिटी मेट्रो स्टेशन के प्रवेश और निकास द्वार को किसान आंदोलन के चलते एहतियातन बंद कर दिया गया है. दिल्ली पुलिस का कहना है कि कोविड नियमों के चलते अकाली दल के इस मार्च को अनुमति नहीं दी थी. हालांकि बाद में करीब 11:30 बजे दिल्ली पुलिस ने अकाली दल को पंत मार्ग तक मार्च करने की अनुमति दी.
इस मार्च को अकाली दल की नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने संबोधित किया. वह कहती हैं, "भाजपा सरकार ने कहा था, 'सबका साथ, सबका विकास' लेकिन इन वर्षों में न तो सरकार ने किसानों का साथ दिया और ना ही उनके लिए कुछ विकास किया. भाजपा सरकार बड़ी-बड़ी बातें करती है. किसान आंदोलन के दौरान कितने किसान शहीद हुए. उनके बारे में एक भी बार नहीं सोचा. सरकार के खिलाफ इस जंग में मजबूती के साथ खड़े रहने के लिए मैं युवाओं को शुक्रिया कहती हूं. अगर सरकार ने पारित तीन कृषि कानूनों को वापिस नहीं लिया तो 2024 दूर नहीं है. भाजपा अपनी उल्टी गिनती शुरू कर दे. ना यूपी जीतेंगे, ना पंजाब में पैर रखने दिया जाएगा." बता दें कि हरसिमरत कौर बादल ने कृषि कानूनों के विरोध में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.
इस विरोध मार्च में भाग लेने के लिए पंजाब के अलग-अलग जिलों से कई विधायक भी शामिल हुए. जालंधर के नकोदार से विधायक गुरप्रताप सिंह वडाला ने न्यूज़लॉन्ड्री से बात की. उन्होंने बताया, "युवा अकाली दल ने वॉलियंटर्स की भूमिका निभाई. उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि यह मार्च शांतिपूर्ण तरह से संपन्न हो. यहां शामिल हुए अधिकतर लोग गुरुवार रात को ही दिल्ली पहुंच गए थे. इन सभी का बंदोबस्त गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने किया है. सभी के रुकने और लंगर का इंतजाम गुरुद्वारा रकाब गंज में हुआ है."
मार्च में शामिल लोगों ने अपने हाथ पर काली पट्टी बांधी. साथ ही पोस्टर और नारों के जरिए सरकार तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की.
युवा आकाली दल के महासचिव नविंदर सिंह लोंगेवाल न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं, "हम शांतिपूर्वक मार्च निकाल रहे हैं. सरकार की मंशा इस बात से पता लगाई जा सकती है कि यहां भारी संख्या में पुलिस बल मौजूद है. हमें संसद जाने से रोका गया. सरकार अगर आम जनता की मांग नहीं मान सकती तो धिक्कार है ऐसी सरकार पर."
शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर बादल भी प्रदर्शनकारियों के बीच पहुंचे और किसानों को संबोधित किया. उन्होंने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पर निशाना साधा.
सुखबीर सिंह कहते हैं, "कांग्रेस की मनमोहन सरकार ने पहली बार इन काले कृषि कानूनों को संसद में पेश किया था. जिसका विरोध हुआ और इसे लाने नहीं दिया गया. अमरिंदर सिंह ने सरकारी मंडियो को निजी मंडियो में बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ी. कांग्रेस के राहुल गांधी भी यही चाहते हैं कि सरकारी मंडिया खत्म हो जाएं. वहीं केजरीवाल का अपना कोई स्टैंड नहीं है. वो पराली जलाने के लिए पंजाब के किसानों पर जुर्माना लगाने की बात करते हैं. मोदी और खट्टर सरकार ने पूरा जोर लगा लिया कि आज यह मार्च ना हो पाए. जगह- जगह हमारे लोगों को रोका गया. हम इस हुकूमत को बताना चाहते हैं कि किसान चुप नहीं बैठेगा. पंजाब को आगे बढ़ना है. पंजाब की जनता ही पंजाब की तरक्की है. पंजाब को एक ऐसे लीडर की जरूरत है जो किसानों के बारे में सोचे. अकाली दल किसानों की जत्थेबंदी है. यह हमेशा किसानों की आवाज़ उठाएंगे."
इस विरोध मार्च में बहुजन समाज पार्टी भी शामिल हुई. बीएसपी पंजाब अध्यक्ष जसवीर सिंह गढ़ी ने न्यूज़लॉन्ड्री से बात की. उन्होंने आगामी पंजाब चुनाव में अपनी हिस्सेदारी के बारे में बताया, जसवीर सिंह गढ़ी कहते हैं. "बहन मायावती के नेतृत्व में बीएसपी और अकाली दल का गठबंधन हो चुका है. बीएसपी पंजाब में 20 सीटों और अकाली दाल 97 सीटों पर चुनाव लड़ेगी."
बता दें कि सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों का विरोध एक बार फिर जोर पकड़ रहा है. पांच सितम्बर को किसानों ने मुजफ्फरनगर में महापंचायत का आयोजन किया था. इस दौरान किसानों ने कहा था कि वे आगामी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब चुनावों में भाजपा के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे. वहीं आज के विरोध प्रदर्शन के बाद ऐसा माना जा रहा है कि सुखबीर सिंह बादल पंजाब में शिरोमणि अकाली दल का सीएम चेहरा हो सकते हैं.
Also Read
-
NL Hafta: Decoding Bihar’s mandate
-
On Bihar results day, the constant is Nitish: Why the maximiser shapes every verdict
-
Missed red flags, approvals: In Maharashtra’s Rs 1,800 crore land scam, a tale of power and impunity
-
6 great ideas to make Indian media more inclusive: The Media Rumble’s closing panel
-
Friends on a bike, pharmacist who left early: Those who never came home after Red Fort blast