Film Laundry
फिल्म लॉन्ड्री: फ़िल्मों और दर्शकों की कश्मकश में सिनेमाघरों की असमंजस
गौर करें तो देश भर के सिनेमाघरों की स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया है. महामारी के दौर में दूसरी बार सिनेमाघरों के खुलने और फिल्मों के थिएटर रिलीज के आसार दिख रहे हैं. पाठकों को याद होगा कि पिछले साल भी लगभग सात महीनों की तालाबंदी के बाद अक्टूबर में सिनेमाघर खोले गए थे, लेकिन दर्शकों और फिल्मों की कमी से उनके लिए ‘नौ की लकड़ी, नब्बे का खर्च’ का मुहावरा चरितार्थ हुआ था. तब की स्थिति इसी कॉलम में 15 अक्टूबर 2020 को ‘दर्शक और फिल्में कम- बंद होते सिनेमाघर’ शीर्षक से एक रिपोर्ट आई थी.
पर्याप्त फिल्मों और दर्शकों के अभाव के बावजूद सिनेमाघर 2021 की पहली तिमाही तक खुले रहे. याद करें तो इस साल फरवरी में धड़ाधड़ फिल्मों की रिलीज की तारीखों की घोषणा हुई थी, क्योंकि ऐसा लग रहा था कि अब स्थिति सामान्य हो रही है. मार्च महीने में कोरोना की दूसरी लहर की तेजी ने फिर से फिल्मों का कारोबार ठप कर दिया. सारे सिनेमाघर बंद हो गए.
फिल्म कारोबार के लिहाज से 2020 हिंदी सिनेमा के इतिहास में घातक मंदी के साल के रूप में याद किया जाएगा. रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल फिल्मों के कारोबार में 75 प्रतिशत का नुकसान हुआ था. इस साल की स्थिति में कोई अब तक खास सुधार नहीं हुआ है. 2021 की पहली तिमाही में बड़ी फिल्मों के प्रदर्शित नहीं होने की वजह से कारोबार 50 करोड़ के करीब रहा. दूसरी तिमाही से सिफर है, क्योंकि सिनेमाघर बंद रहे. तीसरी तिमाही का एक महीना निकल चुका है.
घोषणा के मुताबिक 30 जुलाई से दिल्ली के सिनेमाघर खुल जाने चाहिए थे, लेकिन मिली खबरों के मुताबिक सप्ताहांत में मॉल के बंद होने के कारण मल्टीप्लेक्स नहीं खोले जा रहे हैं. कोलकाता में ममता बनर्जी की सरकार ने भी 50 प्रतिशत क्षमता और मानक संचालन प्रक्रिया के पालन के साथ सिनेमाघर खोलने के आदेश दिए हैं, लेकिन सिनेमाघर के मालिकों को बांग्ला, हिंदी और अंग्रेजी की फिल्मों का इंतजार है. कर्नाटक में 19 जुलाई से ही सिनेमाघर खोलने के आदेश जारी हुए, लेकिन थिएटर मालिकों ने कोई हड़बड़ी नहीं दिखाई. वहां भी नई फिल्मों का इंतजार हो रहा है. कमोबेश यही स्थिति परिस्थिति अन्य राज्यों की भी है.
सूचनाओं के अनुसार दिल्ली, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और पंजाब में सिनेमाघर खोले गए हैं, एक आंकड़े के अनुसार लगभग 4000 सिनेमाघर खुले हैं, आदेश की औपचारिकता पूरी हो गई है. व्यावहारिक और जमीनी स्तर पर दर्शकों के लिए सिनेमाघर बंद हैं. उनके दरवाजे अवश्य खुले हैं, लेकिन बॉक्स ऑफिस का शटर गिरा हुआ है.
दरअसल फिल्में कहां हैं कि उन्हें प्रदर्शित किया जाए? फिल्में अगस्त के दूसरे-तीसरे हफ़्ते से आनी शुरू होंगी. आशंका, डर और असुरक्षा की वजह से दर्शक किसी उत्साह में नहीं दिख रहे हैं. दर्शकों को ओटीटी प्लेटफॉर्म का विकल्प मिला हुआ है. अभी जोखिम कौन उठाए? दिल्ली के सिनेमाघर फिल्मों की रिलीज के इंतजार का समय थिएटर की सफाई और मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार सारी व्यवस्था चाक-चौबंद करने में खर्च कर रहे हैं. हिंदी प्रदेशों में मुख्य रूप से हिंदी फिल्में ही रिलीज होती हैं.
फिलहाल सबसे पहले अक्षय कुमार अभिनीत और रंजीत तिवारी निर्देशित ‘बेल बॉटम’ 19 अगस्त को रिलीज हो रही है. पहले यह 27 जुलाई 2021 को रिलीज हो रही थी. यूं तो अक्षय कुमार अभी लोकप्रिय स्टार हैं, लेकिन यह फिल्म उनकी ‘सूर्यवंशी’ की तुलना में छोटे पैमाने की है. बड़ी फिल्मों में रणवीर सिंह की ‘83’ भी शामिल है. ये दोनों फिल्में पिछले साल की पहली तिमाही में रिलीज होने वाली थीं. ‘सूर्यवंशी’ और ‘83’ की तरह ‘सतरंगी रे’, ‘पृथ्वीराज’, ‘जयेशभाई जोरदार’, ‘जर्सी’, ‘लाल सिंह चड्ढा’ और ‘सत्यमेव जयते ‘जैसी फिल्मों की भी रिलीज की प्रतीक्षा है.
ट्रेड विशेषज्ञ बताते हैं, “वर्तमान स्थिति में उल्लेखनीय सुधार नहीं हुआ तो इस साल हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के कारोबार में तीन से चार हजार करोड़ का नुकसान होगा.”
हिंदी फिल्मों के कारोबार का मुख्य सेंटर मुंबई समेत महाराष्ट्र के सिनेमाघर हैं. हिंदी सिनेमा के आरंभिक दौर से फिल्म कारोबार में मुंबई टेरिटरी की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा रही है. महाराष्ट्र के किनेमाघरों के बंद होने से लगभग 30 से 40 प्रतिशत की हिस्सेदारी का निश्चित नुकसान कोई भी निर्माता नहीं उठाना चाहता.
ट्रेड विशेषज्ञों की यही राय है कि महाराष्ट्र के सिनेमाघरों के खुलने के बाद ही बड़ी हिंदी फिल्मों की रिलीज की संभावना बन सकती है. निर्माताओं को भरोसा होगा, हालांकि महाराष्ट्र के कुछ शहरों में संक्रमण दर कम होने पर सिनेमाघरों के खोलने की अनुमति जरूर मिली है. फिर भी सभी को मुंबई के सिनेमाघरों के खुलने की प्रतीक्षा है. अभी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे किसी दबाव में सिनेमाघर खोलने का आदेश जारी करने की भूल नहीं करना चाहते. मुंबई में अभी तक संक्रमण दर 5 प्रतिशत बना हुआ है और यह चिंताजनक स्थिति है. इसके अलावा तीसरी लहर की आशंका ने प्रशासन को सचेत और सावधान कर रखा है. मुंबई के ट्रेड जानकारों के अनुसार अगस्त के दूसरे या तीसरे हफ्ते में मुंबई के सिनेमाघरों के खुलने की उम्मीद की जा रही है. मुख्यमंत्री पर दबाव बढ़ रहा है कि दूसरे राज्यों ने तो खोल दिया.
वास्तव में आम दर्शकों के मनोरंजन की बेसिक जरूरत ओटीटी से पूरी हो जा रही है, इसलिए सिनेमाघरों को खोलने का दबाव नागरिकों (दर्शकों) की तरफ से नहीं हो रहा है. ओटीटी पर अगस्त महीने में ही सिद्धार्थ मल्होत्रा की ‘शेरशाह’, अजय देवगन की ‘भुज’ और मनोज बाजपेयी की ‘डायल 100’ के अलावा अन्य कुछ फिल्में हिंदी फिल्मों की रिलीज तय है.
फिल्मों के साथ वेब सीरीज और डॉक्यूमेंट्री भी नियमित आते रहते हैं. महामारी की तालाबंदी के इस दौर में दर्शकों को देश की दूसरी भाषाओं और विदेशी फिल्मों का चस्का लग गया है. सारी फिल्में ओटीटी के प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं और दर्शक सबटाइटल की ‘एक इंच की बाधा; से उबर चुके हैं. फिल्म देखने के प्रति वे साक्षर और सिद्ध हुए हैं. ओटीटी प्लेटफॉर्म भी अब अंग्रेजी के साथ अन्य भारतीय भाषाओं में सबटाइटल या डबिंग कर दर्शकों को रिझा रहे हैं. अभी यह भी गिनती करनी है कि तालाबंदी के इस दौर में कितने सिंगल स्क्रीन बंद हो गए हैं.
और अंत में…
फिल्म के कारोबार के इस अनिश्चय के बीच हिंदी प्रदेशों के दर्शकों को अपने इस दावे का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए कि ‘हिंदी फिल्में हिंदी प्रदेशों के दम’ पर चलती हैं. यह दावा खोखला है. इसकी सच्चाई सामने आ गयी है. एक तो हिंदी प्रदेशों में सिनेमाघरों की संख्या दूसरे राज्यों की तुलना में लगातार कम होती गई है और दूसरे हिंदी प्रदेशों के दर्शक थिएटर जाने के बजाय दूसरे माध्यमों से मुफ्त या किफायत में फिल्में देखने के आदी हो गए हैं.
सामान्य दिनों में भी फिल्म कारोबार में हिंदी प्रदेशों की हिस्सेदारी न्यूनतम रहती है. इन दिनों तो बेंगलुरु हिंदी फिल्मों के कारोबार के नए केंद्र के रूप में उभर रहा है.
Also Read
-
TV Newsance 307: Dhexit Dhamaka, Modiji’s monologue and the murder no one covered
-
Hype vs honesty: Why India’s real estate story is only half told – but fully sold
-
2006 Mumbai blasts: MCOCA approval was based on ‘oral info’, ‘non-application of mind’
-
South Central 37: VS Achuthanandan’s legacy and gag orders in the Dharmasthala case
-
The Himesh Reshammiya nostalgia origin story: From guilty pleasure to guiltless memes