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1,000 धर्मांतरण का बहुचर्चित मामला: कौन है उमर गौतम?
पिछले एक सप्ताह से टीवी न्यूज़ चैनल उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा एक कथित 'धर्मांतरण गिरोह' की धर-पकड़ पर प्राइम टाइम शो चला रहे हैं. हमें बताया गया है कि इस नेटवर्क के तार पूरे भारत में फैले हुए हैं. गुस्से से भरे हुए ये टीवी एंकर यह भी बताते हैं कि इस धर्मांतरण गिरोह की फंडिंग पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा की जाती है.
पुलिस द्वारा इस कथित गिरोह को चलाने वाले चार लोगों की गिरफ़्तारी की गई है. जहां मुख्यधारा की मीडिया का दावा है कि 1,000 से भी ज्यादा लोग इस गिरोह के शिकार हो चुके हैं वहीं अब तक कुल दो परिवारों ने ही अपने बेटों के जबरन धर्म-परिवर्तन के आरोप लगाये हैं.
और दोनों ही कथित पीड़ित नोएडा के एक बधिर विद्यालय के छात्र हैं.
तो आखिर इस धर्मांतरण गिरोह का मसला है क्या? वो कौन लोग हैं जो कथित तौर पर इसके संचालन के लिए गिरफ़्तार किये गये हैं? असल में उन पर कौन-कौन से आरोप लगाये गये हैं? क्या टीवी स्क्रीन्स पर चलाये जा रहे नैरेटिव में कोई सच्चाई है?
इन सब सवालों के जवाब ढूंढ़ने के लिए न्यूज़लॉन्ड्री ने जमीनी स्तर पर काम किया है.
दिल्ली के बाटला हाउस की एक इमारत की चौथी मंज़िल के बाहर लगा नेमप्लेट उसमें रहने वाले की पहचान बताता है, "मो० उमर गौतम, चेयरमैन, आईडीसी."
20 जून को आईडीसी या इस्लामिक दावा सेंटर के एक अन्य कर्मचारी मुफ़्ती काज़ी जहांगीर के साथ उमर को गिरफ़्तार करने वाली यूपी पुलिस की एंटी टेररिस्ट स्क्वाड के अनुसार उमर गौतम इस "धर्मांतरण गिरोह" के सरगना हैं.
उमर के घर का डोरबैल बजाने पर अंदर से एक औरत ने जवाब दिया. "हम मीडिया से बात नहीं करना चाहते" उन्होंने कहा. "आप सच्चाई नहीं दिखा रहे हैं."
यह उमर की पत्नी रज़िया थीं. उमर के परिवार का पक्ष जानने के लिए हमें उन्हें थोड़ा मनाना भी पड़ा.
श्याम प्रताप से उमर गौतम
उमर से रज़िया की शादी को 30 साल से ज्यादा हो चुके हैं. दोनो मूलरूप से उत्तर प्रदेश के फतेहपुर के राजपूत परिवारों से आते हैं.
"मेरे पति भगवान हनुमान के भक्त थें और हर मंगलवार और शनिवार को मंदिर जाते थें" रज़िया ने 1980 के दशक में दंपत्ति के हिन्दू से इस्लाम में धर्म परिवर्तन की कहानी को याद करते हुए बताया. "हम इतने ज्यादा धार्मिक थें कि लोग मुझे पूजिता कहते थें, जिसका मतलब है पूजा करने वाली. जैसे कि उत्तर प्रदेश के हिन्दू परिवारों में रिवाज़ हैं हम 'माघी स्नान' के लिए भी जाते थें. हमारी शादी किशोरावस्था में ही कर दी गयी थी."
माघी स्नान वार्षिक तौर पर पूरे 30 दिनों तक मनाये जाने वाला रिवाज़ है जिसमें श्रद्धालु गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं.
यह 1984 की बात है. उमर तब श्याम प्रताप सिंह हुआ करता था और आज के उत्तराखंड में स्थित गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय में बीएससी की पढ़ाई कर रहा था. विश्वविद्यालय में उनका एक रूममेट मुसलमान था जिसका नाम नासिर खान था. "नासिर मेरे पति को साइकिल पर बैठाकर हर हफ्ते मंदिर लेकर जाता था." रज़िया ने बताया. "एक दिन श्याम ने उससे पूछा, वो क्यों हर हफ्ते उसको इतनी लगन से मंदिर लेकर जाता है? 'अपने अल्लाह को खुश करने के लिए', नासिर ने जवाब दिया. 'मेरा मज़हब मुझे अपने हक़ूक़ में रह रहे लोगों का ध्यान रखना सिखाता है.’ यही वो घटना है जिसने श्याम की जिंदगी बदलकर रख दी.
'जो भी मेरे हक़ूक़ में है' से नासिर का मतलब था उसके सामाजिक दायरे के भीतर आने वाले लोग जिन्हें उसके धर्म ने उसे उसकी नैतिक जिम्मेदारी मनाने का हुक्म दिया था.
श्याम ने पूरा एक महीना बाइबल, गीता और क़ुरान पढ़ने में बिता दिया और उसके बाद इस्लाम धर्म अपना लिया. उसने अपना एक नया नाम, मो० उमर गौतम रख लिया. उसका धर्मांतरण कोई अनोखी घटना नहीं थी. फतेहपुर और उसके आस-पास के कुछ गांवों में अक्सर राजपूतों को इस्लाम अपनाते हुए देखा जाता था.
90 के दशक में उमर और रज़िया दिल्ली चले आयें. करीब 10 सालों से ज्यादा वक़्त के लिए 1995 से 2007 के बीच उमर एक बहुत बड़े इत्र कारोबारी बदरुद्दीन अजमल की कंपनी अजमल एंड संस में काम करता था. बदरुद्दीन अजमल राजनैतिक दल ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक फ्रंट के नेता हैं जिसका मुख्यालय असम के होजाई में है. रज़िया के अनुसार उनके पति अजमल एंड संस द्वारा चलाये जा रहे विद्यालयों की देख-रेख करते थें.
2008 में उमर ने इस्लामिक दावा सेंटर नाम के एक चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की. "आईडीसी द्वारा चलाये जाने वाले विभिन्न अभियानों में नियमित तौर पर जरूरतमंदों को कम्बल बांटने और लॉकडाउन में लोगों को खाना बांटने जैसे कार्यक्रम शामिल थें." रज़िया ने बताया.
यूपी पुलिस द्वारा लगाये गये आरोप, आईडीसी और "धर्मांतरण गिरोह" का संबंध, का मामला क्या है? "यदि कोई मेरे पति के पास आकर इस्लाम में धर्मांतरण करने की इच्छा जाहिर करता है तो उनका भूमिका एक मददगार की होगी जो दस्तावेज़ों के संबंध में उनकी सहायता करेगा." रज़िया ने समझाया. उन्होंने आगे यह भी जोड़ा कि इसमें कुछ भी गैर-कानूनी नहीं है. धार्मिक परिवर्तन को कानूनी और औपचारिक तौर पर मान्य बनाने के लिए धर्मांतरण की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को सब-डिविज़नल मजिस्ट्रेट के हस्ताक्षर वाला एक हलफनामा दायर करना पड़ता है. इसके बाद ही आईडीसी जहांगीर कासमी द्वारा हस्ताक्षर किया हुआ 'धर्मांतरण प्रमाणपत्र' जारी करता है.
आईएसआई की फंडिंग के आरोपों को झुठलाते हुए रज़िया ने कहा कि आईडीसी को उसके मित्रों, रिश्तेदारों और शुभचिंतकों से मदद मिलती है. इसे यूएस और यूके जैसे दूसरे देशों में रहने वाले लोगों से भी मदद मिलती है. इसके साथ ही आईडीसी को थोड़ा ज़कात भी मिलता है जो कि इस्लाम के अनुसार उसके अनुयायियों की संपत्ति पर लगने वाला अनिवार्य कर है.
'आस-पास के लोगों से पूछिये, क्या हमने किसी का जबरन धर्मांतरण करवाया है'
"मेरे पति एक इज़्ज़तदार आदमी और सम्मानित विद्वान हैं. इस घटना से मेरा पूरा परिवार बिखर गया है." रज़िया ने अपने हिज़ाब से आंसू पोछते हुए कहा. "आप आसपास में पूछ सकते हैं कि क्या हमने किसी का भी जबरन धर्मांतरण करवाया है. हमारा ही हाउस हेल्प नेपाल का रहने वाला है उससे पता करिये क्या हमने कभी भी उसे धर्म परिवर्तन करने के लिए प्रभावित करने की कोशिश की है."
उमर और रज़िया के दो बेटे और एक बेटी है. बड़ा बेटा एक आईटी फर्म में इंजीनियर है और छोटा एमबीए की तैयारी कर रहा है. उनकी बेटी फातिमा, दिल्ली के एक डीम्ड विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर है. उसने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि उसके पिता जांच में पूरा सहयोग कर रहे थें और तभी उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया. "मुझे उस दिन उनका घर से बाहर जाना याद है. हमें लगा कि चूंकि हमारी ओर से सब कुछ बेहद पारदर्शी है, इसलिए सब ठीक ही होगा. वरना हमने स्थानीय वकीलों और नेताओं को इसकी सूचना दी होती." उसने लगभग टूटते हुए कहा.
फातिमा ने कहा कि उनके पास उन सभी धर्मांतरण के रिकॉर्ड है जिनको कानूनी और औपचारिक बनाने में आईडीसी ने मदद की थी. "हम वापस मुसलमान बनने वाले लोगों की वीडियो क्लिप्स भी पेश कर सकते हैं जिन्होंने खुद-बखुद इस्लाम अपना लिया, उसने बताया और साथ ही यह भी बताया कि उसका परिवार उमर के लिए समर्थन जुटाने के लिए एक ऑनलाइन कैंपेन चलाने की योजना बना रहा है.
इस वक़्त तक उमर के कुछ रिश्तेदार भी इस चर्चा में जुड़ चुके थें. कानपुर की रहने वाली अंजुम ने बताया कि उन्होंने करीब एक दशक पहले सिख धर्म से इस्लाम में परिवर्तन करने के लिए उमर से संपर्क किया था. "मेरे पति मुसलमान थें और मैं हमारे रिश्ते को कानूनी शक्ल देना चाहती थी." उन्होंने आगे जोड़ा, "मैं सिखों के परिवार से आती हूं. हम ब्रह्मकुमारियों के आदर्शों को मानते हैं."
नीचे की मंज़िल पर रहने वाली एक और बुजुर्ग महिला पड़ोसी ने कहा, "खाना और मज़हब जबरन किसी के हलक से नीचे नहीं उतारे जा सकते."
उन्होंने दावा किया कि कुछ रोज पहले एक टीवी के लोग उनके घर आकर उनसे ये पूछ रहे थें कि उमर किस तरह का आदमी था. "उन्होंने कभी इस बातचीत को टीवी पर नहीं दिखाया क्योंकि मैंने उसके बारे में अच्छी बातें कहीं थीं." उन्होंने आगे जोड़ा.
रज़िया ने यूट्यूब पर मिल्लत टाइम्स का एक वीडियो अपने मोबाइल पर चलाकर मुझे दिया. इसमें बंगलुरु के एक डॉक्टर शुजीत शुक्ला का इंटरव्यू था. उमर की गिरफ़्तारी के दो दिनों बाद जारी इस वीडियो में शुजीत शुक्ला कह रहे हैं कि सालों पहले उन्होंने एक रेल यात्रा के दौरान उमर को धर्मान्तरण की बात करते सुना था और 2004 में जब उन्होंने इस्लाम में धर्मांतरण करने की बात सोची तो उन्होंने उमर से संपर्क करने की कोशिश की थी. "सब कुछ कागजी तौर पर हुआ है और सारे दस्तावेज़ जमा किये गये हैं." शुक्ला ने कहा जब उनसे धर्मांतरण प्रक्रिया के बारे में पूछा गया. क्या धर्मांतरण से उन्हें कोई आर्थिक लाभ मिला है? इस पर शुक्ला हंसे और कहा, "वैसे तो ये एक घाटे का सौदा था क्योंकि धर्मांतरण होते ही मुझसे सारे पारिवारिक रिश्ते तोड़ लिये गए थे."
डासना मंदिर के पुजारी
लखनऊ के गोमती नगर पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर में यूपी पुलिस ने उमर और कासमी पर भारतीय दंड संहिता की धोखाधड़ी, आपराधिक षड्यंत्र, धर्म और नस्ल के आधार पर विभिन्न समूहों में द्वेष फैलाने, राष्ट्रीय एकता और अखंडता के विरुद्ध कार्रवाइयां करने, धार्मिक विश्वासों का अपमान करने और अपराध करने के प्रयास आदि की धाराएं लगायी हैं. उन्हें नवंबर 2020 में पास हुए यूपी के एन्टी-कन्वर्जन लॉ के अधीन भी आरोपी बनाया गया है.
पुलिस की शिकायत में एटीएस ने दावा किया है कि कुछ असामाजिक तत्वों और संगठनों जैसे पाकिस्तान की आईएसआई आदि भारत की जनांकिकी में लोगों पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाकर बदलाव करना चाहते हैं. इसके लिए वो जिन लोगों का धर्मांतरण करना चाहते हैं उन लोगों को पैसे और नौकरी देने की भी पेशकश तक करने के साथ ही मनोवैज्ञानिक दबाव डालने से भी परहेज नहीं कर रहे है.
एडिशनल डायरेक्टर जनरल, लॉ एंड ऑर्डर, प्रशांत कुमार ने 21 जून को लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए दावा किया कि ग़ाज़ियाबाद के मसूरी पुलिस स्टेशन में दर्ज मामले की छानबीन करते हुए पुलिस ने "धर्मांतरण गिरोह" को खोज निकाला है.
यह मामला 4 जून को मो० रमज़ान उर्फ विपुल विजयवर्गीय और उसके रिश्तेदार मो० काशिफ के खिलाफ अपनी पहचान छिपाकर ग़ाज़ियाबाद के डासना मंदिर में उसके पुजारी की हत्या की नीयत से प्रवेश करने पर दर्ज किया गया था.
पुजारी यति नरसिंहानंद सरस्वती एक हिन्दू अतिवादी हैं जो आय दिन मुसलमानों और उनके धर्म के खिलाफ जहर उगलते रहते हैं. अप्रैल में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में उन्होंने इस कदर इस्लाम और पैगम्बर मोहम्मद की बेअदबी की की थी कि दिल्ली पुलिस को उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करनी पड़ी. पिछले महीने ही उनके अनुयायियों ने मंदिर परिसर में पानी पीने के लिए प्रवेश करने वाले एक मुसलमान लड़के की बेरहमी से पिटाई की थी. इसके बाद मंदिर ने मुसलमानों को भीतर प्रवेश करने से रोकने के लिए एक पोस्टर लगा दिया.
कुमार का दावा है कि रमज़ान और काशिफ से संबंधित मामले की जांच करते हुए ही एटीएस उमर तक पहुंच पायी है जिन्हें वो कथित तौर पर करीब 1,000 हिंदुओं के "जबरन धर्मान्तरण" में शामिल मानते हैं.
रज़िया इन आरोपों का प्रतिवाद करती हैं. रमज़ान और काशिफ़ पुजारी द्वारा उनके धर्म और पैगम्बर का अपमान करने पर डासना मंदिर में उनसे बहस करने के लिये गये थे. उमर नागपुर निवासी रमज़ान को जानता था जिसने एक मुसलमान औरत आयशा से शादी करने के बाद इस्लाम में धर्मांतरण कर लिया था.
23 जून को प्रेस को दिये एक बयान में ऑल इंडिया दावा सेंटर एसोसिएशन ने यह कहते हुए कि उनकी गिरफ़्तारी से किसी व्यक्ति को उसके धर्म का खुलकर पालन करने और प्रचार करने के अधिकार देने वाले भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 और 28 का उल्लंघन होता है, उमर और कासमी की तुरंत रिहाई की मांग की.
“सब राजनीति से प्रेरित है’’
जामिया नगर के जोगबाई एक्सटेंशन में आईडीसी का दफ़्तर है जहां उमर और कासमी के कामकाज पर ताला लगा हुआ है. यही वो दफ़्तर है जहां मसूरी पुलिस ने छानबीन में सहयोग करने के लिए उमर को एक नोटिस दिया था. उसे अगले दिन अपने बैंक स्टेटमेंट्स और फ़ोटो आईडी प्रूफ़्स जमा करने को कहा गया था लेकिन अगले दिन ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया.
शाहबुद्दीन पिछले सात सालों से इस इलाके में रहता है और उमर को जानता है. उसने बताया, "लोग उसके पास केवल कानूनी रूप से धर्मांतरण के लिए जाते हैं."
“यह सब राजनीति से प्रेरित है.’’ एक अन्य निवासी ने उमर की गिरफ़्तारी पर व्यंग्यात्मक लहजे में मुस्कुराते हुए कहा. जो दशकों से इस कॉलोनी में रह रहा है.
वहीं उमर के घर पर रज़िया भी वर्तमान सत्ता की राजनैतिक व्यवस्था पर फट पड़ी. "बहुत सारे लोग कोविड के कारण मारे गये, बहुत से लोगों की नौकरी चली गयी, फिर भी सरकार के लिए मुद्दा धर्मांतरण है." उन्होंने इस ओर भी इशारा किया कि यह मामला "असल मुद्दों" से ध्यान भटकाने वाली चाल भी हो सकती है.
डोरबैल बजती है. दिल्ली पुलिस के कुछ कर्मचारी आइडेंटिटी वेरिफिकेशन के लिए आये हैं. उमर की पत्नी और बेटी घबरा जाती हैं. स्थानीय विधायक अमानतुल्लाह खान को डर कर हड़बड़ी में फोन लगाये जाते हैं. गौतम का बेटा पुलिस के सवालों का जवाब देता है जबकि औरतें दूसरे कमरे में चली जाती हैं. परिवार को इस 'न्यू नॉर्मल' की आदत होने लगी है.
यूपी पुलिस द्वारा दर्ज किये कथित जबरन धर्मांतरण मामले के संबंध में तैयार की गयी रिपोर्ट का यह पहला हिस्सा है. दूसरे हिस्से का मुख्य विषय "धर्मांतरण गिरोह" के कथित पीड़ित होंगे.
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