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आईआईएम रोहतक के निदेशक धीरज शर्मा की नियुक्ति में धांधली?

आईआईएम रोहतक के निदेशक धीरज शर्मा सवालों के घेरे में हैं. उन पर कई गंभीर आरोप लगे हैं जिससे आईआईएम की छवि धूमिल हो रही है. दरअसल धीरज शर्मा की नियुक्ति आईआईएम रोहतक के निदेशक के पद पर साल 2016 में हुई थी. धीरज शर्मा के चयन के खिलाफ पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में दायर एक याचिका के अनुसार उनके रिकॉर्ड में उल्लिखित शैक्षणिक योग्यता में विसंगतियां हैं.

धीरज शर्मा नियुक्ति पत्र

डॉ. धीरज पी शर्मा ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) को आईआईएम रोहतक के निदेशक पद के लिए अपना आवेदन दिया था. ये आवेदन साल 2015 में किया गया. जारी सरकारी विज्ञापन के अनुसार उम्मीदवार स्नातक और स्नातकोत्तर में प्रथम श्रेणी पास होना ज़रूरी है. साथ ही पीएचडी और 15 वर्ष का शिक्षण और शोध का अनुभव भी होना चाहिए.

निदेशक पद के लिए विज्ञापन

नियुक्ति का चुनाव अपॉइंटमेंट कमेटी ऑफ़ कैबिनेट (एसीसी) द्वारा किया जाना था. जबकि सर्च-कम-सिलेक्शन-समिति (एससीएससी) को तीन नाम शार्ट लिस्ट करने की ज़िम्मेदारी दी गई थी. माधव चिताले ने इस समिति की अध्यक्षता की. समिति में माधव चैताले को मिलकर चार अन्य लोगों के नाम थे- विनय शील ओबेरॉय, रविकांत, वीके सरस्वत और अनंत नारायणन. लेकिन मीटिंग के दौरान पांच में से तीन सदस्य- माधव चिताले, रविकांत और विनय शील ओबेरॉय ही मौजूद थे. मीटिंग में आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर भरगवा को इस आधार पर रिजेक्ट कर दिया क्योंकि वह स्नातक और स्नातकोत्तर में प्रथम श्रेणी नहीं थे. जबकि धीरज शर्मा के बायोडाटा में उनकी स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री का कोई ज़िक्र न होने के बावजूद भी उन्हें चुन लिया गया.

धीरज शर्मा का बायोडाटा

29 अप्रैल, 2016 को एससीएससी ने तीन नामों- डॉ. भरत भास्कर, डॉ. धीरज शर्मा और डॉ. बीएस सहाय का इंटरव्यू के लिए चयन किया. न्यूज़लॉन्ड्री के पास तीनों चयनित उम्मीदवारों के बायोडाटा हैं. इन सभी के बायोडाटा में स्नातक और स्नातकोत्तर के नंबर लिखे हैं सिवाय धीरज शर्मा के. उनके बायोडाटा में केवल पीएचडी कहां से की है ये लिखा है.

धीरज के अनुसार उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से साल 1994-97 में बीकॉम किया था और साल 1997-99 में आगरा के डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय से एमबीए किया है. इसके बाद उन्होंने यूएस की लुसियाना टेक यूनिवर्सिटी से पीएचडी की पढाई की.

एमएचआरडी द्वारा धीरज शर्मा को भेजा गया ई-मेल

28 मार्च, 2016 को किए एक मेल में एमएचआरडी ने धीरज से उनकी स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री जमा करने का अनुरोध किया था. धीरज को लगातार नोटिस भेजे गए कि वो अपनी बीकॉम और एमबीए की डिग्री जमा करें. 31 मार्च, 2016 को फिर से तत्कालीन समय भारत सरकार के अंडर सेक्रेटरी (सचिव) संजीव श्रीवास्तव ने धीरज को याद दिलाने के लिए नोटिस भेजा. लेकिन नियुक्ति की प्रक्रिया से लेकर आज तक धीरज शर्मा की स्नातक की डिग्री एमएचआरडी के पास नहीं है.

शक के घेरे में क्यों फंसा धीरज शर्मा का अनुभव?

एमएचआरडी द्वारा धीरज शर्मा को भेजा गया नोटिस

धीरज शर्मा के बायोडाटा के अनुसार अप्रैल 1999 में वो यूएसए की एक कंपनी ड्यूकेन होल्डिंग्स में 'कॉर्पोरेट प्लानिंग एंड इंवेस्टमेंट्स एग्जीक्यूटिव' के पद पर काम कर रहे थे जबकि उनकी एमबीए की डिग्री के अनुसार मई 1999 को वो भारत में थे और एमबीए चौथे सेमेस्टर के एग्जाम दे रहे थे. ऐसे में सवाल है कि क्या धीरज यूएसए में एक महीने काम कर के वापस भारत एग्जाम देने आये थे और फिर उन्होंने यूएसए जाकर नौकरी ज्वाइन की. जबकि उन्होंने यह नौकरी साल 2001 तक की.

धीरज शर्मा के बायोडाटा की कॉपी
एमबीए की डिग्री

एमबीए की सभी मार्कशीट हाथ से लिखी गई हैं. मज़े की बात यह है कि रिजल्ट साल 2001 में घोषित हुआ.

28 अप्रैल, 2021 में एक आरटीआई के जवाब में एमएचआरडी ने साफ़ किया कि उन्होंने इसी साल 18 फरवरी को भी धीरज शर्मा से उनकी डिग्री की मांग की थी. यह चंडीगढ़ हाईकोर्ट में चल रहे उनके खिलाफ याचिका के संबंध में था.

एमएचआरडी द्वारा भेजा गया नोटिस

क्या धीरज शर्मा ने अपना अनुभव बढ़ाकर बताया?

धीरज शर्मा के बायोडाटा में लिखा है कि जनवरी साल 2004 से वो लुसियाना टेक यूनिवर्सिटी (यूएस) में टीचिंग फेलो के रूप में कार्य कर रहे थे लेकिन जब यूएस में इस कॉलेज से पूछा गया तो जवाब मिला, "यह छात्र 6/2/04 (2 जून) - 2/25/06 (25 फरवरी) से डॉक्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन प्रोग्राम में था. छात्र ने 25 फरवरी, 2006 को डॉक्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की उपाधि प्राप्त की. जहां तक ​​मुझे पता है, हमारे पास उनके 2004 के जून से पहले एक छात्र होने या जुलाई 2004 से पहले एक शिक्षण सहायक के रूप में कार्यरत होने का रिकॉर्ड नहीं है."

लुसियाना टेक यूनिवर्सिटी द्वारा भेजा गया नोटिस

यहीं नहीं बायोडाटा में लिखा है कि धीरज शर्मा ने जनवरी 2006 से जनवरी 2007 तक यूएस की बॉल स्टेट यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्य किया. लेकिन यूनिवर्सिटी से मिले जवाब के अनुसार, 9 जनवरी से 17 अगस्त 2006 तक धीरज यूनिवर्सिटी में इंस्ट्रक्टर ऑफ़ मार्केटिंग थे जबकि 18 अगस्त 2006 से 31 दिसंबर 2007 तक उन्होंने सहायक शिक्षक के रूप में पढ़ाया.

बॉल स्टेेट यूनिवर्सिटी द्वारा भेजा गया ईमेल

न्यूज़लॉन्ड्री को मिले दस्तावेज़ों के मुताबिक नियुक्ति के समय लिखा गया कि धीरज शर्मा आईआईएम अहमदाबाद में साल 2009 से प्रोफेसर के तौर पर पढ़ा रहे हैं जबकि उनके सीवी के अनुसार साल 2009 में धीरज कनाडा के किसी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर थे. इस दस्तावेज़ में 'क्या अधिकारी पात्रता की महत्वपूर्ण तिथि के अनुसार सीधे पात्रता आवश्यकताओं को पूरा करता है' इस कॉलम के आगे हां / ना जैसा कुछ नहीं लिखा था और स्थान खाली छोड़ा था. उस समय जॉइंट सेक्रेटरी रहे प्रवीण कुमार ने 16 नवंबर, 2016 को इस दस्तावेज़ पर मुहर लगाई थी.

7 दिसंबर, 2016 के एक गुप्त दस्तावेज़ के अनुसार उस समय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग) ने इस पर जवाब मांगा. इसके जवाब में प्रवीण कुमार ने लिखा, "अनजाने में यह जानकारी लिखनी छूट गई. इसे 'हां ' पढ़ा जाए.'

धीरज शर्मा इससे पहले भी कानूनी कार्रवाई में फंस चुके हैं. आईआईएम रोहतक में उनके साथ काम कर चुकी एक पूर्व महिला सहायक प्रोफेसर ने मई 2018 में उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई थी. धीरज के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 और 354-ए के तहत मामला दर्ज था हालांकि पुलिस को मामले में कोई सबूत नहीं मिला.

क्या कहते हैं वकील और सिलेक्शन समिति के सदस्य?

न्यूज़लॉन्ड्री ने धीरज शर्मा के मामले में अलग-अलग पक्षों से बात की. डिप्टी सेक्रेट्री एम श्रीधर ने धीरज शर्मा पर कोई भी टिप्पणी करने से साफ़ मना कर दिया. प्रोफेसर धीरज शर्मा ने भी हमारे सवालों का कोई जवाब नहीं दिया.

आईआईएम रोहतक में निदेशक पद की नियुक्ति के समय गठित एससीएससी समिति में शामिल रविकांत ने बताया, "दस्तावेज़ों को सत्यापित करना मेरी ज़िम्मेदारी नहीं थी. ये काम एमएचआरडी का था." जबकि एक आरटीआई में एमएचआरडी ये खुलासा करता है कि एससीएससी समिति ने दस्तावेज़ों की जांच की थी.

धीरज शर्मा के वकील चेतन मित्तल ने बताया, "कोर्ट ने बीकॉम की डिग्री जमा कराने जैसा कोई आदेश नहीं दिया है. इस पद के लिए आवेदन करने वाले किसी भी उम्मीदवार ने किसी भी रूप में कोई चिंता नहीं जताई. यह रिट आईआईएम रोहतक के बर्खास्त कर्मचारियों के इशारे पर दायर एक प्रॉक्सी रिट है. याचिकाकर्ता निदेशक धीरज शर्मा की छवि को ख़राब करना चाहते हैं."

एमएचआरडी, एससीएससी समिति, एसीसी और आईआईएम रोहतक के वकील कुशाग्र महाजन ने कहा, "केस अभी कोर्ट में पेंडिंग है. याचिकाकर्ता डिग्री की मांग कर रहे हैं. कोर्ट ने डिग्री नहीं मांगी. धीरज शर्मा की डिग्री कहां है ये एमएचआरडी बताएगी."

बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय के अनुसार धीरज शर्मा की बीकॉम की डिग्री तब तक नहीं मिल सकती जब तक कि खुद धीरज शर्मा न चाहें.

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