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फैमिली मैन 2: राष्ट्रीय सुरक्षा के बहाने हर सामाजिक मुद्दों पर बोलती सीरीज
फैमिली मैन वेब सीरीज का दूसरा सीजन आ गया है. सीरीज की शुरुआत होती है इस दृश्य से कि श्रीकांत तिवारी ने एक आईटी कंपनी में नौ से पांच बजे तक की नौकरी कर ली है. ऑफिस में जब छोटी उम्र का बॉस श्री को बात-बात पर टोकता है तब दर्शक इंतज़ार करते हैं कि कब श्री इसको माकूल जवाब देगा. ऐसा मौका आता है उस वक्त जब अपनी घरेलू ज़िंदगी की जद्दोजहद में उलझा श्रीकांत तिवारी कुछ हैरान परेशान है और ये बॉस उसे टोक देता है तब जो दृश्य दर्शक देखता है वो उसे सुकून देता है. क्योंकि कॉरपोरेट कल्चर में कितने ऐसे लोग हैं जो मशीन की तरह काम कर रहे हैं और अब वो मशीन ही हो गए हैं.
ये सीजन लिट्टे की कार्यशैली को अपने बैक ड्रॉप में रखता है. जैसे पहला सीजन भोपाल गैस त्रासदी को. तमाम राष्ट्रीय, अन्तरराष्ट्रीय राजनैतिक घटनाओं को बताते-बताते ये सीजन एक सामान्य आदमी की आर्थिक परेशानी और उसकी घरेलू ज़िंदगी की को इतने अच्छे तरीके से रखता है कि आप वाह कह उठते हैं.
घर के माहौल का बच्चों पर पड़ने वाले प्रभाव को जिस तरीके से फिल्माया गया है वाकई नज़ीर बन गया. वह एक ऐसी उम्र होती है जब बच्चों पर नज़र रखने की ज़रूरत होती है. उस स्थिति को यदि टैकल ना किया जाए तो कई बार परिणाम बहुत गंभीर निकलते हैं.
कुछ ऐसे नितान्त वैयक्तिक मामले होते हैं जिनपर आपसी सहमति से की गई बात ही ज़्यादा कारगर होती है. महिला का हर स्तर पर शोषण होता है. ये शोषण उस समय और मुखर हो जाता है जब मालूम हो कि सामने से कोई प्रतिक्रिया नहीं होगी. राजी जब महिला पुलिस अधिकारी को कहती है कि औरत यदि हर घटना पर मुंह खोलने लगे तो सारे मर्द जेल में होंगे. ये कमाल का व्यंग्य है हमारी सोसायटी पर.
इस सीज़न में हास्य की फुहार उस समय लगती है जब एक आदमी पशेमान है, वो एक सिचुएशन से गुजर रहा है. जब सुचि डॉक्टर से काउंसलिंग कराने के लिए अपने पति को ले जाती हैं तब डॉक्टर और श्रीकांत का संवाद आपको आनंदित करता है. ऐसे ही देशभक्ति की दलील देता आरटीओ का इंस्पेक्टर जब सच जान चुके श्रीकांत के सामने पड़ता है तो वो दृश्य भी आपको गुस्सा मिश्रित हास्य की फुहार बिखेरता है. आईटी कंपनी के बॉस के साथ श्री के सभी संवाद भी इस श्रेणी के ही हैं.
इस सीजन की जान है राजी का किरदार. कहते हैं कि विलेन जितना शक्तिशाली होता है हीरो उतना ही बड़ा होता है. यहां लेकिन विलेन एक महिला है वो महिला मानसिक और शारीरिक तौर पर इतनी शक्तिशाली है कि दर्शक उसके मोहपाश में बंध जाता है. इसलिए ही वो श्रीकांत द्वारा एक मनगढ़ंत कहानी सुनाने के बाद एक लम्बी चुप्पी के बाद बोलती है और अपने अतीत की कहानी बताती है और अंत में यह कहना नहीं भूलती कि उसकी कहानी असली है.
राजी को एक ओर हम सहमी डरी हुई लड़की के रूप में देखते हैं वहीं दूसरी ओर एक ट्रेंड कमांडो के रूप में. इनमें भी वह एक्स्ट्रा ऑर्डेनरी है. वह प्लेन की भी इतनी पारंगत पायलट है कि रडार की पकड़ को भी धता बंधा सकती है. उसके जिस्म से कोई छेड़छाड़ कर रहा है तो वह तुरंत प्रतिक्रिया नहीं देती. लेकिन अति होने पर वह भीभत्स मौत देती है.
ये सीरीज इस मायने में भी ख़ास है कि इसमें तमिल भाषा के भी भरपूर संवाद हैं. वो आपको अखरते नहीं यदि आप सब टाइटल में उनका अनुवाद देखते हैं. भाषा संबंधी बहुत से संवाद आपको इस बात को भी समझा देते हैं कि भाषा जबरदस्ती थोपी नहीं जा सकती.
सीरीज में समुद्र को देखना, मैदानों को देखना आपकी आंखों को सुकून देता है. आज जब हर कोई धन के पीछे भाग रहा है उस वक्त पीएम द्वारा टास्क के कर्मचारियों को सम्मानित करते समय इन ऑफिसर्स का आपसी संवाद एक आम आदमी की जद्दोजहद को बताता है.
इस सीरीज में अभिनय के दृष्टिकोण से श्रीकांत ने तो कमाल किया ही है लेकिन राजी के रूप में सामंथा ने झंडे गाड़ दिए. शारिब हाशमी ने जेके के रूप में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है वो ही ऐसा किरदार है जो श्रीकांत के मजे लेता है.
किसी भी कला की सबसे बड़ी समीक्षा ये है कि वो देखने वाले के मन में कुलबुलाहट पैदा कर देती है. फैमिली मैन-2 के रूप में आप ऐसी ही सीरीज देखते हैं.
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