Uttar Pradesh coronavirus
मुरादाबाद में जिस कोरोना मरीज का हालचाल पूछने गए थे सीएम योगी, वो परिवार उनसे नाराज़ क्यों है?
शहरों के बाद कोरोना महामारी की मार अब गांवों में भी दिखने लगी है. उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में लोग कोरोना और कोरोना जैसे लक्षण के बाद दम तोड़ रहे हैं. उन्हें बेहतर इलाज तक नहीं मिल पा रहा है.
इसी बीच कोरोना से उबरने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अलग-अलग जगहों का निरीक्षण कर रहे हैं. ऐसी ही एक यात्रा के दौरान वे 8 मई की दोपहर मुरादाबाद के मनोहरपुर गांव पहुंचे. यहां उन्होंने सुंदर सिंह से मुलाकात की. दरअसल 58 वर्षीय सुंदर सिंह, अपने बेटे अमित के साथ कोरोना पॉजिटिव आए थे.
इस यात्रा को आज तक ने औचक निरीक्षण बताते हुए लिखा, अचानक प्रोटोकॉल तोड़कर गांव पहुंच गए CM योगी, लोगों से पूछा- दवा मिली क्या?. दूसरी तरफ जागरण ने लिखा, एक गांव का दौरा करने की जानकारी होने पर मनोहरपुर गांव में तैयारी पहले से ही करा दी गई थीं.
यह यात्रा औचक थी या नहीं, इसकी जानकारी अधिकारी ही दे सकते हैं, लेकिन सिंह के परिजनों की माने तो मुख्यमंत्री के आने से दो घंटे पहले अस्पताल के कुछ लोग आए थे. दवाई वगैरह के बारे में पूछकर चले गए. हालांकि मुख्यमंत्री आ रहे हैं इसकी जानकारी नहीं दी थी.
जागरण अपनी रिपोर्ट में आगे लिखता है, ‘‘यहां मुख्यमंत्री सुंदर के घर पहुंचे और और उनका हालचाल पूछा. लोगों से सुविधाओं के बारे में पूछा. इस दौरान कुछ ने किट न मिलने की बात तो कही, पर अधिकांश लोगों के द्वारा व्यवस्था पर अधिक शिकायतें सामने नहीं आई.’’
इस गांव में मुख्यमंत्री ने ‘लोगों’ से नहीं सिर्फ सुंदर सिंह से बात की और चले गए. सीएम आदित्यनाथ और सुंदर के बीच हुई बातचीत को ऑल इंडिया रेडियो ने साझा किया. इसमें सुंदर सीएम से शौचालय की बात करते नजर आते हैं. हालांकि जो वीडियो साझा किया गया उसमें सीएम बोलते नजर आते हैं, लेकिन जब सिंह बोलते हैं तो उसे म्यूट कर दिया जाता है.
सुंदर की आवाज़ को म्यूट करना बताता है कि मीडिया द्वारा कुछ छुपाया गया है. सीएम की यात्रा की तारीफ करने के लिए अलग-अलग दावें करने वाले इन मीडिया संस्थानों ने कोरोना से पीड़ित इस दलित और गरीब परिवार की कहानी कहने की कोशिश नहीं की. कोरोना की जद में आने के बाद जो तकलीफ सुंदर सिंह के परिवार की है वो ज़्यादातर परिवारों की है.
मुख्यमंत्री के दौरे के दो दिन बाद न्यूज़लॉन्ड्री सुंदर और उनके परिवार से मिलने इनके घर पहुंचा. मुरादाबाद जिला मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर दूर मनोहरपुर गांव है. मुख्य सड़क से उतरकर करीब आधा किलोमीटर चलने पर सुंदर सिंह का घर है. मुख्यमंत्री के यहां आने के बाद उनके घर का पता लोग आसानी से बता देते हैं. न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए सिंह कहते हैं, ‘‘मुख्यमंत्री जी के आने से उम्मीदें बढ़ गई थीं कि हमारा काम हो आएगा, लेकिन कुछ नहीं हुआ. उम्मीद टूट गई.’’
सिंह बताते हैं, ‘‘मेरे परिवार में दस लोग हैं और सिर्फ एक शौचालय है. मैंने सीएम साहब से शौचालय को लेकर कहा तो उन्होंने स्कूल में जाने का सुझाव दिया. यहां से गांव का स्कूल करीब एक किलोमीटर दूर है. कैसे जा पाएंगे. इस कारण मैं और मेरा बेटा सुबह 5 बजे से पहले ही जंगल में शौच करने चले जाते हैं. दिन में अगर लगती है तो मज़बूरी में इसी शौचालय में जाना पड़ता है. इससे दूसरे परिजनों को भी खतरा हो सकता है.’’
सिंह कहते हैं, ‘‘मैं सीएम साहब से और भी परेशानी कहना चाहता था लेकिन वे मुश्किल से दो-तीन मिनट यहां रहे.मुख्यमंत्री साहब ने शौचालय बनाने के वादा किया, लेकिन अब तक नहीं बन पाया. उन्होंने ये भी कहा था कि एक मेडिकल टीम नियमित रूप से हमारी जांच के लिए आएगी पर दोबारा कोई भी नहीं आया.’’
सुंदर सिंह के 27 वर्षीय बेटे अमित को 28 अप्रैल को बुखार आया था. दो दिन बाद उन्होंने एंटीजन टेस्ट कराया जिसमें रिजल्ट निगेटिव आया. हालांकि 3 मई को आरटी-पीसीआर टेस्ट में रिपोर्ट पॉजिटिव आई. 5 मई को गांव में कोरोना के परीक्षण के लिए टीम आई तो परिवार के बाकी लोगों का भी एंटीजन टेस्ट किया गया. सुंदर सिंह पॉजिटिव आए. लक्षण होने के बावजूद अमित की मां और बहन की रिपोर्ट निगेटिव आई.
कोरोना टेस्ट को लेकर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने अपने दिशा-निर्देशों में कहा है कि यदि कोई लक्षण वाला व्यक्ति एंटीजन टेस्ट में निगेटिव आए तो उसका आरटी पीसीआर टेस्ट किया जाना चाहिए. सुंदर के परिवार के यह छह दिन बाद 11 मई तक ऐसा नहीं हुआ. 11 मई को आरटी पीसीआर टेस्ट हुआ उसमें सुंदर की पत्नी शारदा देवी और बेटी की रिपोर्ट निगेटिव आई. केवल इनके भाई महिलाल की रिपोर्ट पॉजिटिव आई.
सुंदर अपने परिवार में इकलौते कमाने वाले हैं. एक ईट भट्टे पर 300 रुपये के दिहाड़ी आमदनी से ही उनके परिवार में दस लोगों का भरण पोषण होता है. सुंदर के क्वारंटाइन होने से परिवार की आमदनी का कोई स्रोत नहीं है.
शारदा देवी कहती है, ‘‘एक तो जब से योगी जी आएं हैं गांव वाले पूछते हैं क्या दिया उन्होंने. उन्हें लगता है कि कुछ पैसे वैसे दिए हैं. लेकिन आज इनके (सुंदर की तरफ इशारा करते हुए) क्वारंटाइन होने से बच्चों के लिए खाने पीने का इंतज़ाम करना मुश्किल हो गया है. घर में कई लोग बीमार हैं. उनके लिए दवाई लानी पड़ती है. दो छोटे-छोटे बच्चे हैं उनके लिए दूध भी आता है. हमें तो सरकार से न सिलेंडर मिला है और ना आयुष्मान कार्ड. हमें तो घर भी नहीं मिला.’’
सुंदर की भतीजी रोमा जो उस वक़्त घर पर मौजूद थीं, जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आए थे. वो बताती है, ’’हम मुख्यमंत्री से बहुत कुछ कहना चाहते थे. हमारा बिजली बिल दोगुना आया है. क्वारंटाइन होने से काम बंद है. घर पर राशन है, लेकिन सरसों का तेल 200 रुपए किलो हो गया है. इसका इंतज़ाम हम कैसे करेंगे, बच्चों की पढ़ाई रुक गई है. हम लोग इतने अमीर तो नहीं कि अपने यहां दस-दस हज़ार का फोन खरीदकर लाएं ताकि बच्चे पढ़ सकें. कोई इंतज़ाम नहीं है यहां पर.’’
सुंदर सिंह की तरह ही रोमा नाराज़गी के साथ कहती हैं, ‘‘मुख्यमंत्री के आने के बाद हमें बहुत उम्मीदें थीं. लेकिन इससे कुछ नहीं हुआ.’’
एक तरफ जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यात्रा के बावजूद लोगों की परेशानी काम नहीं हो रही दूसरी तरफ उनकी यात्रा को मीडिया में बढ़ा चढ़ाकर दिखाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. दैनिक जागरण ने हाल ही में एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसका शीर्षक दिया, UP में आपदा के समय युद्ध में टीम लीडर बनकर उभरे CM योगी आदित्यनाथ, 11 मंडलों के 47 जिलों को मथा.’’
Also Read
-
TV Newsance 304: Anchors add spin to bland diplomacy and the Kanwar Yatra outrage
-
How Muslims struggle to buy property in Gujarat
-
A flurry of new voters? The curious case of Kamthi, where the Maha BJP chief won
-
Reporters Without Orders Ep 375: Four deaths and no answers in Kashmir and reclaiming Buddha in Bihar
-
Lights, camera, liberation: Kalighat’s sex workers debut on global stage