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उत्तर प्रदेश: बीजेपी विधायक राघवेंद्र सिंह के सहयोगियों ने पत्रकार को पीटा
बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था के कारण इलाज नहीं मिलने की स्थिति में उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में लोगों की लगातार मौत हो रही है. सरकार आंकड़ें छुपा रही है, लेकिन गंगा नदी में बहती, उसके किनारे जलती और दफन की गई लाशें मौजूदा स्थिति क्या है उसे बयां कर रही हैं. पत्रकार लगातार बदहाली की खबरें सामने ला रहे हैं, जो अधिकारियों को पसंद नहीं आ रहा. ऐसे में किसी पर मुकदमा दर्ज किया जा रहा है तो किसी को पिटवाया जा रहा है.
रविवार को ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर से सामने आया. यहां के डुमरियागंज में टेलीविजन चैनल भारत समाचार के लिए रिपोर्टिंग करने वाले 22 वर्षीय अमीन फारूकी को कुछ लोगों ने बुरी तरह पीटा. इस दौरान वे एक स्वास्थ्य केंद्र पर मौजूद थे. घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ. वायरल वीडियो में साफ दिख रहा है कि पुलिस की मौजूदगी में फारूकी को पीटा जा रहा है. पीटने वालों का भी चेहरा दिख रहा है लेकिन डुमरियागंज पुलिस ने ऐसा करने वालों को गिरफ्तार करने के बजाय फारूकी को ही देर रात दस बजे तक थाने में बैठाए रखा.
भले पुलिस इन आरोपियों को पहचान न पाई हो लेकिन यहां के पत्रकारों ने ज़्यादातर की पहचान कर ली है. पीटने वाले स्थानीय बीजेपी विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह के लोग बताये जा रहे हैं.
अमीन फारूकी के रिश्ते में चाचा लगने वाले राशिद फारूकी यहां भारत समाचार के ब्यूरो हैं. न्यूजलॉन्ड्री को उन्होंने पीटने वालों के नामों की लिस्ट साझा की. राशिद कहते हैं, ‘‘पीटने वालों में पूर्व पत्रकार और विधायक का करीबी दीपक श्रीवास्तव, विधायक का ड्राइवर डब्ल्यू, हाल ही में हुए पंचायत चुनाव में बीजेपी के टिकट से जिला पंचायत चुनाव लड़ने वाला सत्य प्रकाश श्रीवास्तव, पूर्व प्रधान और विधायक का सहयोगी संभु अग्रहरि और विधायक के ख़ास सुगंध अग्रहरि हैं. इसके अलावा लौकुश ओझा, समेत कई और लोगों ने भी पीटा, जिनकी पहचान हो रही है.’’
राघवेंद्र प्रताप सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बेहद करीबी हैं. इन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत आदित्यनाथ द्वारा बनाए गए संगठन हिन्दू युवा वाहिनी से की थी. सिंह सीएम योगी को अपना प्रेरणा स्रोत मानते हैं.
न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए राघवेंद्र सिंह यह बात स्वीकार करते हैं कि जिन लोगों ने पत्रकार को पीटा है वे उनके साथ के ही थे. वे फारूकी को पत्रकार मानने से इंकार करते हैं. सिंह कहते हैं, ‘‘हम लोग 50 बेड के कोरोना अस्पताल के उद्घाटन के लिए आए थे. वहां ये लड़का था तो एसडीएम साहब जो खुद दो बार कोरोना पीड़ित रह चुके हैं. इसे बुलाकर बेहद प्यार से बोले कि अभी काम करने वाले कर्मचारी कम हैं. ज्यादातर कोरोना पॉजिटिव हैं. जैसे तैसे काम चल रहा है. ऐसे में नकारात्मक खबर छापने की जगह उनका मनोबल बढ़ाने की ज़रूरत है. इस पर वो लड़का कड़े आवाज़ में बोला कि अब तुम मुझे पत्रकारिता सिखाओगे. ये मुझे भी बुरी लगी. मैंने भी उसे समझाया, अधिकारी हैं थोड़ा तमीज से बोल लो. वहां मौजूद दीपक श्रीवास्तव जो खुद पत्रकार रहे हैं. उन्होंने पूछा की कब से पत्रकारिता में हो. उन्हें भी उल्टा सीधा बोला. फिर थोड़ी बहस हो गई. हालांकि आप वीडियो में मेरी आवाज़ सुन रहे होंगे कि रहने दो, रहने दो.’’
अगर आपकी बात मान भी लेते हैं कि फारूकी ने अधिकारी और आपके लोगों से बदतमीजी की तो क्या ऐसे में पीटना जायज है. इस सवाल पर राघवेंद्र सिंह कहते हैं, ‘‘आपकी बात सही, लेकिन कभी-कभी उत्तेजना में स्थितियां-परिस्थितियां ऐसी हो जाती हैं. कभी-कभी ऐसी घटनाएं जो नहीं होनी चाहिए वो हो जाती हैं. लेकिन गलती उसी व्यक्ति की थी. वो परिपक्व नहीं था.’’
आखिर फारूकी को क्यों पीटा?
अमीन फारूकी देर रात दस बजे तक थाने में थे. जब आमीन फारूकी थाने में थे तभी न्यूजलॉन्ड्री ने उनसे बात की. वे कहते हैं, ‘‘आज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कोविड एलटू का उद्घाटन था. जहां विधायक राघवेंद्र सिंह समेत तमाम लोग थे. उद्घाटन एक बजे होना था, लेकिन किसी कारण से 12 बजे ही किया गया. ये लोग तैयारी के साथ बैठे थे. हमारे साथ जो साथी था उसको ये लोग गाली देने लगे. अपशब्दों का प्रयोग किया गया. मैंने उनसे बोला कि हम अपना काम कर रहे हैं, आप अपना काम कर रहे हैं. जिस पर विधायक जी कह रहे हैं तू कौन है? मां-बहन की गाली देने लगे. जब यह सब होने लगा तो मैं वहां से निकलने लगा तभी मुझे एक साथ 20 से 25 लोगों ने पीटना शुरू कर दिया.’’
लेकिन आपसे नाराज़गी क्या थी. क्यों आपको गाली दे रहे थे. इस सवाल के जवाब में फारूकी कहते हैं, ‘‘मैं लगातार सच्चाई दिखा रहा था जिससे ये लोग खफा थे. सबसे ज़्यादा खफा यहां के एसडीएम त्रिभुवन प्रसाद थे. उनके इशारे पर ही मुझे मारा गया. इससे पहले भी मुझे मारने की धमकी मिली थी. मैंने खबर की थी कि कोविड को लेकर डुमरियागंज के उपजिलाधिकारी के दावे फेल, पिछले 12 दिनों में एक ही गांव के धनारी में आठ लोगों की हुई मौत, इसमें तीन लोग कोरोना से तो पांच लोगों की सांस फूलने से हुई मौत.’’
‘‘इसके बाद जिले में लॉकडाउन का पालन भी नहीं हो रहा था इसको लेकर भी एक खबर की थी. दरअसल लॉकडाउन के कारण जिले में तमाम ढाबे बंद हैं लेकिन एसडीएम साहब ने अपने एक चहेते का ढाबा खुलवाया था. एक महिला उसी ढाबे के सामने सब्जी बेच रही थी उसको पुलिस वालों ने पीटा था, लेकिन उसी के सामने ढाबा खुला था उसको कुछ नहीं बोला गया. मैंने ढाबा खुलने की खबर ब्रेक की जिससे ये खफा हो गए.’’ फारूकी ने कहा.
फारूकी आगे कहते हैं, ‘‘इन तमाम खबरों से त्रिभुवन प्रसाद और विधायक दोनों मुझसे खफा हो गए. इसके बाद एसडीएम त्रिभुवन प्रसाद ने मुझे ग्रुप में उल्टा सीधा बोला. खुद व्हाट्सएप पर मैसेज किया कि तुम्हें कोरोना होगा तो उसका इलाज हम ही करेंगे. समय सब ठीक कर देगा. धैर्य बनाए रखो. आखिर ये मैसेज क्यों कर रहे थे. दरअसल वे मुझे डरा रहे थे. मैं लगातार काम करता रहा तो मुझे पीटा गया.’’
विधायक राघवेंद्र सिंह के आरोप अधिकारियों से बदतमीजी करने पर अमीन कहते हैं, ‘‘मैं क्रिमनल तो हूं नहीं की किसी से लड़ने जाऊंगा. मेरे पास एक कैमरा, एक फोन और डायरी-पेन रहता है. मैं पत्रकार हूं और मेरा काम सच दिखाना है किसी से लड़ना या बदतमीजी करना नहीं.’’
अपने सहयोगी पर हुए हमले पर भारत समाचार के प्रमुख ब्रजेश मिश्रा ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘‘कोरोना त्रासदी पर गांव-गरीब की कवरेज में लगे भारत समाचार के डुमरियागंज पत्रकार के साथ मारपीट की गई. ये घटनाक्रम एसडीएम और विधायक की मौजूदगी में हुआ. सिद्धार्थनगर में कानून-व्यवस्था का राज नहीं है. डीएम एसपी आंख बंद किए हुए हैं. गरीबों की पीड़ा दबेगी नहीं हमारे पत्रकार कवरेज जारी रखेंगे.’’
स्थानीय विधायक की भाषा बोलती नजर आई पुलिस
सिद्धार्थनगर पुलिस ने पीटने वालों को हिरासत में लेने के बजाय जिस शख्स को मारा गया उसे थाने में देर रात तक बैठाए रखा. पुलिस ने इतना ही नहीं झूठ भी बोला. पुलिस ने रात 8 बजकर 52 मिनट पर ट्वीट कर यह जानकारी दी कि दोनों पक्ष के लोगों को छोड़ दिया गया है जबकि फारूकी को 10 बजे छोड़ा गया. वहीं दूसरे पक्ष के किसी सदस्य को पुलिस पकड़कर भी नहीं लाई थी.
डुमरियागंज के थाना प्रभारी निरीक्षक कृष्ण देव सिंह अवकाश पर हैं. उनकी जगह एसआई ददन प्रभारी हैं. न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए ददन कहते हैं, ‘‘फर्जी और सही पत्रकार की आपस में लड़ाई हुई थी.'' विधायक राघवेंद्र सिंह के लोगों के मारपीट में शामिल होने की बात से अंजान बनते हुए अधिकारी कहते हैं, ‘‘मैं मौके पर नहीं था तो ज़्यादा नहीं बता सकता. मैं माननीय मंत्री जी के साथ था.’’
पत्रकार को देर रात 10 बजे तक थाने में रखा गया. लेकिन क्या जो लोग पीट रहे थे. उनमें से किसी को हिरासत में लिया गया. इस सवाल के जवाब में पुलिस अधिकारी ददन कहते हैं, ‘‘पत्रकार को पूछताछ के लिए बुलाया गया था. यह जानना था कि वो सही पत्रकार हैं या फर्जी. किसी दूसरों को हिरासत में कैसे ले लूं जब कोई शिकायत ही नहीं आई है. जैसा आप वीडियो देख रहे हैं वैसे हम भी देख रहे हैं.’’
पिटने वाले को हिरासत में लेकर घंटो बैठाया गया, लेकिन पीटने वालों को पकड़ा तक नहीं गया. ऐसा क्यों. इस सवाल पर अधिकारी इलाके में दुर्घटना होने की बात कहकर फोन रख देते हैं.
हमने इस मामले में एसडीएम त्रिभुवन प्रसाद से भी बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने हमारा फोन नहीं उठाया. हमने उन्हें सवाल भेज दिए हैं. खबर छपने के एक दिन बाद प्रसाद ने हमारे सवालों का जवाब भेजा. उन्होंने लिखा, ''पत्रकारों का आपसी मामला था. जो दोषी हो उसे सजा मिले.''
हालांकि अभी किसी भी पक्ष ने शिकायत दर्ज नहीं कराई है. इस मामले को लेकर स्थानीय पत्रकार प्रदेश के राज्यपाल, पुलिस अधिकारी और प्रेस काउन्सिल ऑफ़ इंडिया को पत्र लिख जांच और कार्रवाई की.
पत्रकार पर हुए हमले को लेकर प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया भी बयान जारी करने वाला है. यह जानकरी न्यूज़लॉन्ड्री को क्लब के अध्यक्ष उमाकांत लखेड़ा ने दी. वे कहते हैं, ‘‘इस समय पत्रकार काफी सॉफ्ट टारगेट हो गए हैं. पत्रकारों पर जो हमले होते हैं वो बिना राजनीतिक संरक्षण के नहीं होते हैं. और उत्तर प्रदेश में तो यह बड़ी संख्या में ऐसे मामले सामने आ रहे हैं. केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन का जो मामला है उससे साबित है पत्रकार जो खबर करने जा रहे हैं, उसके रिपोर्ट करने को जुर्म माना जाए. यह लोकतान्त्रिक व्यवस्था के लिए बहुत बड़ा खतरा है. हमने भी पत्रकार पर हो रहे हमले का वीडियो देखा है. हम इसको लेकर बयान जारी करने की तैयारी कर रहे हैं.’’
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