दैनिक भास्कर में प्रकाशित तस्वीरें.
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छत्तीसगढ़ हमला: दैनिक भास्कर में छपी एक्सक्लूसिव तस्वीरें निकलीं फ़िल्मी

बीते शनिवार को छत्तीसगढ़ में माओवादियों द्वारा छिपकर किए गए एक हमले का मुकाबला करते हुए 22 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गये. ये घटना तेकलागुड़म गांव के नज़दीक सुकमा-बीजापुर सीमा क्षेत्र में हुई जहां तकरीबन चार घंटों तक गोलीबारी चलती रही. मीडिया का अधिकांश हिस्सा अपनी रिपोर्टिंग में इसे हाल-फ़िलहाल में सुरक्षाकर्मियों पर हुआ सबसे बड़ा हमला बता रहा है.

ऐसे मामलों में मीडिया की क्या जिम्मेदारी बनती है? यही कि कम जानकारियां रखने वाली आम जनता के लिए जिम्मेदारी भरी और सटीक रिपोर्टिंग करे. लेकिन ठीक इसी मामले में दैनिक भास्कर ने एक गलती कर दी.

सोमवार, 05 अप्रैल को इस हिंदी दैनिक ने अपनी वेबसाइट पर कुछ तस्वीरें और वीडियोज़ डालीं जो कथित तौर पर हमले से जुड़ी थीं. रिपोर्ट में इन्हें "बीजापुर मुठभेड़ की तस्वीरें और वीडियोज़" बताते हुए लिखा गया, ''तस्वीरों में, नक्सलियों को विक्ट्री साइन बनाते हुए देखा जा सकता है… महिला नक्सलियों को खाने का सामान लिए हुए और खाना पकाते हुए देखा जा सकता है.''

इन तस्वीरों में कथित तौर पर हथियारों से लैस माओवादी थे. जबकि वीडियो फ़ुटेज में अजीबोगरीब दिखने वाले एनिमेटेड रॉकेट लॉन्चर्स और ''महिला नक्सली'' थीं. दैनिक भास्कर ने इस बात पर ध्यान दिलाकर पाठकों की मदद की कि वो ''तस्वीरों की प्रमाणिकता नहीं जांच पाया.''

डिलीट की जा चुकी उस स्टोरी का एक स्क्रीनशॉट

दैनिक भास्कर जो जांचने में असल में विफल रहा वो ये कि इन तस्वीरों का पिछले हफ़्ते की गोलीबारी से कोई लेना-देना नहीं था. ये सभी तस्वीरें छत्तीसगढ़ के बस्तर में माओवाद पर बन रही एक अनाम फ़िल्म की शूटिंग के दौरान ली गयी थीं.

भास्कर ने उसी दिन रात 8 बजे ये रिपोर्ट डिलीट भी कर दी.

जिस फ़िल्म की यहां बात हो रही है उसका निर्देशन जगदलपुर निवासी संपत झा नामक एक फ़िल्मकार कर रहे थे. फ़िल्म के प्रोडक्शन से जुड़े एक एक्ज़ीक्यूटिव ने नाम न जाहिर होने देने की शर्त पर न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, ''ये तस्वीरें उसी फ़िल्म की हैं जो हमने बस्तर में शूट की थीं. फ़िल्म नक्सलवाद के बारे में थी और शूटिंग के दौरान ये तस्वीरें ली गयी थीं. ये अफ़सोसजनक है कि इतने बड़े मीडिया संस्थान ने बिना जांचे-परखे उन तस्वीरों को नक्सलियों की तस्वीरों के तौर पर छाप दिया.''

तस्वीरों में जो ''माओवादी'' हैं वो दरअसल अभिनेता हैं, एग्ज़ीक्यूटिव ने आगे बताया. "आज के दौर में झूठी ख़बरे फैलाना बेहद गैर-जिम्मेदाराना हरकत है," उन्होंने कहा.

आशु तिवारी एक स्थानीय पत्रकार हैं जो फ़िल्म की शूटिंग के दौरान वहां मौजूद थे. उन्होंने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, "ये सभी तस्वीरें आज से करीब तीन महीने पहले जगदलपुर के जंगलों में चल रही एक फ़िल्म की शूटिंग के दौरान ली गयी थीं. पुलिस को भी इसकी जानकारी थी और डिस्ट्रिक्ट रिज़र्व गार्ड के जवानों ने भी इसमें हिस्सा लिया था. नक्सली हमले के बाद अब अचानक ये तस्वीरें वायरल हो गयी हैं और दैनिक भास्कर जैसे अख़बार जिनकी पहुंच एक बहुत बड़े पाठक वर्ग तक है, इसे बिना जांचे-परखे छाप रहे हैं.नये ख़तरनाक है."

तिवारी ने आगे कहा, "और इससे आम लोगों पर नक्सली होने का ठप्पा लग जाता है."

रिपोर्ट में कुछ वीडियोज़ का भी हवाला दिया गया था जो शनिवार को हुए इस हमले से संबंधित बतायी गयी थीं. जबकि सच्चाई ये है कि इन विडियोज़ का हमले से कोई लेना-देना नहीं है. इनमें से एक वीडियो मार्च, 2020 का है जिसमें सुकमा के मिनपा गांव में मारे गए एक माओवादी के अंतिम संस्कार के दृश्य हैं. जबकि दूसरा वीडियो तो और भी ज्यादा पुराना है और उसमें एनिमेटेड दृश्य भी हैं.

न्यूज़लॉन्ड्री ने दैनिक भास्कर के डिजिटल ऑपरेशन्स के प्रमुख प्रसून मिश्रा से उनकी इस रिपोर्ट के मामले में बात करने के लिए संपर्क किया. मिश्रा ने कहा, "मेरे द्वारा मामले का संज्ञान लिया जा चुका है. जल्दबाजी में ऐसा हो गया होगा. मैं पिछले कुछ समय से छुट्टी पर था लेकिन पक्के तौर पर इस मामले की जांच करुंगा."

रिपोर्टर अख़बार के राष्ट्रीय संपादक नवनीत गुर्जर के पास भी गये. उन्होंने कहा, "तस्वीरों की जांच-परख जरूर की जानी चाहिए थी. लेकिन मामले की कोई जानकारी न होने के कारण मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता."

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