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चैनल, नेता और अभिनेता, सबकी पसंद रियाना, खलीफा और ग्रेटा

बीते हफ्ते भारत सरकार का बजट आया. इसके साथ ही लखनऊ की अर्चना श्रीवास्तव का एक संदेश भी आया. आप सबको भी यह संदेश मिला होगा, इसका मुझे भरोसा है क्योंकि समूचा भारत इन दिनों सोशल मीडिया पर ही ज्ञान अर्जित कर रहा है.

मध्य वर्ग बोले तो मिडिल क्लास के लिए बजट के क्या मायने हैं. इसी के मद्देनज़र उस संदेश का संशोधित रूप इस टिप्पणी में आपके सामने रखा है. संक्षेप में बस इतना कहना है कि इश्क मोहब्बत अमीरों के चोंचले है मिडिल क्लास सीधे "ब्याह" करता है, इनके जीवन में कोई वैलेंटाइन नहीं होता, परिवार की "जिम्मेदारियां" जिंदगी भर बजरंग-दल की तरह इनका पीछा करती रहती हैं.

दरअसल मिडिल-क्लास मंदिर के लटकते घंटे के समान है जिसकी अल्पमत-बहुमत, दक्षिणपंथी-वामपंथी हर प्रकार की सरकार पूरे दम से बजाती है. बजट दर बजट चावल उबल गया, दूध जल गया टाइप सपने देखते हुए मध्यवर्ग अपनी ज़िंदगी बिता देता है. इस बजट में भी इसके लिए बस इतनी ही उम्मीदें हैं.

बजट की सत्यनारायण कथा के साथ ही चैनलों ने इसे डीकोड करने के लिए भांति-भांति के इंतजाम किए. इनमें से एक इंतजाम था भारत के महान, लब्ध प्रतिष्ठ अर्थशास्त्री रामदेव का बजट ज्ञान. इसे भी इस बार की टिप्पणी में देखिए.

बाबा के बजट ज्ञान से जुड़ी एक सलाह आप लोगों के लिए. यह जरूरी सलाह है, ध्यान से सुनिएगा. बाबा रामदेव को ये चैनल अर्थव्यवस्था जैसे विषय पर ज्ञान देने के लिए क्यों बुलाते हैं. जिस विषय में न तो उनकी विशेषज्ञता है, न खास ज्ञान है. ऐसा इसलिए है क्योंकि बाबा इन चैनलों और अखबारों को सबसे ज्यादा विज्ञापन देते हैं. जहां से पैसा आता है उसे ये चैनल कभी नज़रअंदाज नहीं कर सकते. भले ही इसके लिए उन्हें आपके हित से जुड़े मुद्दों को नजरअंदाज करना पड़े. हमने पहले भी आप से कहा है आगे भी कहेंगे इस मॉडल को खत्म करने के लिए आगे आइए. अपने हाथ में लगाम पकड़िए. न्यूज़लॉन्ड्री ऐसा ही प्रयास है सब्सक्राइबर्स के समर्थन से चलने वाला एक मीडिया. न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब कीजिए और गर्व से कहिए मेरे खर्च पर आज़ाद हैं खबरें.

किसानों का मुद्दा अभी भी सरगर्म है. पिछले हफ्ते अमेरिकी पॉप स्टार रियाना, पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग और साथ में मिया खलीफा ने किसानों के आंदोलन के समर्थन में ट्वीट कर दिया. इसके बाद विपक्ष, सरकार, और उसके समूचे मंत्रिमंडल के जिस्म में गुदगुदी की लहर दौड़ गई.

दो महीने से ज्यादा वक्त से किसान आंदोलनरत हैं, लेकिन हिंदुस्तान की फिल्मी और सांस्कृतिक दुनिया कमोबेश खामोश थी. लेकिन जैसे ही अंतरराष्ट्रीय सितारों ने बयान जारी किया, भारत की फिल्मी, पॉप जगत की कुंभकर्णी नींद भी टूट गई. जय देवगन, अक्षय कुमार, करण जौहर, सचिन तेंदुलकर, साइना नेहवाल, अनिल कुंबले, इन सबको लगा कि भारत की एकता और उनकी कुंभकर्णी नींद में विदेशी खलल डाली जा रही है. बाहरी लोग देश के अंदरूनी मामले में दखल दे रहे हैं.

देखिए और अपनी राय जरूर दीजिए.

Also Read: बजट 2021-22: पीएम किसान सम्मान निधि सहित कई कल्याणकारी योजनाओं के खर्च में कटौती

Also Read: ‘’आत्‍मनिर्भरता’’ के विविध रंग: किसान, पत्रकार, अखबार और आम इंसान

बीते हफ्ते भारत सरकार का बजट आया. इसके साथ ही लखनऊ की अर्चना श्रीवास्तव का एक संदेश भी आया. आप सबको भी यह संदेश मिला होगा, इसका मुझे भरोसा है क्योंकि समूचा भारत इन दिनों सोशल मीडिया पर ही ज्ञान अर्जित कर रहा है.

मध्य वर्ग बोले तो मिडिल क्लास के लिए बजट के क्या मायने हैं. इसी के मद्देनज़र उस संदेश का संशोधित रूप इस टिप्पणी में आपके सामने रखा है. संक्षेप में बस इतना कहना है कि इश्क मोहब्बत अमीरों के चोंचले है मिडिल क्लास सीधे "ब्याह" करता है, इनके जीवन में कोई वैलेंटाइन नहीं होता, परिवार की "जिम्मेदारियां" जिंदगी भर बजरंग-दल की तरह इनका पीछा करती रहती हैं.

दरअसल मिडिल-क्लास मंदिर के लटकते घंटे के समान है जिसकी अल्पमत-बहुमत, दक्षिणपंथी-वामपंथी हर प्रकार की सरकार पूरे दम से बजाती है. बजट दर बजट चावल उबल गया, दूध जल गया टाइप सपने देखते हुए मध्यवर्ग अपनी ज़िंदगी बिता देता है. इस बजट में भी इसके लिए बस इतनी ही उम्मीदें हैं.

बजट की सत्यनारायण कथा के साथ ही चैनलों ने इसे डीकोड करने के लिए भांति-भांति के इंतजाम किए. इनमें से एक इंतजाम था भारत के महान, लब्ध प्रतिष्ठ अर्थशास्त्री रामदेव का बजट ज्ञान. इसे भी इस बार की टिप्पणी में देखिए.

बाबा के बजट ज्ञान से जुड़ी एक सलाह आप लोगों के लिए. यह जरूरी सलाह है, ध्यान से सुनिएगा. बाबा रामदेव को ये चैनल अर्थव्यवस्था जैसे विषय पर ज्ञान देने के लिए क्यों बुलाते हैं. जिस विषय में न तो उनकी विशेषज्ञता है, न खास ज्ञान है. ऐसा इसलिए है क्योंकि बाबा इन चैनलों और अखबारों को सबसे ज्यादा विज्ञापन देते हैं. जहां से पैसा आता है उसे ये चैनल कभी नज़रअंदाज नहीं कर सकते. भले ही इसके लिए उन्हें आपके हित से जुड़े मुद्दों को नजरअंदाज करना पड़े. हमने पहले भी आप से कहा है आगे भी कहेंगे इस मॉडल को खत्म करने के लिए आगे आइए. अपने हाथ में लगाम पकड़िए. न्यूज़लॉन्ड्री ऐसा ही प्रयास है सब्सक्राइबर्स के समर्थन से चलने वाला एक मीडिया. न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब कीजिए और गर्व से कहिए मेरे खर्च पर आज़ाद हैं खबरें.

किसानों का मुद्दा अभी भी सरगर्म है. पिछले हफ्ते अमेरिकी पॉप स्टार रियाना, पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग और साथ में मिया खलीफा ने किसानों के आंदोलन के समर्थन में ट्वीट कर दिया. इसके बाद विपक्ष, सरकार, और उसके समूचे मंत्रिमंडल के जिस्म में गुदगुदी की लहर दौड़ गई.

दो महीने से ज्यादा वक्त से किसान आंदोलनरत हैं, लेकिन हिंदुस्तान की फिल्मी और सांस्कृतिक दुनिया कमोबेश खामोश थी. लेकिन जैसे ही अंतरराष्ट्रीय सितारों ने बयान जारी किया, भारत की फिल्मी, पॉप जगत की कुंभकर्णी नींद भी टूट गई. जय देवगन, अक्षय कुमार, करण जौहर, सचिन तेंदुलकर, साइना नेहवाल, अनिल कुंबले, इन सबको लगा कि भारत की एकता और उनकी कुंभकर्णी नींद में विदेशी खलल डाली जा रही है. बाहरी लोग देश के अंदरूनी मामले में दखल दे रहे हैं.

देखिए और अपनी राय जरूर दीजिए.

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