Newslaundry Hindi
बुलडोजर पर सवार सरकार और खबरनवीसों का सोहरगान
एक पत्रकार के पतन में पूरे लोकतंत्र के पतन का खतरा होता है. राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह पूर्व पत्रकार हैं. अब पूरी तरह नेता हो चुके हैं. उन्होंने एक अखबार की स्थापना की थी, जिसकी टैगलाइन हुआ करती थी अखबार नहीं आंदोलन. हरिवंशजी अब अखबार के जरिए आंदोलन नहीं करते, अब वो राजनीति के जरिए बुलडोजर चलाते हैं.
राज्यसभा में कृषि बिल को पास करवाने के लिए हरिवंशजी ने ध्वनिमत का जोर चलाया, उस राज्यसभा में जहां सरकार के पास बहुमत था ही नहीं. उस दिन राज्यसभा में हरिवंशजी की नज़रें नीचे झुकी हुई थीं. शायद अनैतिक होने की यही पहचान है कि व्यक्ति नज़रें नहीं मिलाता, बल्कि झुका लेता है. उन्होंने कृषि बिल पास करवा कर संसदीय मर्यादाओं, परंपराओं, प्रणालियों का फातेहा लिख दिया. बिना बहस-मुबाहिसे के पास हुए इस बिल के अच्छे-बुरे परिणामों को अब टाला नहीं जा सकता. उन्हें अब देश को किसानों को भुगतना ही होगा.
संसदीय कार्यवाही की नियमावली कहती है कि अगर विपक्ष मांग करता है तो हर बिल पर बाकायदा वोटिंग करवायी जानी चाहिए. लेकिन हरिवंशजी 20 सितंबर को बिल का बुलडोजर चलाने आए थे. उन्होंने नियम कानूनों को ठेंगा और चालाकी दिखाते हुए ध्वनिमत का सहारा लिया. सदन में सरकार के पास बहुमत नहीं है यह जानते हुए भी उन्होंने ध्वनिमत का सहारा लिया और सारा ठीकरा आठ उद्दंड सांसदों के सिर फोड़ दिया गया. उन्हें सदन से निलंबित कर दिया गया.
क्या उपसभापति हरिवंश का कामकाज संसदीय मर्यादा के अनुकूल था. वो पूरी राज्यसभा के गर्जियन हैं न कि सत्ताधारी दल के हरकारे. संसद में किसी बिल पर बहस मुबाहिसा होने के बाद, उसमें तमाम लोगों के सुझाव जुड़ते हैं, फिर भी बात न बने तो उसे सिलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाता है. इन संसदीय प्रक्रियाओं से गुजर कर कोई कानून ज्यादा से ज्यादा जनहितकारी और खामियों से मुक्त होता है. लेकिन उन्होंने उन तमाम संसदीय प्रक्रियाओं पर भी बुलडोजर चला दिया.
कृषि बिल के प्रावधानों, मीडिया की सरकार के पक्ष में, किसानों के विरोध में प्रसारण और प्रधानमंत्री का इस पर आया बयान आदि तमाम मसलों पर इस हफ्ते की टिप्पणी देखें और प्रतिक्रिया दें.
Also Read: एनएल टिप्पणी: कंगना की खनक और अर्णब की सनक
Also Read
-
A flurry of new voters? The curious case of Kamthi, where the Maha BJP chief won
-
Delhi’s demolition drive: 27,000 displaced from 9 acres of ‘encroached’ land
-
How its nearly impossible for Muslims to buy property in Gujarat
-
Air India crash aftermath: What is the life of an air passenger in India worth?
-
How good is the air near Delhi’s Safdarjung Tomb?