Video
ओडिशा में बढ़ता हाथी-मानव संघर्ष, स्टोन क्रशर, खदानें हैं असली कारण या वजह कुछ और
ओडिशा में हाथी और इंसानों के बीच टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है. इस संघर्ष में इंसानी जान की तो हानि हो ही रही है, साथ ही खेती को भी भारी नुकसान पहुंच रहा है. इस साल अक्टूबर तक 75 लोगों की मौत हाथियों के हमले में हुई है.
वाइल्डलाइफ़ इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, ओडिशा में करीब 912 हाथी हैं. कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में हाथियों की संख्या ओडिशा से कहीं ज़्यादा है लेकिन वहां हाथियों के कारण इंसानों की मौत के मामले बहुत कम हैं.
हाथी-मानव संघर्ष और इसके प्रभाव को समझने के लिए हमने शोधकर्ताओं और स्थानीय लोगों से बात की. शोधकर्ताओं का कहना है कि ढेंकानाल ज़िले में सबसे ज़्यादा संघर्ष देखने को मिलता है. यहां हाथियों के कारण साल 2021 से 2025 (21 अक्टूबर तक) 129 लोगों की मौत हुई है.
माना जा रहा है कि हाथी-मानव संघर्ष का एक कारण इलाके में बढ़ती खनन गतिविधियां, स्टोन क्रशिंग यूनिट्स और खदानों की संख्या है. इन जगहों पर ज़्यादा रोशनी और वाहनों की आवाजाही से हाथियों का प्राकृतिक रास्ता बाधित हो जाता है, जिससे वे गांवों की ओर रुख कर लेते हैं.
निमिधा गांव, हिंडोल ब्लॉक, ढेंकानाल से नेशनल हाईवे-55 की तरफ जाते हुए हमें भी रास्ते कई स्टोन क्रशिंग यूनिट्स दिखीं.
वाइल्डलाइफ़ सोसाइटी ऑफ़ ओडिशा के सचिव बिश्वजीत मोहंती का कहना है कि एक प्रमुख समस्या को वन विभाग नज़रअंदाज़ कर रहा है. जंगलों के अंदर पत्थर खदानों और ब्लास्टिंग की अनुमति देना हमें भले ही कानूनी नजर आता हो लेकिन असल में यह हाथियों का इलाका है.
देखिए हमारी ये खास रिपोर्ट.
भ्रामक और गलत सूचनाओं के इस दौर में आपको ऐसी खबरों की ज़रूरत है जो तथ्यपरक और भरोसेमंद हों. न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करें और हमारी भरोसेमंद पत्रकारिता का आनंद लें.
Also Read
-
NL Hafta: Decoding Bihar’s mandate
-
On Bihar results day, the constant is Nitish: Why the maximiser shapes every verdict
-
Missed red flags, approvals: In Maharashtra’s Rs 1,800 crore land scam, a tale of power and impunity
-
6 great ideas to make Indian media more inclusive: The Media Rumble’s closing panel
-
Friends on a bike, pharmacist who left early: Those who never came home after Red Fort blast