अतुल चौरसिया और दीपांकर भट्टाचार्य
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बीच चुनाव में हत्या हो रही, क्या ये जंगलराज नहीं है: दीपांकर भट्टाचार्य

बिहार विधानसभा के दूसरे चरण के लिए 11 नवंबर को मतदान होगा. इस चुनाव में महागठबंधन का एक अहम घटक दल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) लिबरेशन भी है. पार्टी के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य से हमने बिहार चुनावों के आलोक में तमाम विषयों पर बात की. जैसे प्रदेश में उनकी पार्टी की स्थिति और महागठबंधन में उनकी भूमिका से लेकर पार्टी के चुनावी प्रदर्शन पर भी चर्चा हुई. मालूम हो कि पार्टी इस बार बिहार में 20 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.  

बातचीत में दीपांकर ने बिहार चुनाव में एनडीए द्वारा पैसा बांटे जाने को मॉडल कोड ऑफ कन्डक्ट का मज़ाक बताते हुए इसे ‘महिला कर्जदार योजना’ कहा. जिसमें मिला पैसा लोन के रूप में है. उन्होंने कहा कि ये सिर्फ शोर है जबकि जमीनी स्तर पे बहुत कम महिलाओं तक ही पैसा पहुंचा है. उन्होंने “10 हजार में दम नहीं, कर्जमाफी से कम नहीं” का नारा भी बना दिया है.. 

दीपांकर ने महिलाओं को सशक्त बनाने और झारखंड मॉडल पर काम करने की बात कही. उन्होंने कहा कि महागठबंधन का पहला टारगेट रोजगार है ताकि बिहार के लोगों को सम्मानजनक माहौल मिल सके और वो अपने क्षेत्र में ही रोजगार पा सकें. 

उन्होंने कहा कि भाजपा को असल मुद्दों और वर्तमान की बात करनी चाहिए ना कि ‘पुराने जंगलराज’ या आने वाले 50 साल के सपने दिखाने चाहिए. बिहार में जंगलराज की स्थिति हालिया मोकामा की घटना से साफ हो गई है.

देखिए पटना से एक और चुनावी शो का ये खास एपिसोड.

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