Video
लद्दाख का सूरत-ए-हाल: 5 साल की हताशा और बीजेपी की कठपुतली मीडिया से उपजी निराशा
यह सोचना एक भूल है कि सब कुछ 24 सितंबर से शुरू हुआ. लद्दाखी लोग पिछले साढ़े पांच साल से विरोध कर रहे हैं," 65 वर्षीय बौद्ध भिक्षु रवि ने न्यूज़लॉन्ड्री से कहा.
गौरतलब है कि लद्दाख में 24 सितंबर को हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद सुरक्षा बलों की कार्रवाई में चार लोगों की मौत हो गई. इस घटना ने लद्दाख को एक गहरी खामोशी में धकेल दिया. इसके बाद राष्ट्रीय मीडिया और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से जो प्रतिक्रिया आई, वह कोई नई नहीं थी. ऐसी ही प्रतिक्रिया पहले भी कई बार देशभर में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान देखने को मिल चुकी है. असल में, देश में प्रति व्यक्ति के हिसाब से सबसे ज्यादा वीरता पुरस्कार पाने वाले लद्दाखियों को "राष्ट्र-विरोधी" कहकर बदनाम किया गया.
भारत के जलवायु हीरो और 3 इडियट्स फिल्म के प्रेरणास्रोत सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत गिरफ्तार कर लिया गया. यह कानून आमतौर पर आतंकवाद के संदिग्धों पर लगाया जाता है. इंटरनेट सेवाएं 9 अक्टूबर तक बंद रखी गईं.
न्यूज़लॉन्ड्री की टीम लेह पहुंची ताकि इस खामोशी के पीछे दबे शोर को समझा जा सके. लद्दाख के लोगों की मांगें, 24 सितंबर का घटनाक्रम और साथ में ये उत्सुकता कि यह बर्फीला रेगिस्तान आखिर क्यों धधक उठा.
अनुच्छेद 370 के हटने के बाद लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) का दर्जा तो मिला, लेकिन बिना किसी विधानसभा के. केंद्र सरकार के अधीन आने के कारण लद्दाख ने न केवल अपना राजनीतिक प्रतिनिधित्व की शक्ति खो दिया बल्कि जमीन और संस्कृति पर हासिल उनका संवैधानिक संरक्षण भी समाप्त हो गया. यही वजह रही कि लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा धीरे-धीरे आंदोलन का केंद्र बन गया.
इसके अलावा, छठी अनुसूची के तहत लद्दाख को शामिल किए जाने की मांग भी महत्वपूर्ण हो गई, क्योंकि लद्दाख की लगभग 97 प्रतिशत आबादी आदिवासी है और यह क्षेत्र पर्यावरण की दृष्टि से भी बेहद नाजुक और सामरिक नज़रिये से महत्वपूर्ण है.
देखिए न्यूज़लॉन्ड्री की यह खास वीडियो डॉक्यूमेंट्री-
त्यौहार हमें याद दिलाते हैं कि अंधेरा कितना ही गहरा हो प्रकाश एक किरण ही उजाला फैला देती है, छल का बल हमेशा नहीं रहता और आशा की जीत होती है. न्यूज़लॉन्ड्री और द न्यूज़ मिनट को सब्स्क्राइब कीजिए ताकि स्वतंत्र पत्रकारिता का ये दीया जलता रहे. हमारे दिवाली ऑफर का लाभ उठाने के लिए यहां क्लिक करें.
Also Read
-
TV Newsance 321: Delhi blast and how media lost the plot
-
Hafta 563: Decoding Bihar’s mandate
-
Bihar’s verdict: Why people chose familiar failures over unknown risks
-
On Bihar results day, the constant is Nitish: Why the maximiser shapes every verdict
-
Missed red flags, approvals: In Maharashtra’s Rs 1,800 crore land scam, a tale of power and impunity