Khabar Baazi
गौतम अडाणी पर मीडिया रिपोर्टिंग रोकने वाले केंद्र के फैसले के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे रवीश कुमार
वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने केंद्र सरकार के एक आदेश को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया है. उन्होंने उद्योगपति गौतम अडाणी को लेकर प्रकाशित कंटेंट हटाए जाने का आदेश के खिलाफ एक याचिका दायर की है. अपनी याचिका में कुमार ने कहा कि सरकार का ये आदेश प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला है. रवीश ने इसे ‘असामान्य’ और ‘असंवैधानिक’ प्रयोग कहा है.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, रवीश ने कहा है कि भले ही वह मानहानि के मुकदमे में कोई पक्षकार नहीं थे, जिसमें यह आदेश पारित किया गया लेकिन केंद्र के निर्देश से उन पर सीधा और प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है क्योंकि उनके यूट्यूब वीडियोज़ को हटाने का प्रयास किया गया है.
उल्लेखनीय है कि रोहिणी जिला अदालत के सिविल जज अनुज कुमार सिंह ने 6 सितंबर को एक आदेश जारी किया था. कोर्ट ने यह आदेश अडाणी एंटरप्राइजेज द्वारा इस महीने की शुरुआत में दायर याचिका पर दिया था. इस याचिका में पत्रकार पंरजॉय गुहा ठाकुरता समेत कई पत्रकारों और संस्थानों को कंपनी के खिलाफ मानहानिकारक लेख और वीडियो प्रकाशित करने से रोकने की मांग की थी.
अपने अंतरिम आदेश में सिविल जज सिंह ने लिखा था, “न्याय के हित में इतना पर्याप्त है कि प्रतिवादी 1 से 10 को अगले आदेश तक अडाणी समूह की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाली अप्रमाणित, असत्यापित और सतही रूप से मानहानिकारक रिपोर्टें प्रकाशित/ प्रसारित/ वितरित करने से रोका जाए.” आदेश में यह भी कहा गया था कि अप्रमाणित या असत्यापित सामग्री को हटाया जाए या यदि संभव न हो तो पांच दिन के भीतर डिलीट किया जाए.
बाद में कोर्ट के इसी आदेश के आधार पर सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने 16 सितंबर को पत्रकारों, मीडिया संस्थानों और कंटेंट क्रिएटर्स को टेकडाउन नोटिस जारी कर दिया. न्यूज़लॉन्ड्री भी उनमें शामिल था. मंत्रालय ने आदेश में कई यूट्यूब और इंस्टाग्राम लिंक हटाने को कहा. बाद में रोहिणी कोर्ट के जिला जज आशीष अग्रवाल ने सिविल जज अनुज कुमार सिंह के आदेश पर रोक लगा दी थी.
रवीश कुमार ने अपनी याचिका में इसी आदेश को चुनौती दी है. रवीश के अलावा इस मामले में न्यूज़लॉन्ड्री भी कोर्ट पहुंचा है.
हाईकोर्ट अब दोनों की याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करेगी.
न्यूज़लॉन्ड्री इस हिंदी दिवस को एक उत्सव की तरह मना रहा है और हम अपने सब्सक्राइबर्स के लिए एक खास ऑफर लाएं हैं. यहां क्लिक करके इस ऑफर का लाभ उठाएं.
Also Read
-
Skills, doles, poll promises, and representation: What matters to women voters in Bihar?
-
From Cyclone Titli to Montha: Odisha’s farmers suffer year after year
-
How Zohran Mamdani united New York’s diverse working class
-
No victory parade for women or parity: ‘Market forces’ merely a mask for BCCI’s gender bias
-
Not just freebies. It was Zohran Mamdani’s moral pull that made the young campaign for him