Video
गुजरात: विकास से वंचित मुस्लिम मोहल्ले, बंटा हुआ भरोसा और बढ़ती खाई
न्यूज़लॉन्ड्री की पहली रिपोर्ट में आपने देखा कि कैसे एक कानून के माध्यम से गुजरात के मुस्लिम तबके को निशाना बनाया जा रहा है. वहीं, अगर अहमदाबाद की बात करें तो यहां हिन्दू और मुस्लिम आबादी का इलाकों के आधार पर अलग-अलग बसना अब एक ‘सामान्य’ सामाजिक संरचना की तरह देखा जाता है, लेकिन इस विभाजन के पीछे बेहद तकलीफ़देह हकीकत है.
गुजरात में हिन्दू-मुस्लिम दंगों का लंबा सिलसिला रहा है. आखिरी भयावह दंगा साल 2002 में हुआ. दंगों ने एक दूसरों के प्रति भरोसे को तोड़ दिया. जिससे लोग अलग-अलग रहने पर मज़बूर हुए. वहीं, डिस्टर्ब्ड एरिया एक्ट' ने इस दूरी को बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाई.
इसका नतीजा ये हुआ कि मुस्लिम आबादी जुहापुरा, शाहआलम, दरियापुर और सरखेज जैसे कुछ क्षेत्रों में सिमटकर रह गई. इन इलाकों में आबादी बढ़ने की रफ़्तार तेज रही क्योंकि कहीं और मुस्लिमों को घर ही नहीं मिल पाता है. वहीं, यहां विकास की रफ़्तार धीमी पड़ गई.
जुहापुरा, जिसे देश का सबसे बड़ा मुस्लिम बहुल इलाका माना जाता है, आज भी साफ पीने के पानी, दुरुस्त सड़कों और प्रभावी सीवरेज जैसी बुनियादी ज़रूरतों के लिए जूझ रहा है.
अपने इलाके में साफ पीने के पानी और सीवरेज के लिए यहां के नागरिकों को कोर्ट का रुख करना पड़ता है. साल 2010 में एक ऐसी ही याचिका गुजरात हाईकोर्ट में फाइल हुई थी, जिसमें पीने का साफ़ पानी और सीवरेज समेत कई अन्य मांग की गई थी. जिसके जवाब में अहमदाबाद नगर निगम ने बताया था कि वो टैंकर के जरिए कुछ इलाकों में पानी पहुंचा रहे हैं और जल्द ही पाइप के जरिए पानी पहुंचाया जाएगा.
हालांकि, आज भी आपको यहां के हिन्दू और मुस्लिम इलाकों की पहचान वहां हुए विकास कार्यों से आसानी से लगा सकते हैं.
हमारी इस स्टोरी के दौरान ही कथित धर्म गुरु धीरेन्द्र शास्त्री ने हिन्दू गांव बनाने की घोषणा की. हालांकि, उनको नहीं मालूम कि गुजरात के कई गांव खुद को पहले ही हिन्दू राष्ट्र का हिस्सा घोषित कर चुके हैं. इन गांवों के बाहर बोर्ड लगा होता है कि ये हिन्दू राष्ट्र का हिस्सा हैं. यह बोर्ड बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद द्वारा लगवाया जाता है. सिर्फ गांव ही नहीं पंचायत घरों पर भी भारत की जगह हिन्दू राष्ट्र, भारत लिखा नजर आता है.
उत्तरी गुजरात के बजरंग दल प्रमुख ज्वलित मेहता से जब हमने पूछा कि कभी प्रशासन ने आपसे बोर्ड हटाने के लिए नहीं कहा तो उनका जवाब ना था. हालांकि, इसी गुजरात पुलिस ने एक नज़्म को लेकर कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी पर मुकदमा दर्ज कर दिया. उन्हें गुजरात हाईकोर्ट से जमानत तक नहीं मिली. इमरान को सुप्रीम कोर्ट का जाना पड़ा, जहां से कोर्ट ने केस को ही रद्द कर दिया और गुजरात पुलिस पर सवाल खड़े कर दिए.
गुजरात का सामाजिक परिदृश्य धीरे-धीरे ऐसा आकार ले रहा है, जिसमें एक बड़ा तबका खुद को दोयम दर्जे का नागरिक महसूस करता है. संवैधानिक अधिकार अब भी हैं, लेकिन उन तक पहुंचने का रास्ता लंबा, थका देने वाला और अक्सर निराशाजनक होता जा रहा है.
देखिए गुजरात के भीतर के ‘हिंदू राष्ट्र’ पर हमारी ये खास रिपोर्ट.
न्यूज़लॉन्ड्री इस हिंदी दिवस को एक उत्सव की तरह मना रहा है और हम अपने सब्सक्राइबर्स के लिए एक खास ऑफर लाएं हैं. यहां क्लिक करके इस ऑफर का लाभ उठाएं.
Also Read
-
Reality check of the Yamuna ‘clean-up’: Animal carcasses, a ‘pond’, and open drains
-
Haryana’s bulldozer bias: Years after SC Aravalli order, not a single govt building razed
-
Ground still wet, air stays toxic: A reality check at Anand Vihar air monitor after water sprinkler video
-
Was Odisha prepared for Cyclone Montha?
-
चक्रवाती तूफान मोंथा ने दी दस्तक, ओडिशा ने दिखाई तैयारी