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यूपी की अदालत ने दिया टीवी एंकर अंजना ओम कश्यप पर मामला दर्ज करने का आदेश
लखनऊ की एक अदालत ने आज तक की एंकर अंजना ओम कश्यप के ख़िलाफ़ विभाजन पर प्रसारित शो को लेकर शिकायत दर्ज करने का आदेश दिया है.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, यह आदेश अंजना के शो ब्लैक एंड व्हाइट के एक एपिसोड से जुड़ा है, जो 14 अगस्त को प्रसारित हुआ था. कार्यक्रम का शीर्षक था: “भारत विभाजन का मक़सद पूरा क्यों नहीं हुआ?”
याचिकाकर्ता और पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने आरोप लगाया कि शो का वीडियो आज तक के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर इस कैप्शन के साथ अपलोड किया गया: “4 करोड़ मुसलमानों में से सिर्फ़ 96 लाख पाकिस्तान गए! भारत विभाजन का मक़सद पूरा क्यों नहीं हुआ?” ठाकुर का आरोप है कि इस प्रसारण का मक़सद दो धार्मिक समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाना था.
उन्होंने अदालत को बताया कि पहले उन्होंने उत्तर प्रदेश के गोमतीनगर थाने में एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. इसके बाद उन्होंने निजी शिकायत दर्ज की.
अपनी अर्जी में ठाकुर ने कहा कि यह कार्यक्रम “पूरी तरह राष्ट्रीय एकता के ख़िलाफ़” था और तथ्यों को इस तरह प्रस्तुत करता है, जिससे जनता की भावनाएं भड़क सकती हैं. उनका कहना था कि यह सवाल उठाना कि विभाजन के बाद मुसलमान भारत में क्यों रुके, दरअसल उनके देश में बने रहने के अधिकार पर ही सवाल उठाना है. इस तरह की प्रस्तुति “असहिष्णु व्यक्तियों” को “ऐतिहासिक सुधार” की सोच रखने के लिए प्रेरित कर सकती है.
ठाकुर, जो राजनीतिक दल आजाद अधिकार सेना के प्रमुख भी हैं, ने दावा किया कि इस कार्यक्रम से भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत अपराध बनते हैं, जिनमें धार्मिक आधार पर समुदायों के बीच दुश्मनी फैलाना, सामाजिक सौहार्द बिगाड़ना, राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक दावे करना और सार्वजनिक उपद्रव को भड़काने वाले बयान शामिल हैं.
अंजना ने शो में क्या कहा?
दरअसल, अंजना इस शो में बंटवारे की कहानी बताते हुए कहती हैं, “आज से 78 साल पहले आज ही के दिन भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजन की रेखाएं खींची गई थी और धर्म के नाम पर भारत के दो टुकड़े कर दिए गए थे और यह विभाजन भारत के लोगों से पूछकर नहीं हुआ था. यह बंटवारा मुस्लिम लीग और मोहम्मद अली जिन्ना की जिद और कांग्रेस की सहमति से हुआ था. 3 जून 1947 को जब भारत के आखिरी वायसरॉय लुई माउंटबटन ने यह ऐलान किया कि मोहम्मद अली जिन्ना और कांग्रेस पार्टी भारत- पाक विभाजन पर सहमत हो गए हैं. तब इस ऐलान पर कांग्रेस के ज्यादातर नेता तालियां बजा रहे थे. उस समय भी महात्मा गांधी अकेले ऐसे नेता थे जिन्होंने इस विभाजन का विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि इस बंटवारे के लिए अंग्रेज नहीं बल्कि भारत के नेता ही जिम्मेदार हैं.”
अंजना ने शो में आगे कहा, “यह बात भी इतिहास में दबा दी गई कि जिस ब्रिटिश अफसर को भारत और पाकिस्तान के बीच बंटवारे की लकीर खींचने का काम सौंपा गया था, वो भारत के बारे में कुछ नहीं जानता था. इस ब्रिटिश अफसर का नाम था सिरिल रैडक्लिफ और इसे इस काम के लिए सिर्फ पांच हफ्तों का समय दिया गया था और इन पांच हफ्तों में सिरिल रैडक्लिफ 95% इन इलाकों में कभी नहीं गए थे. 95% इलाकों में वो गए ही नहीं थे. जहां उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा खींच दी. सोचिए इससे बड़ा मजाक क्या हो सकता है?.”
इसके बाद फिर से अंजना इस बात पर जोर देती हैं कि भारत का बंटवारा धर्म के आधार पर हुआ. वो कहती हैं, “इससे भी ज्यादा दुख की बात तो यह है कि जब एक अंग्रेज इस तरह से भारत माता के टुकड़े कर रहा था तब भारत के बहुत सारे नेता यह तय करने में व्यस्त थे कि किसे कौन सा मंत्रालय और कौन सा विभाग मिलेगा. यह विभाजन धर्म के आधार पर हुआ, लेकिन मैं आपको बड़ी स्क्रीन पर दिखाती हूं कि जिस मकसद से यह विभाजन किया गया था, वह मकसद कभी पूरा ही नहीं हुआ.”
फिर अंजना बंटवारे के दौरान भारत से पाकिस्तान जाने वाले मुसलमानों की तुलना पूर्वी पाकिस्तान (मौजूदा बांग्लादेश) और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं के आंकड़े से करती हैं और ये बताने की कोशिश करती हैं कि सभी मुसलमानों को यहां से चले जाना चाहिए था और सभी हिंदुओं को यहां आना चाहिए था. जो एक समाचार माध्यम के तौर पर काफी आपत्तिजनक भाषा है.
अंजना कहती हैं, “अब हम आपको नंबर्स के जरिए बताते हैं. बंटवारे के वक्त पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान से कुल 83 लाख लोग भारत में आए थे…जबकि भारत से कुल 96 लाख लोग पाकिस्तान में गए थे…. तो ये विभाजन का मकसद क्या पूरा हुआ 1947 में?...तो 96 लाख गए पाकिस्तान में और 83 लाख आए भारत में. उस वक्त भारत में मुसलमानों की आबादी लगभग 4 करोड़ थी. लेकिन इसके बावजूद सिर्फ 96 लाख मुसलमान ही पाकिस्तान गए…... इससे आप ये समझ सकते हैं कि ये बंटवारा तो हिंदू और मुसलमानों के नाम पर हुआ था. लेकिन सच ये है कि भारत से पाकिस्तान जाने वाले मुसलमान आबादी के अनुपात में बहुत कम थे और पाकिस्तान और आज के बांग्लादेश से भारत आने वाले हिंदू ज्यादा थे. इसके अलावा जो मुसलमान भारत में रहे उन्हें अपने धर्म का पालन करने की पूरी आजादी मिली. भारत में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, मुख्यमंत्री, राज्यपाल यहां तक कि भारत की क्रिकेट टीम के कप्तान भी मुस्लिम समुदाय के लोग रहे.”
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