नितिन गडकरी और पवन खेड़ा की तस्वीर.
Saransh

इथेनॉल की मिलावट और शुद्ध पेट्रोल की मांग के बीच गाड़ियों की बिगड़ती सेहत का सारांश

अगर आपके पास पेट्रोल से चलने वाली गाड़ी है, तो इस बात की पूरी संभावना है कि आप इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल का इस्तेमाल कर रहे हों क्योंकि भारत में अब लगभग हर पंप पर यही मिश्रित पेट्रोल मिल रहा है. दरअसल, भारत ने सामान्य पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिलाकर बेचने का लक्ष्य तय समय सीमा से पांच साल पहले ही हासिल कर लिया है. इस बीच पेट्रोल के साथ इथेनॉल की मिलावट को लेकर एक विवादित बहस छिड़ चुकी है. एक तबके का मानना है कि इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल गाड़ियों की सेहत के लिए बहुत बुरा है और साथ में यह गाड़ियों की एवरेज को बहुत कम कर देता है. लेकिन सरकार इस बात से साफ इनकार करती है. अपनी बात के समर्थन में उसके पास कुछ आंकड़े हैं. 

गाड़ियों की सेहत के साथ एक तर्क यह भी सामने आया है कि जब सरकार शुद्ध पेट्रोल दे ही नहीं रही है तो उसकी कीमत इतनी ऊंची क्यों रखी गई है. 

सरकार की ओर से कहा गया कि पर्यावरण के लिहाज़ से इथेनॉल फायदेमंद है. यह पेट्रोल की तुलना में कम कार्बन उत्सर्जन करता है. लेकिन इसका एक दूसरा पहलू भी है. 

आज के सारांश में हम इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल की इसी अर्थव्यवस्था, वाहन मालिकों की जेब और गाड़ी के इंजन की सेहत पर पड़ने वाले असर का मुआयना करेंगे.

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