Video
उत्तर प्रदेश में प्राइमरी स्कूलों की विलय नीति पर ग्राउंड रिपोर्ट
16 जून को उत्तर प्रदेश सरकार ने नामांकन कम होने का हवाला देते हुए 10,000 से अधिक प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों के विलय का आदेश दिया. राज्य की शिक्षा संकट का हल बताकर पेश की गई इस नीति ने उल्टा सीतापुर और रायबरेली जैसे जिलों के बच्चों को घरों में ही फंसा दिया है.
एक किलोमीटर से ज़्यादा दूर स्कूलों का बंद होना और बरसाती पानी से कट चुके रास्तों के कारण परिवारों का कहना है कि यह कदम वंचित बच्चों ख़ासकर लड़कियों को शिक्षा व्यवस्था से बाहर कर देगा. शिक्षकों का कहना है कि यह बुनियादी शिक्षा की “तबाही” है, जबकि सामाजिक कार्यकर्ताओं का तर्क है कि यह योजना निजी स्कूलों को मज़बूत करती है और इसकी क़ीमत ग्रामीण बच्चों को चुकानी पड़ेगी.
इस बड़े पैमाने पर किए गए “पेयरिंग” ने पूरे ग्रामीण उत्तर प्रदेश में विरोध छेड़ दिया है, जहां अभिभावक, शिक्षक और विपक्ष सरकार पर दबाव डाल रहे हैं कि वह इस गहरी खामी वाली नीति को वापस ले. न्यूज़लॉन्ड्री ने सीतापुर और रायबरेली का दौरा किया ताकि यह दर्ज किया जा सके कि यह विलय बच्चों के भविष्य को किस तरह बदल रहा है.
पूरी रिपोर्ट देखें और जानें कि यह नीति ज़मीनी स्तर पर किस तरह असर डाल रही है.
Also Read
-
98% processed is 100% lie: Investigating Gurugram’s broken waste system
-
Delhi protests against pollution: ‘We have come to beg the govt for clean air’
-
The unbearable uselessness of India’s Environment Minister
-
After Sindoor, a new threat emerges: How ‘educated terror’ slipped past India’s security grid
-
Pixel 10 Review: The AI obsession is leading Google astray