Khabar Baazi
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश: बिहार एसआईआर ड्राफ्ट रोल में काटे गए 65 लाख नाम सार्वजनिक करे चुनाव आयोग
बिहार में हुए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन, यानी एसआईआर मामले में लगातार तीसरे दिन भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने चुनाव आयोग को रिवीजन के दौरान सूची से हटाए गए सभी 65 लाख मतदाताओं के नामों की सूची जारी करने और उन्हें हटाने का कारण सार्वजनिक करने के निर्देश दिए. कोर्ट ने साथ ही ये भी कहा कि आयोग को आधार कार्ड को वैध दस्तावेज के तौर पर स्वीकार करना चाहिए.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने इस दौरान ये भी कहा कि यह सूची एपिक नंबर के आधार पर सर्चेबल यानि खोजे जाने योग्य होनी चाहिए. कोर्ट ने आदेश दिया कि जिन 65 लाख मतदाताओं का नाम ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं है, उनका नाम 48 घंटे में जिला निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर डाला जाए. साथ ही यह भी बताया जाए कि उनका नाम क्यों हटाया गया. यह लिस्ट हर बीएलओ ऑफिस, पंचायत भवन और बीडीओ ऑफिस के बाहर भी लगाई जाएगी. इसकी सूचना अखबार, टीवी और रेडियो पर दी जाए. कोर्ट ने यह भी कहा कि जिनका नाम लिस्ट में नहीं है, उनके लिए आधार कार्ड को पहचान पत्र के रूप में मानें.
चुनाव आयोग को 3 दिन का समय
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “मंगलवार तक चुनाव आयोग बताएं कि पारदर्शिता के लिए वह क्या कदम उठाएगा.” कोर्ट ने चुनाव आयोग को 3 दिन का समय दिया. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया कि जिन लोगों ने फॉर्म जमा किए हैं, उनका नाम अभी मतदाता सूची में रहेगा.
जस्टिस सूर्यकांत ने वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी से कहा कि यह मामला नागरिक के मताधिकार से जुड़ा है. इसलिए प्रक्रिया निष्पक्ष होनी चाहिए. जस्टिस बागची ने पूछा, “जब नाम बोर्ड पर लगाए जा सकते हैं, तो वेबसाइट पर क्यों नहीं डाले जा सकते?”
द्विवेदी ने कहा कि एक पुराने फैसले में मतदाता सूची को पूरी तरह सर्चेबल बनाने पर गोपनीयता को लेकर आपत्ति आई थी. इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि सर्चेबल फॉर्मेट ठीक है. उन्होंने बताया कि बीएलओ के मोबाइल नंबर वेबसाइट पर डाले जाएंगे. कोर्ट ने इसे अच्छा कदम माना.
सीनियर एडवोकेट वृंदा ग्रोवर ने कहा कि सूची मशीन द्वारा पढ़ी जाने योग्य होनी चाहिए. उन्होंने पहले हुए एक घोटाले का हवाला दिया. वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल एस. ने बताया कि सूची का फॉर्मेट बदला गया है. इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने दोहराया कि 'यह सर्चेबल होनी चाहिए.'
मृत, प्रवासी और डुप्लीकेट नामों पर सवाल
कोर्ट ने पूछा कि अगर 22 लाख मतदाता मृत पाए गए हैं, तो उनके नाम ब्लॉक और सब-डिवीजन स्तर पर क्यों न बताए जाएं. द्विवेदी ने कहा कि सिर्फ बीएलओ ही नहीं, बूथ लेवल एजेंट भी प्रक्रिया में शामिल हैं. जस्टिस बागची ने सुझाव दिया कि मृत, प्रवासी या डुप्लीकेट मतदाताओं के नाम भी वेबसाइट पर डाले जाएं.
द्विवेदी ने कहा कि यह राज्य सरकार की वेबसाइट पर संभव नहीं है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग की वेबसाइट उपलब्ध है. द्विवेदी ने बताया कि पंचायत चुनाव की जानकारी अलग वेबसाइट पर है, लेकिन मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर डेटा डाला गया है. कोर्ट ने इस पर सहमति दी. अब इस मामले की सुनवाई 22 अगस्त को होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने दिए ये निर्देश
(i) जिन लगभग 65 लाख मतदाताओं के नाम 2025 की मतदाता सूची में थे लेकिन ड्राफ्ट सूची में शामिल नहीं हैं, उनकी सूची प्रत्येक ज़िला निर्वाचन पदाधिकारी की वेबसाइट पर ज़िला-वार प्रदर्शित की जाएगी. यह जानकारी बूथ-वार होगी, लेकिन मतदाता अपने एपिक नंबर से भी इसे देख सकेंगे.
सूची में ड्राफ्ट रोल में नाम न होने का कारण भी दर्ज होगा.
(ii) इन 65 लाख मतदाताओं की सूची ज़िला निर्वाचन पदाधिकारियों की वेबसाइट पर उपलब्ध होने की जानकारी जनता तक पहुंचाने के लिए, बिहार के स्थानीय भाषाओं के व्यापक प्रसार वाले अख़बारों में व्यापक प्रचार किया जाएगा. इसके अलावा यह सूचना टीवी और रेडियो चैनलों पर प्रसारित की जाएगी. यदि ज़िला निर्वाचन पदाधिकारियों का कोई आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट है, तो वहां भी यह सार्वजनिक नोटिस प्रदर्शित किया जाएगा.
(iii) इसके अलावा, इन 65 लाख मतदाताओं की बूथ-वार सूची प्रत्येक बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) द्वारा अपने संबंधित प्रखंड विकास/पंचायत कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर भी लगाई जाएगी, ताकि लोग सूची को मैन्युअल रूप से भी देख सकें और नाम न होने का कारण जान सकें.
(iv) सार्वजनिक नोटिस में यह स्पष्ट रूप से लिखा जाएगा कि जिन लोगों को आपत्ति है, वे अपना दावा आधार कार्ड की प्रति के साथ जमा कर सकते हैं.
(v) राज्य निर्वाचन पदाधिकारी को भी ज़िला-वार सूची की सॉफ़्ट कॉपी उपलब्ध कराई जाएगी, जिसे बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाएगा.
(vi) वेबसाइट पर उपलब्ध सूचियों को एपिक नंबर के आधार पर खोजा जा सकेगा.
(vii) चुनाव आयोग सभी बूथ लेवल अधिकारियों और ज़िला निर्वाचन पदाधिकारियों से फैसले के अनुपालन की रिपोर्ट लेगा और उसे एक संकलित रिपोर्ट के रूप में कोर्ट में दायर करेगा.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
भ्रामक और गलत सूचनाओं के इस दौर में आपको ऐसी खबरों की ज़रूरत है जो तथ्यपरक और भरोसेमंद हों. न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करें और हमारी भरोसेमंद पत्रकारिता का आनंद लें.
Also Read
-
Since Modi can’t stop talking about Nehru, here’s Nehru talking back
-
Indigo: Why India is held hostage by one airline
-
2 UP towns, 1 script: A ‘land jihad’ conspiracy theory to target Muslims buying homes?
-
‘River will suffer’: Inside Keonjhar’s farm resistance against ESSAR’s iron ore project
-
Who moved my Hiren bhai?