Ground Report

उत्तरकाशी में न्यूज़लॉन्ड्री: घटना स्थल से पहली ग्राउंड रिपोर्ट

उत्तरकाशी के धराली में तबाही के 24 घंटों के भीतर न्यूज़लॉन्ड्री की टीम मौके पर पहुंच गई है. धराली से पहले सड़क और पुल दोनों बह चुके हैं, और जिस जगह सबसे ज्यादा बर्बादी हुई है, वह इलाका पूरी तरह से बाकी क्षेत्र से कट चुका है. लोगों को वहां से हेलीकॉप्टर के ज़रिए निकाला जा रहा है. बुधवार सुबह भारी बारिश के बाद मौसम साफ हुआ, जिससे राहत कार्य में मदद मिली. सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने जहां एक ओर सड़क को साफ करने का कार्य शुरू किया, वहीं हेलीकॉप्टर लगातार उड़ान भरते रहे.

बीआरओ के सुपरिटेंडिंग इंजीनियर राजकिशोर ने न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में कहा कि वे सड़क को खोलने और टूटे हुए पुलों के पुनर्निर्माण की पूरी कोशिश कर रहे हैं.

अब तक 5 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 50 से अधिक लोग अभी भी लापता हैं. भटवाड़ी की 32 वर्षीय शकुंतला देवी ने अपने घर में आई दरारें दिखाते हुए कहा, "हमने यह घर बहुत मुश्किल से बनाया था, अब हम कहां जाएंगे? अगर सरकार मुआवजा दे तो ही हमारा गुजारा हो पाएगा, वरना हमें यहीं मरना होगा."

आपदा को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. जहां उत्तरकाशी और गंगोत्री का इलाका एक संरक्षित "इको सेंसिटिव ज़ोन" है, वहीं सवाल यह उठ रहे हैं कि धराली में नदी किनारे और रिवर बेल्ट पर बहुमंजिला होटल और घर कैसे बन गए. इसके साथ ही अर्ली वार्निंग सिस्टम की गैरमौजूदगी, मौसम विभाग और आपदा प्रबंधन की विफलता भी सामने आई है. मंगलवार को, जब आपदा आई, उस दिन उत्तरकाशी जिले के लिए कोई अलर्ट जारी नहीं किया गया था.

न्यूज़लॉन्ड्री ने क्षेत्र में अनियंत्रित निर्माण की पड़ताल के लिए स्थानीय होटल व्यवसायियों से बात की. 25 वर्षीय संतोष रावत, जो खुद एक ढाबा चलाते हैं, ने बताया कि "पिछले 20 वर्षों में यहां होटलों की संख्या कई गुना बढ़ गई है और बहुमंजिला इमारतों का निर्माण बड़े पैमाने पर हुआ है."

जाहिर है कि जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों के कारण बादल फटने जैसी चरम मौसमी घटनाएं बढ़ रही हैं लेकिन जानकारों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण सरकारें अपनी नाकामी नहीं छिपा सकती हैं.

देखिए पूरा वीडियो- 

Also Read: हिमाचल बाढ़ की मार: “ज़िन्दगी 25 साल पीछे चली गई”

Also Read: दिल्ली: बाढ़ के पानी में डूबा पूरा गांव, लोगों का दावा नहीं पहुंची सरकारी मदद