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स्मृति ईरानी, कंगना रनौत, कांवड़िए और शर्माजी की बटर चिकन पत्रकारिता

गुड़गांव उर्फ गुरुग्राम उर्फ मिलेनियम सिटी. इतना भारी भरकम नाम और टाइटल सिर पर लाद कर चलने वाला यह शहर महज चालीस पचास साल पहले बसा है. और आज इसकी सच्चाई ये है कि पहली ही बरसात में यह दम तोड़ देता है.दूसरी ओर कांवड़िए हैं जिनकी हिंसा साल दर साल धार्मिक अनुष्ठान की तरह हमारे जीवन का हिस्सा बन चुकी है.

इसक साथ ही हम बात करेंगे एएनआई और अखिलेश शर्मा की. पिछले हफ्ते इन्होंने कुछ ऐसा किया जिसे पत्रकारिता की भाषा में प्लांट कहते हैं. शर्माजी की पत्रकारिता शर्मा ढाबे की दालमखनी और बटर चिकेन जैसी है. आंख बंद करके खा लो तो पता ही नहीं चलेगा वेज खाया या नॉनवेज. शर्मा ढाबे की टैग लाइन है सबका मालिक एक और सबकी ग्रेवी एक. शर्माजी की पत्रकारिता की टैगलाइन है दुल्हन वही जो पिया मन भाए और खबर वही जो सरकार को सुहाए.

देखिए इस हफ्ते की टिप्पणी.

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