Khabar Baazi
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को अग्रिम जमानत देने से इनकार
इंदौर के कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से उस समय बड़ा झटका लगा जब कोर्ट ने उनके विवादास्पद कार्टून को लेकर अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी. 3 जुलाई को दिए गए आदेश में न्यायमूर्ति सुभोद अभ्यंकर ने कहा कि मालवीय ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया है और उन्हें विवादित कैरिकेचर बनाते समय विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए था.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने कहा कि मालवीय ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमाएं पार कर दी हैं. इस टिप्पणी के साथ ही कोर्ट ने उनसे हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता भी जताई. कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि भगवान शिव से जुड़ी आपत्तिजनक पंक्तियां इस पोस्ट को और अधिक अस्थिर और आपत्तिजनक बनाती हैं.
जस्टिस अभ्यंकर ने अपने आदेश में कहा, “इस न्यायालय के विचारानुसार, प्रथम दृष्टया, आवेदक द्वारा उस कैरिकेचर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (जो कि एक हिंदू संगठन है) और इस देश के प्रधानमंत्री का चित्रण करना, साथ ही एक अपमानजनक टिप्पणी का समर्थन करना और उस पर की गई टिप्पणियों में अनावश्यक रूप से भगवान शिव का नाम घसीटना, यह सब भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) में निहित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सरासर दुरुपयोग है, और यह उस अपराध की परिभाषा में आता है जैसा कि शिकायतकर्ता द्वारा बताया गया है.”
कोर्ट ने इसे एक "जानबूझकर किया गया और दुर्भावनापूर्ण कृत्य" करार दिया, जिसका उद्देश्य "धार्मिक भावनाएं भड़काना और सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाना" था.
मालूम हो कि मालवीय के खिलाफ यह मामला इस साल मई में तब दर्ज किया गया था जब आरएसएस के एक सदस्य ने उनकी फेसबुक पोस्ट को आपत्तिजनक बताया था. कार्टून में एक व्यक्ति को, जो आरएसएस की पहचान मानी जाने वाली खाकी निक्कर पहने हुए था, झुकते हुए दिखाया गया है. उसका पिछला हिस्सा उजागर है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक डॉक्टर के रूप में दिखाया गया है, जो गले में स्टेथोस्कोप और हाथ में इंजेक्शन लिए हुए हैं, वह उस व्यक्ति को इंजेक्शन लगा रहे हैं.
मालवीय के वकील ने अदालत में दलील दी कि यह एक व्यंग्यात्मक चित्रण था और सुप्रीम कोर्ट द्वारा मनमानी गिरफ्तारियों के खिलाफ दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है.
वहीं, सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर इस तरह का कार्टून, जिसमें प्रधानमंत्री और आरएसएस को अपमानजनक और अशोभनीय तरीके से दर्शाया गया है, स्वीकार्य नहीं हो सकता."
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि मालवीय में इस तरह के अपराध करने की प्रवृत्ति स्पष्ट रूप से दिखती है और वह भविष्य में भी ऐसे कार्य कर सकते हैं, इसलिए उन्हें कानून में दी गई सुरक्षा नहीं दी जा सकती.
भ्रामक और गलत सूचनाओं के इस दौर में आपको ऐसी खबरों की ज़रूरत है जो तथ्यपरक और भरोसेमंद हों. न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करें और हमारी भरोसेमंद पत्रकारिता का आनंद लें.
Also Read: जब कार्टूनिस्ट देश के लिए ख़तरा बन जाए
Also Read
-
Ambedkar or BN Rau? Propaganda and historical truth about the architect of the Constitution
-
Month after govt’s Chhath ‘clean-up’ claims, Yamuna is toxic white again
-
The Constitution we celebrate isn’t the one we live under
-
Why does FASTag have to be so complicated?
-
Malankara Society’s rise and its deepening financial ties with Boby Chemmanur’s firms