Khabar Baazi
टीवी रेटिंग प्रणाली में बदलाव की तैयारी, सरकार लाई नया प्रस्ताव
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने टेलीविज़न रेटिंग एजेंसियों से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव करने का प्रस्ताव दिया है, जिससे अब ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल यानि बार्क के अलावा अन्य एजेंसियों को भी इस क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति मिल सकेगी.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी किए गए मसौदे में 2014 के नीति दिशानिर्देशों में संशोधन का सुझाव दिया गया है, जिससे टीआरपी प्रणाली को अधिक लोकतांत्रिक और समसामयिक उपभोग व्यवहार के अनुरूप बनाया जा सके.
मंत्रालय ने कहा है कि वर्तमान टेलीविज़न रेटिंग पॉइंट (टीआरपी) प्रणाली दर्शकों की पूरी तस्वीर नहीं दिखा पाती है, क्योंकि आज के दर्शक स्मार्ट टीवी, मोबाइल ऐप्स और ओटीटी जैसे डिजिटल माध्यमों से भी बड़ी संख्या में कंटेंट देख रहे हैं. इस अधूरी रेटिंग प्रणाली का असर प्रसारकों की आमदनी और विज्ञापन की रणनीतियों पर भी पड़ता है.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 23 करोड़ टीवी उपभोक्ता हैं, लेकिन सिर्फ 58,000 ‘पीपल मीटर’ लगाए गए हैं यानी कुल टीवी उपभोक्ताओं का महज 0.025 प्रतिशत हिस्सा.
मंत्रालय ने यह भी सुझाव दिया है कि मौजूदा क्रॉस-होल्डिंग प्रतिबंधों में ढील दी जाए, जिससे अब प्रसारक और विज्ञापनदाता भी रेटिंग एजेंसियों में निवेश कर सकें.
मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्रालय का कहना है कि कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत भारत में पंजीकृत कोई भी कंपनी रेटिंग एजेंसी के तौर पर रजिस्ट्रेशन ले सकती है, बशर्ते वह सलाहकार या कंसल्टेंसी सेवाएं न दे, ताकि हितों के टकराव से बचा जा सके.
मंत्रालय ने इस मसौदे पर 30 दिनों के भीतर सभी हितधारकों के अलावा जनता से सुझाव और प्रतिक्रियाएं मांगी हैं. इस प्रस्ताव को उद्योग जगत की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है. कई विशेषज्ञों का मानना है कि इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, पारदर्शिता आएगी और उपभोक्ताओं का विश्वास भी मजबूत होगा. भारूचा एंड पार्टनर्स के रेगुलेटरी विशेषज्ञ कौशिक मोइत्रा ने मिंट से कहा, "यह प्रस्ताव एक अधिक उदार और प्रतिस्पर्धात्मक इकोसिस्टम की ओर इशारा करता है."
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि अगर सभी रेटिंग एजेंसियों के लिए एक समान मानक नहीं होगा तो भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है और इस पर कठोर निगरानी की आवश्यकता होगी. साथ ही, एंट्री बैरियर्स हटने से किसी भी कंपनी को रेटिंग एजेंसी शुरू करने की छूट मिल सकती है, जिससे निजी स्वार्थ हावी हो सकते हैं. डीटीएच प्लेटफॉर्म जैसे एयरटेल टीवी और टाटा प्ले पहले से व्यूअरशिप डाटा इकट्ठा करते हैं, और नई नीति के तहत वे अब इसे खुद प्रकाशित और मोनेटाइज़ भी कर सकते हैं. कुछ विशेषज्ञों ने यह चिंता भी जताई कि चैनल खुद की रेटिंग यूनिट बनाकर खुद को नंबर-1 घोषित कर सकते हैं, जिससे पारदर्शिता पर सवाल उठ सकते हैं.
गौरतलब है कि 2020 में न्यूज़लॉन्ड्री ने टीआरपी घोटाले पर गहन रिपोर्टिंग की थी, जिसमें खुलासा हुआ था कि कैसे टीवी चैनलों ने दर्शक संख्या बढ़ाने के लिए फर्जी तरीके अपनाए और विज्ञापन आधारित न्यूज़ मॉडल की पोल खोली गई. टीआरपी घोटाले को समझने के लिए न्यूज़लॉन्ड्री का वीडियो एक्सप्लेनर भी देखा जा सकता है.
भ्रामक और गलत सूचनाओं के इस दौर में आपको ऐसी खबरों की ज़रूरत है जो तथ्यपरक और भरोसेमंद हों. न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करें और हमारी भरोसेमंद पत्रकारिता का आनंद लें.
Also Read
-
Ambedkar or BN Rau? Propaganda and historical truth about the architect of the Constitution
-
Month after govt’s Chhath ‘clean-up’ claims, Yamuna is toxic white again
-
The Constitution we celebrate isn’t the one we live under
-
Why does FASTag have to be so complicated?
-
Malankara Society’s rise and its deepening financial ties with Boby Chemmanur’s firms