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डिस्टर्ब्ड एरिया एक्ट: गुजरात का वो कानून जिसने मुस्लिमों के लिए प्रॉपर्टी खरीदना असंभव कर दिया
यह रिपोर्ट हमारे एनएल सेना 'हिंदू राष्ट्र प्रोजेक्ट' का हिस्सा है. इस प्रोजेक्ट के तहत की गईं बाकी रिपोर्ट्स पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
भारत-पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के वडोदरा शहर पहुंचे थे. यहां इन्होंने रोड शो किया. जिसमें कर्नल सोफिया कुरैशी के पूरे परिवार को बुलाया गया था. परिजनों ने पीएम पर फूलों की बारिश की.
इसी वडोदरा के रहे वाले ओन अली पिछले कई सालों से अपनी ही खरीदी एक जमीन पर कब्जा लेने के लिए भटक रहे हैं. वो लगातार अदालत और पुलिस थाने के चक्कर काट रहे हैं. वडोदरा के चारपाने दरवाजा, फतेहपुर में स्थित यह जमीन अली ने साल 2016 में अपने बहनोई के साथ मिलकर खरीदी थी.
जमीन खरीद के बाद डिस्टर्ब्ड एरियाज़ एक्ट के तहत अली ने जमीन हंस्तातरण के लिए डिप्टी कलेक्टर के कार्यालय में आवेदन दिया लेकिन अनुमति नहीं मिली. डिप्टी कलक्टर ने अपने आदेश में लिखा, ‘‘इस आवेदन के जांच के लिए पुलिस आयुक्त से राय मांगी गई थी. जिसमें सहायक पुलिस आयुक्त ने उक्त सम्पति के बिक्री और हस्तांतरण की अनुमति नहीं देने की मत दिया है. इसलिए आपकी सम्पति के हस्तांतरण की अनुमति मांगने वाले आदेश को ख़ारिज किया जाता है.’’
इसके बाद अली ने राजस्व विभाग का रुख किया तो वहां भी अनुमति नहीं मिली. आखिरकार गुजरात हाईकोर्ट से साल 2019 में उन्हें जमीन पर मालिकाना हक़ मिल गया. जमीन तो उनके नाम पर हो गई लेकिन बीते जून तक भी वो इस पर कब्ज़ा नहीं ले पाए हैं.
अली इसके पीछे स्थानीय हिंदुओं के विरोध को कारण बताते हैं. यहां तक कि स्थानीय हिन्दुओं के दबाव में इस जमीन खरीद के दो गवाह- एक स्थानीय मुस्लिम दुकानदार फरहान और दूसरे केशव राणा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि झूठ बोलकर उनसे जमीन खरीद के कागजात पर हस्ताक्षर करवाए गए. साथ ही आस पास के हिन्दुओं ने भी हाईकोर्ट में खुद को इस खरीद मामले में पार्टी बनाने की मांग की. सुनवाई के दौरान गुजरात हाईकोर्ट ने केशव राणा और फरहान के साथ हिन्दू पक्ष को भी फटकार लगाते हुए 25-25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया.
अली के यहां जमीन खरीदने का विरोध करने वालों में बीजेपी के नेता, पूर्व कॉर्पोरेटर और कुछ अन्य लोग शामिल हैं. इनका तर्क है कि अगर मुस्लिम यहां जमीन खरीदते रहे तो उनकी आबादी बढ़ जाएगी और हिंदुओं को पलायन करना पड़ेगा. हालांकि, अली की जमीन रिहायशी नहीं है.
गुजरात में इस तरह का यह एकलौता मामला नहीं है. यहां दर्जनों मामले अलग-अलग अदालतों में चल रहे हैं.
इस रिपोर्ट में हमने डिस्टर्ब्ड एरिया एक्ट के असर, लोगों की परेशानी, कानून के आने की वजह और मकसद के साथ-साथ बीजेपी सरकार द्वारा इसके सुविधाजनक इस्तेमाल पर प्रकाश डालने की कोशिश की है.
देखिए हमारी ये खास रिपोर्ट.
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