Media
मध्य प्रदेश: पत्रकारों का आरोप- एसपी ऑफिस में पुलिस ने पीटा, जातिसूचक गालियां दी
केंद्रीय दिल्ली के एक अज्ञात स्थान पर मध्य प्रदेश के तीन पत्रकार छुपकर प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया को देने के लिए शिकायत लिख रहे हैं. तीनों ने अपना फोन बंद कर लिया है. उन्हें डर है कि मध्य प्रदेश की भिंड पुलिस मोबाइल लोकेशन के जरिए उन्हें पकड़ने के लिए आ सकती है.
अपनी शिकायत लिख रहे 55 वर्षीय अमरकांत सिंह चौहान बीते 25 सालों से पत्रकारिता कर रहे हैं. कई हिंदी अख़बारों और टीवी चैनलों में काम करने वाले चौहान वर्तमान में स्वराज एक्सप्रेस में बतौर रिपोर्टर जुड़े हुए हैं.
न्यूज़लॉन्ड्री को चौहान ने बताया, ‘‘पुलिस अधीक्षक (एसपी) असित यादव की उम्र मुझसे काफी कम हैं. एक मई की शाम जब मैं अपने घर पर था. साढ़े पांच बजे के करीब में यादव का दो बार फोन आया, जो मैं उठा नहीं पाया. उसके थोड़ी देर बाद ही साइबर सेल प्रभारी सतवीर का फोन आया. उन्होंने कहा कि एसपी साहब मिलना चाहते हैं. मेरे कुछ सवाल पूछने पर सतवीर ने फोन एसपी यादव को दे दिया. यादव ने कहा कि आइये साथ में चाय पीएंगे.’’
कुछ देर में चौहान एसपी ऑफिस पहुंच गए. उन्हें आगे क्या होगा इसका अंदेशा नहीं था.
चौहान बताते हैं, ‘‘जैसे मैं एसपी के कमरे में पहुंचा, वहां मुझे कई और पत्रकार नजर आए. मेरा फोन सतवीर सिंह ने ले लिया. मैं कुछ बोलता उससे पहले ही एसपी यादव ने गालियां देनी शुरू कर दी. और कहने लगे कि आजकल तू मुझे बहुत टारगेट करके ख़बरें चला रहा है. मैंने पूछा कि आप एक ख़बर बताइए जो मैंने टारगेट करके चलाई हो. इसके बाद सतवीर ने पीछे से मेरा हाथ पकड़ लिया. गाली देते हुए असित यादव मेरे पास आए और मुझे थप्पड़ मरने लगे. मैं बार-बार पूछता रहा कि मेरे साथ इस तरह के व्यवहार का कारण क्या है. वो बस इतना बोले कि जब तक मैं भिंड़ का एसपी हूं तब तक तुम पुलिस के खिलाफ खबर नहीं चलाओगे. अगर ख़बर चलाओगे तो पीछे देखो. मेरे पीछे कई पत्रकार खड़े थे, जिनकी पहले ही पिटाई हो चुकी थी.’’
पुलिस अधीक्षक कार्यालय से निकलने के बाद इन्होंने एक वीडियो बनाया. जिसमें अंदर हुई घटना का जिक्र था.
इस वीडियो में अमरकांत चौहान ने एसपी ऑफिस में हुई घटना का जिक्र किया. वीडियो के आखिर में चौहान ने कहा कि उन्हें भिंड पुलिस अधीक्षक और भिंड पुलिस से जान का खतरा है. ये लोग उनके परिवार और उनके साथ कोई भी घटना कर सकते हैं और हत्या तक करवा सकते हैं.
इसके बाद चौहान अपने साथी पत्रकारों के साथ 3 मई को भोपाल आ गए. जहां प्रेस क्लब के पदाधिकारियों से बात की.
भोपाल से लौटने के बाद 4 मई की रात को फिर से अमरकांत और शशिकांत गोयल को पुलिस पकड़कर एसपी ऑफिस ले गई. जहां उनका एक दूसरा वीडियो बनाया गया. 5 मई को जारी इस वीडियो में अमरकांत कहते सुनाई दे रहे हैं कि भिंड पुलिस अधीक्षक के साथ एक घंटे तक सौहार्दपूर्वक बैठक हुई. दोनों के बीच में जो गलतफहमी और समस्या थी वो दूर हो गई. अमरकांत आगे कहते हैं कि जब ये (मार-पीट वाली) घटना हुई तो हमें कुछ लोगों ने दिग्भ्रमित किया और जिसके बाद हम भोपाल गए. अब वो सारी बातें खत्म हो गई हैं.
इसके बाद वीडियो में गोयल बोलते हैं. वो कहते हैं, ‘‘मेरे एसपी साहब के बीच जो भी गिले-शिकवे थे, किसी बात को लेकर वो दूर हो गए. अब हमें इसपर कोई कार्रवाई नहीं चाहिए.’’
अमरकांत कहते हैं, ‘‘जबरदस्ती ये वीडियो हमसे बनवाई गई. हंसने के लिए धमकाया गया. पुलिस ने एक बार नहीं तीन बार वीडियो शूट किया. उसके बाद कुछ पत्रकारों को यह साझा कर दिया गया. हमारी बेइज्जती हुई थी. हम कैसे खुद ही कहते कि एसपी और हमारे बीच सब ठीक हो गया है.’’
इसके करीब हफ्तेभर बाद ये पत्रकार फिर भोपाल आए और यहां पुलिस महानिदेशक, भोपाल को शिकायत दी. 13 मई की दी गई इस शिकायत में न्यूज़ 24 के धर्मेंद्र ओझा, अमरकांत सिंह चौहान, शशिकांत गोयल (बेजोड़ रत्न अख़बार) और प्रीतम सिंह रजावत शामिल थे.
इसमें विस्तार से बताया गया कि पत्रकारों से भिंड पुलिस इस तरह का दुर्व्यव्हार कर रही थी.
पत्रकारों का आरोप है कि इस शिकायत के बाद फिर से पुलिस इनके पीछे पड़ गई है. इन ये पत्रकार अब 18 मई को दिल्ली पहुंचे. देर रात को लाल किला पहुंचे. वहां इन्होंने गुरुद्वारा के बाहर रात गुजारी और अगली सुबह गुरूद्वारे में ही नहाकर दिल्ली में अपने परिचित पत्रकार के यहां के यहां जाने के लिए निकले.
अमरकांत ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि इस दौरान भी भिंड पुलिस ने उन्हें लगभग पकड़ ही लिया होता.
अमरकांत को दिल्ली में सहयोग करने वाले शख्स ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि जब वो इन पत्रकारों को लेकर निकले तो पुलिस उनका पीछा कर रही थी. जिसके बाद वो उन्हें अपने दफ्तर में पीछे के रास्ते से ऊपर ले कर गए.
बीते 20 मई को धीरेन्द्र ओझा, अमरकांत चौहान और शशिकांत गोयल ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया में शिकायत दी है.
न्यूज़लॉन्ड्री ने पत्रकारों के आरोप पर भिंड के एसपी असित यादव को फोन किया तो वो कहते हैं, ‘‘ये पत्रकार नहीं, ब्लैकमेलर हैं.’’ आगे हम सवाल पूछते उससे पहले ही उन्होंने फोन काट दिया. ऐसे में हमने उन्हें कुछ सवाल भेजे हैं जैसे कि पत्रकार अगर ब्लैकमेलर हैं तो उनपर कोई मामला दर्ज हुआ है क्या? उनका जो वीडियो एसपी ऑफिस में रिकॉर्ड किया गया, जिसमें वो एसपी और उनके बीच गलतफहमी दूर होने की बात कहते नजर आ रहे हैं, वो ग़लतफ़हमी क्या थी.?
उनका कोई जवाब आता है उसे ख़बर में जरूर शामिल किया जाएगा.
वहीं, गिरीश शर्मा, जिनपर शशिकांत गोयल ने चप्पल से मारने और जातिसूचक गाली देने का आरोप लगाया. उनसे जब हमने पूछा तो वो कहते हैं, ‘‘आरोप लगाने को तो कोई किसी पर भी लगा सकता है. उनका (पत्रकारों का) कहना है कि मैंने एसपी ऑफिस में उन्हें मारा और गाली दी. क्या कोई अपने सीनियर के सामने गाली दे सकता है?”
सतवीर सिंह ने न्यूज़लॉन्ड्री का फोन नहीं उठाया. ऐसे में हमारी उनसे बात नहीं हो पाई.
इतने गंभीर आरोप लगने के बावजूद भी अब तक भिंड पुलिस ने इस मामले में कोई स्पष्टीकरण या जवाब जारी नहीं किया है.
इससे पहले 2 मई को जरूर भिंड पुलिस ने फेसबुक पर एक पोस्ट जारी की, जिसे विशेष सूचना बताया गया. इस पोस्टर में लिखा है, “कुछ यू-ट्यूबर संगठित गिरोह के द्वारा जिले में जनता और शासकीय विभाग जैसे सरपंच, सचिवों, अन्य विभागों, आंगवाड़ी कार्यकर्ता, अध्यापक, माइनिंग विभाग आदि से ब्लैकमेलिंग के जरिए पैसे की मांग कर रहे हैं. ऐसे में सूचित किया जाता है कि ऐसे किसी के द्वारा आपसे ब्लैकमेलिंग की जाती है तो पुलिस को तुरंत सूचित करें.”
अमरकांत समेत दूसरे अन्य पत्रकारों को डर है कि पुलिस ये सब इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए कर रही है. अमरकांत कहते हैं, ‘‘मुझे जानकारी मिली है कि हमारे खिलाफ शिकायतें दर्ज कराई जा रही हैं. अगर हमने किसी को कभी ब्लैकमेल किया होता तो शिकायत पहले मिलती. यह बदले की भावना से की जा रही है.’’
ऐसा ही शशिकांत गोयल का भी कहना है.
भ्रामक और गलत सूचनाओं के इस दौर में आपको ऐसी खबरों की ज़रूरत है जो तथ्यपरक और भरोसेमंद हों. न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करें और हमारी भरोसेमंद पत्रकारिता का आनंद लें.
Also Read
-
TV Newsance 307: Dhexit Dhamaka, Modiji’s monologue and the murder no one covered
-
Hype vs honesty: Why India’s real estate story is only half told – but fully sold
-
2006 Mumbai blasts: MCOCA approval was based on ‘oral info’, ‘non-application of mind’
-
2006 blasts: 19 years later, they are free, but ‘feel like a stranger in this world’
-
Sansad Watch: Chaos in house, PM out of town