Report
पहलगाम हमले से पैदा हुई कड़वाहट में पिस रही सरहद पार हुई शादियां और रिश्ते
'मेरी सरकार से अपील है कि या तो मुझे यहीं रख लें नहीं तो मेरे साथ मेरे परिवार को भी भेजा जाए. मैं भला अपना परिवार छोड़ कर क्यों जाऊं? किसी को भी अपना परिवार क्यों छोड़ना पड़े? आपने कभी यह सुना है कि किसी बाप को बॉर्डर पर रोका जाए, ज्यादातर माओं को ही रोका जाता है.'
ये बोल हैं पाकिस्तान के शहर कराची में पैदा हुई और भारत में पंजाब के शहर मलेरकोटला में ब्याही 61 साल की शाहिदा इदरीश के. उनकी शादी साल 2002 में इदरीश खान से हुई थी.
शादी के 23 साल बाद भी शाहिदा को भारतीय नागरिकता नहीं मिली. वह ‘लॉन्ग टर्म वीज़ा’ पर भारत में रह रही हैं.
22 अप्रैल पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव बढ़ गया है. दोनों देश एक दूसरे के खिलाफ कूटनीतिक तौर पर भी सख्त फैसले लेने में लगे हैं.
इस बीच भारत सरकार ने 24 अप्रैल 2025 को जारी एक आदेश में सभी पाकिस्तानी नागरिकों को जारी किए गए वीज़ा रद्द कर दिए. उन्हें एक मई से पहले देश छोड़ने को भी कहा गया. हालांकि, 30 अप्रैल को जारी एक अन्य आदेश में भारत सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों के देश छोड़ने की समय सीमा अगले आदेशों तक बढ़ा दी. साथ ही डिप्लोमैटिक और लॉन्ग टर्म वीज़ा को भी छूट दी गई है.
वहीं, पाकिस्तान ने भारतीय नागरिकों को सार्क (SAARC) तहत जारी सभी वीज़ा रद्द कर दिए. हालांकि, सिख धार्मिक श्रद्धालुओं को छूट दी गई है.
दोनों सरकारों की ओर से उठाए जा रहे ऐसे कदमों को लेकर वो लोग सबसे ज्यादा चिंतित हैं, जिनकी शादी यहां हुई है. खासकर, वो खातून (महिलाएं) जो शादी के बाद सालों से यहां भारत में परिवार के साथ रह रही हैं. जैसे कि मलेरकोटला की शाहिदा.
शाहिदा ने बताया कि उसे अपनी बीमार मौसी से मिलने के लिए 26 अप्रैल को अटारी-वाघा बॉर्डर के रास्ते पाकिस्तान जाना था. इससे पहले ही पहलगाम की घटना हो गई. अब शाहिदा को चिंता है कि वह जा भी पाएंगी या नहीं और जाएंगी तो वापस कैसे लौटेंगी.
उसे डर है कि कहीं सरकार वापस पाकिस्तान न भेज दे. वह कहती है, 'मुझे डर लगता है कहीं मुझे भी यहां से जाने को न कह दिया जाए. हालांकि, मुझे भरोसा दिया गया है कि मैं यहां रह सकती हूं.'
शाहिदा कहती हैं कि दोनों देशों में तनाव के दौरान भी दो मौकों को छोड़ कर वह लगातार भारत से पाकिस्तान जाती रही हैं. शाहिदा के पति इदरीश खान हमें बताते हैं, 'मेरी पत्नी ने शादी के 7 साल बाद भारतीय नागरिकता के लिए अप्लाई किया था, पर कोई जवाब नहीं मिला. अफसरों ने फाइल आगे ही नहीं बढ़ाई. इसके बाद हमने अप्लाई नहीं किया. हमें ‘नोरी वीज़ा’ आसानी से मिल जाता है.'
शाहिदा बताती हैं कि जब वह पहली बार भारत आई थी तो उसने विजिटर वीज़ा लिया था. उसके बाद ‘लॉन्ग टर्म वीज़ा’ मिल गया.
शाहिदा को जब पाकिस्तान अपने परिवारिक लोगों से मिलने पाकिस्तान जाना होता है तो उसे भारत सरकार से ‘नोरी सर्टिफिकेट’ (नो ऑब्जेक्शन टू रिटर्न टू इंडिया) लेना पड़ता है.
भारत में शादी के सवाल पर शाहिदा कहती हैं, 'हमारे परिवारों में अक्सर रिश्तेदारी में ही शादी हो जाती है, मेरा पति मेरी मौसी का लड़का है.'
गुरदासपुर से ताहिरा अहमद और मकबूल अहमद भी इन दिनों इसी चिंता से गुजर रहे हैं. पाकिस्तान से भारत ब्याही ताहिरा बताती हैं, 'साल 2003 में मेरी शादी मकबूल के साथ हुई. जब दोनों देशों में तनाव बढ़ता है तो हमें डर लगता है कि कहीं हम एक-दूसरे से जुदा न हो जाएं. अब मेरे पास भारतीय नागरिकता है.’
ताहिरा बताती हैं कि दोनों देशों में तनाव के चलते उनकी शादी दो साल देरी से हुई. उस समय भारतीय संसद पर आतंकी हमला हुआ था. मुझे 2003 में अकेले भारत आना पड़ा फिर मेरी शादी हुई. मुझे आस है कि हालात अच्छे होंगे, मोहब्बत सभी दरवाज़े खोलने को मजबूर करती है.'
ताहिरा के पति मकबूल अहमद एक सामाजिक कार्यकर्ता है. भारत में शादी के बाद पाकिस्तानी औरतों के सामने वाली दिक्कतों को लेकर वह कहते हैं, 'दोनों देशों में तनाव के चलते उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं, जिनके पास ‘लॉन्ग टर्म वीज़ा’ नहीं है या जिन्होंने इसके लिए अप्लाई किया हुआ है. उन्हें अब चिंता यह सताने लगी है कि वे अपने छोटे-छोटे बच्चों को छोड़ कर पाकिस्तान कैसे जाएं? हालांकि, बहुत सी माएं अपने दिल पर पत्थर रख कर रोते-बिलखते बच्चों को छोड़कर इस बीच पाकिस्तान गई भी हैं.’
मकबूल आगे बताते हैं, 'इन औरतों को बीमारी की हालत में या खास कर गर्भावस्था में अस्पतालों में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. यदि वे पाकिस्तान जाकर बच्चे को जन्म देती हैं तो दिक्कत ये है कि बच्चे को भारत कैसे लाया जाए?'
मकबूल बताते हैं कि ‘लॉन्ग टर्म वीज़ा’ की प्रकिया बहुत जटिल है. लोगों को बहुत परेशान होना पड़ता है. पाकिस्तान से आई मुस्लिम लड़की को आसानी से भारतीय नागरिकता नहीं मिलती. जिस तरह से दोनों देशों ने सख्तियां करनी शुरू की हैं, इस तरह के जोड़ों पर एक तरह से कहर टूट पड़ा है.
पंजाब के ज़िला गुरदासपुर और मलेरकोटला में ऐसे कई शादीशुदा जोड़े हैं. जिनमें पत्नी पाकिस्तान से है. भारत के ताज़ा हालातों ने इन जोड़ों को चिंता में डाल दिया है.
ज़िला गुरदासपुर के धारीवाल में रहने वाली शुमायला सलीम की 11 साल पहले विजय हैनरी से शादी हुई. इस समय उनके पास एक बेटा और एक बेटी है. शुमायला अपनी चिंता ज़ाहिर करते हुए कहती हैं, 'मैं कराची से हूं. अब मुझे फ़िक्र हो रही है. हालांकि, मेरे पास ‘लॉन्ग टर्म वीज़ा’ है.'
इसी तरह करीब डेढ़ साल पहले प्रेम विवाह करवाने वाली शाहनील बताती हैं कि उसका मायका लाहौर में है. पंजाब के बटाला में नितिन लूथरा से उसकी शादी हुई है. उसके मां-बाप भारत सरकार के ताज़ा फैसले से बहुत चिंतित हैं.
हरगोबिंदपुर की सुमन बाला की शादी करीब चार-पांस साल पहले अमित शर्मा से हुई है. वह कहती हैं, 'मेरी बहन को पंजाब आना था लेकिन उसका वीज़ा रद्द हो गया, पता नहीं कब मैं अपने परिवार से मिल सकूंगी.'
पाकिस्तान के गुजरांवाला की मारिया की बीते साल 8 जुलाई को गुरदासपुर के गांव सठियाली के सोनू मसीह से शादी हुई. 24 अप्रैल के बाद से मारिया, उसके पति सोनू और उनकी सास गायब हैंं.
मारिया का वीज़ा काफी समय पहले खत्म हो चुका है. वह पिछले साल 4 जुलाई को भारत आई थी. उसे 45 दिन का वीज़ा मिला था, जो आगे नहीं बढ़ सका. बताया जा रहा है कि मारिया इस समय सात महीने की गर्भवती है. सोनू और मारिया के घर इस समय ताला लगा हुआ है. उनका फोन भी बंद है.
सी.आई.डी. कर्मचारियों के इलावा स्थानीय पुलिस भी उनके घर के चक्कर लगा रही है. ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें परिवार के बारे में कुछ नहीं पता. उनका मानना है कि शायद ये लोग डर के मारे कहीं चले गए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार को ऐसे मामलों में हमदर्दी दिखानी चाहिए.
ज़िला मलेरकोटला में 20 से ज्यादा ऐसी पाकिस्तानी औरतें हैं, जिनकी शादी यहां हुई है लेकिन उन्हें भारतीय नागरिकता नहीं मिली. इनमें से कई ऐसी औरतें भी हैं जिनकी शादी को 25-30 साल हो चुके हैं और वह दादी-नानी भी बन चुकी हैं. वह यहां रहने के लिए ‘लॉन्ग टर्म वीज़ा’ पर निर्भर हैं.
लंबे वक्त से पाकिस्तान से एग्रो-व्यापार करते रहे हाजी तुफैल मलिक कहते हैं, 'दोनों तरफ के लोग खून के रिश्तों को जिंदा रखने के लिए अपने बच्चों के रिश्ते करने से अब डरने लगे हैं. सरकारों की बंदिशों के कारण सालों से अपनों को मिलने के लिए तड़पती माएं अब नहीं चाहती कि उनकी बेटी भी उसी तरह तड़पे. आतंकवादियों की गोली से सिर्फ भारतीय सैलानी ही नहीं मारे गए बल्कि यह गोलियां सरहद के दोनों तरफ बसने वाली उन माओं, बहनों और बेटियों के सीने में भी लगी हैं जिन्हें उनके मां-बाप ने अपने खून के रिश्तों की जोत को जलाये रखने के लिए सरहद के पार ब्याह दिया था.'
इसी बात को पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के राजनीतिक शास्त्र विभाग के रिटायर्ड प्रोफेसर मोहम्मद खालिद आसान शब्दों में कुछ इस तरह समझाते हैं, '1947 में जब देश का बंटवारा हुआ तो परिवार भी बंट गए. कुछ परिवार भारत में रह गए तो कुछ पाकिस्तानी पंजाब में, भारतीय पंजाब में मुसलमानों की गिनती बहुत कम रह गई. लोग चाहते थे कि सरहद के आर-पार बंट गए परिवार आपस में जुड़े रहें इसलिए उन्होंने अपने बच्चों की शादियां सरहद पार अपने परिवारों में करनी शुरू कर दी. लेकिन दोनों देशों के संबंधों में लगातार तनाव बने रहने, वीज़ा और नागरिकता मिलने में आ रही दिक्कतों के चलते अब मां-बाप अपनी बेटी की शादी सरहद के पार करने से झिझकने लगे हैं. अब पंजाब में इस तरह के केस पहले से तो बहुत कम रह गए हैं.'
दोनों देशों के नागरिक अटारी-वाघा के रास्ते अपने-अपने देश लौट रहे हैं. 1 मई को भी अटारी बॉर्डर पर 50 के करीब परिवार सरहद पार करने के लिए खड़े थे.
मलेरकोटला के मोहम्मद अवान जानकारी देते हैं, 'मेरी अम्मी एक और रिश्तेदार के साथ एक महीने के वीज़ा पर पाकिस्तान गई थी. अम्मी को पहुंचे सिर्फ आठ दिन ही हुए थे तभी माहौल खराब हो गया. उन्हें हमारे कई रिश्तेदारों को मिलना था लेकिन वह अपने अरमान दिल में लेकर ही वापस आ गए.'
मलेरकोटला की ही ज़ाफरां बीबी 6 साल बाद अपने मायके वालों के पास पाकिस्तान गई थी लेकिन उसे चंद दिनों बाद ही वापस आना पड़ा.
दोनों देशों के नागरिक अटारी-वाघा के रास्ते अपने-अपने देश लौट रहे हैं. 1 मई को भी अटारी बॉर्डर पर 50 के करीब परिवार सरहद पार करने के लिए खड़े थे.
कई लोगों को कश्मीर से पुलिस जबरदस्ती उठा कर लाई थी. कइयों को भारत में रहते 40 साल से भी ज्यादा हो गए थे. वह पाकिस्तान जाना नहीं चाहते. ऐसी ही दो खातून जम्मू-कश्मीर के राजौरी से आई थीं. उनका कहना था कि अब पाकिस्तान में उनका कोई नहीं बचा है. फिर भी उनको ज़बरदस्ती वहां भेजा जा रहा है.
सरहद पार करके आने-जाने वालों की अपनी दुःख भरी कहानियां हैं. इनमें से एक कहानी नए शादीशुदा जोड़े की है. लड़की भारत के पंजाब से है और लड़का पाकिस्तान से भारत आया. दोनों ने यहीं पर निकाह किया. लेकिन लड़के को वापस जाना पड़ा. वहीं, उसकी पत्नी को पाकिस्तान जाने की इजाज़त नहीं मिली.
भारत की भी कई महिलाओं की शादी पाकिस्तान में हुई है लेकिन ताज़ा हालात के चलते वह पाकिस्तान नहीं जा सकती हैं. ऐसे मामले भी सामने आये हैं कि ‘नोरी सर्टिफिकेट वाली औरतों को दोनों देशों के अधिकारियों ने बॉर्डर पार नहीं करने दिया.
ताज़ा हालातों पर टिप्पणी करते हुए प्रोफेसर खालिद कहते हैं, 'असल में यह एक मानव त्रासदी ही कही जा सकती है, पर सरकार ताज़ा घटनाक्रम को अपनी प्रभुसत्ता पर किए हमले के रूप में देख रही है. ऐसे हालातों में मानवीय भावनाओं को सरकार न सिर्फ नज़रअंदाज़ कर देती है, बल्कि वह खुद भी त्रासदी पैदा करती है.'
Also Read
-
‘They find our faces disturbing’: Acid attack survivor’s 16-year quest for justice and a home
-
From J&K statehood to BHU polls: 699 Parliamentary assurances the government never delivered
-
Let Me Explain: How the Sangh mobilised Thiruparankundram unrest
-
TV Newsance 325 | Indigo delays, primetime 'dissent' and Vande Mataram marathon
-
The 2019 rule change that accelerated Indian aviation’s growth journey, helped fuel IndiGo’s supremacy