Khabar Baazi
एनडीटीवी: अप्रेजल के बसंत में ‘इनकनसिस्टेंट परफॉर्मर’ की बर्फबारी
बीते शनिवार का दिन से एनडीटीवी के दफ्तर में कुछ कर्मचारियों के लिए झटका लेकर आया. दरअसल, अप्रेजल का इंतजार कर रहे कर्मचारियों को एक वेबलिंक मिला. इस लिंक में एनडीटीवी लिमिटेड के डायरेक्टर संजय पुगलिया की तरफ से हस्ताक्षरित एक पत्र था. पत्र में कर्मचारी के काम को लेकर टिप्पणी थी. जिसमें लिखा था कि बीते साल में आप इनकनसिस्टेंट परफॉर्मर (Inconsistent Performer) पाए गए हैं.
फिलहाल, ऐसा पत्र पाने वाले कर्मचारियों की संख्या कितनी है, इसे लेकर स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आई है. हालांकि, सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, यह आंकड़ा 100 से ज़्यादा लोगों का है. वहीं, इसमें शामिल ज़्यादातर कर्मचारी पुराने हैं. जो कि प्रणव रॉय के दौर से काम कर रहे हैं.
जिन कर्मचारियों को ‘इनकनसिस्टेंट परफॉर्मर’ बताया गया है, उनमें कोई 25 साल से तो कोई 15 साल से यहां काम कर रहा है.
न्यूज़लॉन्ड्री को मिली जानकारी के मुताबिक, एनडीटीवी ने चार श्रेणियों में अप्रेजल लेटर (मूल्यांकन पत्र) जारी किया है. जिसमें टॉप, स्ट्रॉन्ग, गुड और इनकनसिस्टेंट परफॉर्मर की श्रेणी शामिल है. जानकारी के मुताबिक, इन श्रेणियों को क्रमशः 12, 8, 6 और 0 फीसदी तक वेतन में बढ़ोतरी मिलेगी.
न्यूज़लॉन्ड्री ने ‘इनकनसिस्टेंट परफॉर्मर’ का लेटर पाने वाले कुछ कर्मचारियों से बात की है. उन्होंने हमें अपना लेटर भी दिखाया है.
संजय पुगलिया की तरफ ‘प्रदर्शन मूल्यांकन 2024-25’ विषय के साथ लिखे लेटर में बताया गया है, 'हम आपके प्रयासों और योगदान को पहचानते हैं, यह देखा गया है कि आपके प्रदर्शन के कुछ पहलू अपेक्षित मानकों को पूरा नहीं करते हैं. इस प्रकार, आपके प्रबंधक और एचओडी के साथ उचित विचार-विमर्श के बाद, वित्त वर्ष 24-25 की मूल्यांकन अवधि में आप ‘इनकनसिस्टेंट परफॉर्मर’ पाए गए हैं.
इसी पत्र में आगे बताया गया है कि कर्मचारी को अपनी इस रेटिंग में कैसे सुधार करना है. आगे लिखा है, 'पहले कदम के रूप में, कृपया अपने प्रबंधक के साथ एक संरचित सुधार योजना पर चर्चा करने के लिए एक बैठक निर्धारित करें, जो आपके पेशेवर विकास और विभाग के लक्ष्यों दोनों के साथ रेखांकित करें.’’
आगे बताया गया है कि यदि प्रदर्शन में महत्वपूर्ण रूप से सुधार प्रदर्शित नहीं होता है और आपके प्रबंधक द्वारा एचआर को औपचारिक रूप से सूचित नहीं किया जाता है तो हमारी कंपनी के साथ आपकी सेवाओं का पुनर्मूल्यांकन करना आवश्यक हो सकता है. ऐसे मामले में नोटिस सहित आपका अंतिम कार्य दिवस 30 जून, 2025 होगा.’’
बीते दस साल से यहां तकनीकी विभाग में काम करने वाले एक कर्मचारी को भी पत्र में ‘इनकनसिस्टेंट परफॉर्मर’ बताया गया है. वो बताते हैं, 'लेटर में सुधार वाला वाक्य सिर्फ संस्थान ने खुद को बचाने के लिए रखा है. मैं यहां दस साल से काम कर रहा हूं. यह अप्रेजल लेटर 2024-25 वित्त वर्ष में किए मेरे कामों को लेकर हैं. अगर इतने में मेरे टीम हेड को मेरा काम पसंद नहीं आया और मुझे ‘इनकनसिस्टेंट परफॉर्मर’ में डाल दिया तो दो महीने में उसे मेरा काम कैसे पसंद आ जाएगा.’’
ये कर्मचारी आगे कहते हैं, ' मैं हूं या दूसरे कर्मचारी, जिनको ‘इनकनसिस्टेंट परफॉर्मर’ में डाला गया है वो मान कर चल रहे हैं कि 30 जून उनके काम का आखिरी दिन है. संस्थान अगर खुद हमें हटाता तो उसे तीन महीने की बेसिक सैलरी और दूसरी सुविधाएं देनी पड़ती. अब अगर हटाए जाएंगे तो कोई राशि नहीं देनी पड़ेगी. ’’
न्यूजलॉन्ड्री को पता चला है कि जिन लोगों को ये ‘इनकनसिस्टेंट परफॉर्मर’ वाला पत्र मिला है, उसमें एक अंग्रेजी एंकर के अलावा संपादकीय, डिजिटल, पीसीआर, तकनीकी, प्रोडक्शन और प्रबंधन टीमों के कुछ कर्मचारी शामिल हैं.
बीते 15 सालों से एनडीटीवी से जुड़े एक ऐसे ही कर्मचारी बताते हैं, 'एनडीटीवी में पुराने बनाम नए की लड़ाई चल रही है. पुराने कुछ लोग अपने मन से ही चले गए थे, जो रह गए थे उन्हें इस तरह से निकाला जा रहा है. मैं 15 साल से एनडीटीवी से जुड़ा हूं. संस्थान के लिए 24 घंटे में 18 घंटे उपलब्ध रहता हूं. बावजूद इसके मुझे ‘इनकनसिस्टेंट परफॉर्मर’ में डाल दिया गया. हंसने की बात ही है न?’’
ये आगे कहते हैं, 'एनडीटीवी के अडाणी के अधिग्रहण के बाद भी मेरा काम पहले जैसा ही रहा. अगर मेरा काम खराब होता तो किसी एक जगह इतने वक़्त तक काम नहीं करता. ज़्यादातर पुराने लोगों को ‘इनकनसिस्टेंट परफॉर्मर’ का लेटर मिला है. अपने साथ काम करने वाले दो कर्मचारियों को भी संजय पुगलिया नहीं बचा पाए. इसमें से एक तो 27 सालों से एनडीटीवी से जुड़ी हुई थीं. ‘इनकनसिस्टेंट परफॉर्मर’ लेटर पुराने लोगों को निकालने के लिए लाया गया है.’’
फिलहाल, इस मामले पर न्यूज़लॉन्ड्री ने एनडीटीवी की चीफ पीपुल्स ऑफिसर (एचरआर हेड) पूर्वा मिश्रा और संजय पुगलिया से बात करने की कोशिश की. हालांकि, कई प्रयासों के बाद भी उनसे हमारी बात नहीं पाई. ऐसे में हमने उन्हें कुछ सवाल मेल किए हैं. अगर उनका जवाब आता है तो उसे खबर में जरूर अपडेट किया जाएगा.
भ्रामक और गलत सूचनाओं के इस दौर में आपको ऐसी खबरों की ज़रूरत है जो तथ्यपरक और भरोसेमंद हों. न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करें और हमारी भरोसेमंद पत्रकारिता का आनंद लें.
Also Read
-
Dec 25, 2025: Delhi struggles with ‘poor’ AQI as L-G blames Kejriwal
-
In India, Christmas is marked by reports of Sangh-linked organisations attacking Christians
-
Is India’s environment minister lying about the new definition of the Aravallis?
-
लैंडफिल से रिसता ज़हरीला कचरा, तबाह होता अरावली का जंगल और सरकार की खामोशी
-
A toxic landfill is growing in the Aravallis. Rs 100 crore fine changed nothing