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पहलगाम आतंकी हमले पर टिप्पणी करने वाली लखनऊ यूनिवर्सिटी की प्रोफ़ेसर पर दर्ज हुई एफआईआर
पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा धर्म पूछकर निशाना बनाने के बाद देश भर में सांप्रदायिक तनाव का माहौल है. वहीं, मीडिया भी इस पूरे मामले को इसी कोण से प्रस्तुत करने में लगा हुआ है. सुरक्षा प्रणाली की असफलता और सरकार पर कोई सवाल उठाना अपने आप में एक नया अपराध बन गया है.
इसी क्रम में लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रोफ़ेसर और सामाजिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर मुखर रूप से अपनी राय रखने वाली डॉ माद्री काकोटी उर्फ़ डॉ मेडुसा ने भी कुछ सवाल उठा दिए. जिसके बाद उनके खिलाफ लखनऊ के हसनगंज पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज की गई है.
डॉ मेडुसा ने अपने एक सोशल मीडिया पर पोस्ट में लिखा था,
'धर्म पूछकर गोली मारना आतंकवाद है.
और धर्म पूछकर लिंच करना,
धर्म पूछकर नौकरी से निकालना,
धर्म पूछकर घर न देना,
धर्म पूछकर घर बुलडोज़ करना, वगैरह वगैरह
भी आतंकवाद है.
असली आतंकी को पहचानो.'
मेडुसा के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 196 (1) (ए), धारा 197 (1), धारा 353 (2), धारा 302, धारा 352, धारा 152 और सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम 2008 की धारा 69-ए के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.
गौरतलब है कि मेडुसा ने पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद लगातार सोशल मीडिया के ज़रिए सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की नाकामी पर सवाल उठाए हैं.
वे अपने एक वीडियो पोस्ट में कहती हैं, 'इंटेलिजेंस और सिक्योरिटी में इतनी बड़ी चूक हो गई और गृहमंत्री अमित शाह को पता तक नहीं था, यदि सरकार इन सब चीज़ों की ज़िम्मेदार नहीं है तो सरकार करती क्या है?'
वे आगे कहती हैं, 'हमारे देश में हमारे देश के लोगों की एकता आज के समय से ज़्यादा कभी कमज़ोर नहीं थी और इसका फ़ायदा आतंकवादी उठा रहे हैं.'
एफआईआर के बाद जब हमने डॉ मेडुसा से बात की तो उन्होंने इस मामले पर अभी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. हालांकि, उन्होंने कहा कि उनका मत वही है, जो उनके सोशल मीडिया वीडियोज़ और पोस्ट में नज़र आ रहा है.
यह मामला लखनऊ विश्विद्यालय के छात्र जतिन शुक्ला की शिकायत पर दर्ज किया गया है. न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में जतिन कहते हैं, 'ये वामपंथी विचारधारा के लोग, समाज और छात्रों को तोड़ने का काम कर रहे हैं, वे इस विषय को राजनीतिक बना रहे हैं, जब भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध की स्थिति बनी हुई है और आपकी विचारधारा देश में ही गृहयुद्ध कराना चाहती है.'
एक ट्वीट मात्र को लेकर एफआईआर दर्ज करने के बारे में जतिन कहते हैं, 'यह एफआईआर हमने इसलिए दर्ज कराई है कि कोई भी छात्र या प्रोफ़ेसर ऐसी चीज़ों की पुनरावृत्ति न कर सके.'
जतिन शुक्ला लखनऊ विश्वविद्यालय में पोस्ट ग्रेजुएशन के छात्र और खुद को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (एबीवीपी) का नेता बताते हैं.
वहीं, हसनगंज थाने में इस मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी प्रमोद कुमार पांडे ने न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में इस मामले पर कोई भी जानकारी देने से मना कर दिया.
नेहा सिंह राठौर पर भी प्राथमिकी
मेडुसा के अलावा लोक गायिका नेहा सिंह राठौर भी इस मुद्दे को लेकर लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर रही हैं. नतीजे में उनके खिलाफ भी लखनऊ के हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज की गई है. यह एफआईआर अभय सिंह की ओर से दर्ज कराई गई है. राठौर के खिलाफ आईटी एक्ट की एक धारा समेत भारतीय न्याय संहिता की 11 धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई है.
राठौर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनस) 2023 की धारा 196 (1) (ए), धारा 196 (1) (बी), धारा 197 (1) (ए), धारा 197 (1) (बी), धारा 197 (1) (सी), धारा 197 (1) (डी), धारा 353 (1) (सी), धारा 353 (2), धारा 302, धारा 152 और सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम 2008 की धारा 69a के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.
एफआईआर के बाद राठौर ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया दी. वे कहती हैं, 'मेरे ऊपर एफआईआर हो गई है…होनी भी चाहिए. एक मामूली लड़की इतने बड़े लोकतंत्र में सवाल कैसे पूछ सकती है! लोकतंत्र का साइज़ तो देखो! दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है भाई! धन्यवाद सीएम योगी आदित्यनाथ, धन्यवाद पीएम नरेंद्र मोदी.'
एक अन्य पोस्ट में वे लिखती हैं, "मेरे ऊपर लखनऊ में एफआईआर दर्ज़ हो चुकी है… क्या कोई वकील मेरी मदद कर सकता है? मेरे पास वक़ील की फ़ीस देने के लिए पैसा नहीं है. मेरे बैंक अकाउंट में सिर्फ़ 519 रुपये हैं, जिसमें से 500 रुपये तबला वादक को देकर कल मैं नया गीत मेरिकॉर्ड करूंगी.'
मेडुसा ने मांगी माफी!
मंगलवार को दोपहर बाद मेडुसा ने इस पूरा विवाद पर ट्वीट करते हुए स्पष्टीकरण जारी किया. उन्होंने लिखा, "मेरे द्वारा किए गए ट्वीट और बनाए गए वीडियो में आतंकवादी/आतंकी शब्द सिर्फ़ और सिर्फ़ पाकिस्तान द्वारा समर्थित और प्रायोजित आतंकवादियों के लिए है, जिन्होंने पहलगाम में धर्म पूछकर भारतीयों की निर्मम हत्या को अंजाम दिया. इन सभी आतंकवादियों की और ऐसे पाकिस्तान समर्थित हमले की जितनी निंदा की जाए कम है. भारत की अस्मिता और अक्षुण्णता के लिए ऐसी विषम परिस्थिति में हम सभी को एकजुट रहने की सबसे ज्यादा आवश्यकता है. मेरा हर ट्वीट, हर वीडियो इसी बात को बार बार दोहराता है और दोहराता रहेगा.
मुझे अत्यंत दुःख है कि एक शिक्षक होते हुए भी मैं यह समझा नहीं पाई कि मेरा आशय क्या था. भाषा विज्ञान की डिग्री रखते हुए भी मेरी भाषा इतनी साफ नहीं हो पाई कि मेरे देशवासियों तक मेरा संदेश सीधा पहुंचे. देश में एकता और शांति का संदेश। मैने कभी नहीं सोचा था कि मेरे संविधान द्वारा कहे गए मेरे दायित्वों का पूर्ण श्रद्धा से निर्वहन करते हुए मुझे पाकिस्तान से जोड़ा जायेगा. इससे मेरी और मेरे विश्वविद्यालय की आत्मा पर चोट लगी है, हमारी छवि धूमिल हुई है. मेरी देशभक्ति पर सवाल खड़ा हुआ है, मुझे इस बात का खेद है कि मेरे शब्दों के अर्थ का अनर्थ हुआ है और आपको दुख पहुंचा है.
मैं कल भी अपने देश और देश के लोगों के साथ खड़ी थी. आज भी हूं, और मरते दम तक रहूंगीं. जय हिंद. जय संविधान."
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अपडेट- मेडुसा का स्पष्टीकरण जोड़ने के लिए इस कॉपी को मंगलवार को अपडेट किया गया.
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