Video
डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटक्शन एक्ट के बहाने सरकार का आरटीआई पर एक और हमला
एक तरफ जहां केंद्र सरकार डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटक्शन एक्ट, 2023 को लागू करने की तैयारी कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ सामाजिक संगठनों द्वारा इसका व्यापक स्तर पर विरोध किया जा रहा है. संगठनों का आरोप है कि भारत सरकार ने हाल ही में डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटक्शन एक्ट के आधार पर सूचना के अधिकार कानून यानी आरटीआई में कुछ संशोधन किए. जिससे सूचना का अधिकार कानून काफी कमजोर हो सकता है.
इसी सिलसिले में 25 मार्च को दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में राष्ट्रीय जन सूचना अधिकार अभियान सहित करीब 34 संगठनों ने विपक्षी दलों के सांसदों सहित एक उच्च स्तरीय मीटिंग की. सांसदों को अवगत कराया कि इस नए संशोधन से क्या-क्या खतरे हो सकते हैं और इसका संसद में विरोध किया जाना चाहिए.
मीटिंग में सामाजिक संगठनों के अलावा कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (माले) के सांसद शामिल हुए.
इसके अलावा इन सब संगठनों के प्रतिनिधि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से भी मिले.
मीटिंग की अगुवाई कर रही आईटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज ने बताया, “सरकार डीपीडीपी को एक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है ताकि सूचनाओं पर नियंत्रण रखा जा सके और इसके दायरे में आम नागरिक पत्रकार और सामाजिक संगठन सब आएंगे.”
आखिर सरकार इस कानून के जरिए आरटीआई को कैसे कमजोर कर रही है? इस कानून के लागू होने से सूचना के अधिकार पर क्या प्रभाव पड़ेगा? और इस कानून को लेकर मीटिंग में आए विपक्षी सांसदों ने क्या कहा?
जानने के लिए देखिए हमारी यह वीडियो रिपोर्ट.
Also Read
-
TV Newsance 320: Bihar elections turn into a meme fest
-
Not just freebies. It was Zohran Mamdani’s moral pull that made the young campaign for him
-
“कोई मर्यादा न लांघे” R K Singh के बाग़ी तेवर
-
South Central 50: Kerala ends extreme poverty, Zohran Mamdani’s win
-
बीच चुनाव में हत्या हो रही, क्या ये जंगलराज नहीं है: दीपांकर भट्टाचार्य