Some of the elements in this story are not compatible with AMP. To view the complete story, please click here
राजमकल झा और राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू
Khabar Baazi

पत्रकारिता की ‘श्रद्धांजलि लिखने वालों’ पर झा का निशाना, मुर्मु बोलीं- सब्सक्राइबर मॉडल ही बेहतर

पत्रकारिता क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए रामनाथ गोयनका पुरस्कार दिए जाने के लिए आज वितरण समारोह आयोजित किया गया. समारोह की मुख्य अतिथि राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू रहीं. उन्होंने साल 2023 के विजेताओं को आज ये पुरस्कार बांटे. 

इस बार रामनाथ गोयनका के लिए 75 न्यूज़रूम्स से 1500 आवेदन आए. जो कि बीते साल के 1313 से ज्यादा हैं. 

मालूम हो कि रामनाथ गोयनका के नाम पर 2006 से हर साल यह पुरस्कार दिया जाता है. फाउंडेशन की ओर से यह पुरस्कार खोजी पत्रकारिता, खेल, राजनीति और पर्यावरण और क्षेत्रीय भाषा सहित कुल 13 श्रेणियों के लिए दिए जाते हैं.

निर्णायक मंडल करता है फैसला

विजेताओं का चयन एक निर्णायक मंडल द्वारा किया गया. इसमें देश की कई जानी-मानी हस्तियां शामिल हैं. 

इस बार के पुरस्कारों के लिए निर्णायक मंडल में रिटायर्ड जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण, ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के डीन और संस्थापक कुलपति प्रोफेसर सी राजकुमार, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. एस वाइ कुरैशी, रोहिणी निलेकणी फिलांथ्रॉपीज की अध्यक्ष एवं एकस्टेप की सह-संस्थापक और निदेशक रोहिणी निलेकणी और माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति केजी सुरेश शामिल रहे. 

‘पत्रकारिता की कब्र खोद रहे लेकिन कुछ बच्चे सब देख रहे’

अपने व्यंग्यात्मक अंदाज के लिए मशहूर इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के चीफ एडिटर राजकमल झा के निशाने पर इस बार सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर, कंटेट क्रिएटर और यूट्यूबर रहे. हालांकि, इस बार उनका रुख बीते सालों के मुकाबले नरम दिखा लेकिन उन्होंने अपने चिरपरिचित अंदाज में मीडिया पर चुटकी जरूर ली. झा ने कहा, “कुछ लोग इन दिनों पत्रकारिता की श्रद्धांजलि लिखने पर आमादा हैं... और कुछ तो बहुत ही खूबसूरती से लिख रहे हैं.. लेकिन शुक्र है कि कुछ बच्चे ये देख रहे हैं.” इतना कहते हुए उन्होंने बताया कि इस बार के 27 विजेताओं में से 13 तब स्कूल में थे जब रामनाथ गोयनका अवॉर्ड की शुरुआत हुई. 

इससे पहले उन्होंने भाषण की शुरुआत में कहा, “जब देश की प्रथम नागरिक हमारे साथ जुड़ती हैं, जब राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी एक दूसरे के बगल में बैठते हैं…सर्बानंद सोनोवाल, चिराग पासवान, अनिल बलूनी, रविशंकर, संजय राउत, मनोज झा, कार्तिकेय शर्मा, जावेद अली खान साहब, जी.के. वासन, कामाख्या जी, चंद्रशेखर आज़ाद, जॉन ब्रिटास, डी. राजा और जब एक भी यूट्यूब स्टार या सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर यहां नहीं होता, न ही कोई कंटेंट क्रिएटर इसमें शामिल होता है तो अच्छी पत्रकारिता का जश्न मनाने के लिए इससे बेहतर जगह क्या ही हो सकती है.”    

राष्ट्रपति मुर्मु का संदेश- सब्सक्राइबर मॉडल ही पहली पसंद

कार्यक्रम के समापन पर भाषण देते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पत्रकारिता के महत्व को रेखांकित किया. उन्होंने कहा, "गांधी जी ने कहा था कि पत्रकारिता का एकमात्र उद्देश्य सेवा होना चाहिए." साथ ही उन्होंने लोकतंत्र के एक आवश्यक स्तंभ के रूप में स्वतंत्र और निष्पक्ष रिपोर्टिंग की आवश्यकता को दोहराया.  

उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि न्यूज़रूम को ग्राउंड रिपोर्टिंग में निवेश की जरूरत है. साथ ही मीडिया संगठनों से गुणवत्ता और सटीकता पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया. 

उन्होंने मीडिया के आर्थिक मॉडल पर भी बात की और कहा कि अब हाइब्रिड मॉडल ने इसकी जगह ले ली है. मुर्मु ने कहा कि जहां सरकारी और कॉर्पोरेट फंडिंग की अपनी सीमाएं और फायदे हैं, वहीं सब्क्राइबर मॉडल आधारित पत्रकारिता ही सबसे उपयुक्त नजर आती है, हालांकि इसे बनाए रखना आसान नहीं है. 

मुर्मु ने एआई के रूप में पत्रकारिता के सामने आ रही चुनौतियों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि वो दिन दूर नहीं जब एआई पत्रकारिता में बहुत से कामों की जगह ले लेगा लेकिन पत्रकार भी उसे हरा सकते हैं. पत्रकारिता में मानवीय मूल्य और सहानुभूति ऐसी चीजें हैं, जिनकी जगह एआई कभी नहीं ले पाएगा.

बीते साल के रामनाथ गोयनका उत्कृष्ट पत्रकारिता पुरस्कारों के बारे में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

Also Read: पर्यावरण और हिंदी पत्रकारिता के लिए न्यूज़लॉन्ड्री ने जीते दो रामनाथ गोयनका पुरस्कार

Also Read: रामनाथ गोयनका पत्रकारिता पुरस्कार: ये रही विजेताओं की पूरी सूची