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‘प्रतिबंध सूची’ के बीच पत्रकारों को दिल्ली विधानसभा में प्रवेश करने से रोका गया
दिल्ली में नई भाजपा सरकार के पहले विधानसभा सत्र के पहले दो दिनों में प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं. कई पत्रकारों को विधानसभा परिसर में प्रवेश करने से अस्थायी रूप से रोक दिया गया. इन पत्रकारों में मान्यता प्राप्त पत्रकार भी हैं. इन्हें आमतौर पर बिना किसी रोक-टोक के आने-जाने की अनुमति होती है.
न्यूज़लॉन्ड्री को जानकारी मिली है कि पहले दिन मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और उनके मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण के दौरान कम से कम तीन पत्रकारों को प्रवेश द्वार पर रोक दिया गया. दूसरे दिन, पांच और पत्रकारों को प्रवेश द्वार पर रोक दिया गया.
विधानसभा अध्यक्ष के सचिव रंजीत सिंह ने इसे "गलतफहमी" करार दिया. उन्होंने कहा, "जब यह हुआ तो मुझे इसकी जानकारी नहीं थी, लेकिन जैसे ही मुझे पता चला तो तुरंत हमने इस मुद्दे को सुलझा लिया."
व्हाट्सएप पर हुई बातचीत के हर तरफ फैल चुके एक स्क्रीनशॉट में इन पत्रकारों के नाम, एक विधानसभा कर्मचारी द्वारा किसी अज्ञात व्यक्ति को भेजी गई सूची में दिखाए गए हैं. न्यूज़लॉन्ड्री इसकी पुष्टि नहीं कर सका, लेकिन हमने टिप्पणी के लिए कर्मचारी के साथ-साथ स्पीकर विजेंद्र गुप्ता से भी संपर्क किया है. अगर वह इस बारे में कोई जवाब देते हैं तो उसे इस रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा.
एक तरफ जब कुछ पत्रकारों को विधानसभा में अस्थायी रूप से रोक दिया गया था, तब मंत्री प्रवेश वर्मा ने कथित तौर पर मीडिया से कहा कि भाजपा पत्रकारों को “शीशमहल” के अंदर “दौरे” के लिए ले जाएगी. मालूम हो कि आम आदमी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निवास को भाजपा कटाक्ष के तौर पर शीशमहल बुलाती है.
पत्रकारों ने की आलोचना
सोमवार को जब नई मुख्यमंत्री शपथ ले रही थीं तो तीन पत्रकारों- एएनआई के निरंजन मिश्रा, एबीपी न्यूज़ के दीपक रावत और पीटीआई की श्वेता को विधानसभा के गेट पर रोक दिया गया और सत्र को कवर करने की अनुमति नहीं दी गई.
अगले दिन पांच अन्य को रोक दिया गया. इनमें टाइम्स नाउ नवभारत के पुलकित नागर, न्यूज़ नेशन के मोहित बख्शी, न्यूज़18 के जावेद मंसूरी, ज़ी न्यूज़ के देवेश भाटी और जनतंत्र के नमित त्यागी शामिल थे. उनमें से अधिकांश, अंत में स्पीकर के कार्यालय से हस्तक्षेप के बाद अंदर जाने में सफल रहे.
इनमें से अधिकांश पत्रकारों ने आम आदमी पार्टी के कार्यकाल के दौरान दिल्ली सरकार को व्यापक रूप से कवर किया था, और उनमें से कम से कम चार के पास दिल्ली सरकार के सूचना और प्रचार विभाग से मान्यता है.
इस बीच, दशकों से दिल्ली सरकार को कवर करने वाले पत्रकारों ने कहा कि मान्यता प्राप्त पत्रकारों पर इस तरह के प्रतिबंध पहले कभी नहीं देखे गए थे. नाम न बताने की शर्त पर एक पत्रकार ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “कांग्रेस के समय से, डीआईपी-मान्यता प्राप्त पत्रकारों को हमेशा विधानसभा में जाने की अनुमति दी गई है. बिना मान्यता वाले लोग अपने मीडिया संगठन से प्राप्त मुख्तारनामे के साथ पास के लिए आवेदन कर सकते हैं, लेकिन इस तरह का सीधा प्रतिबंध एक दम हैरान करने वाला है.”
विधानसभा में मौजूद कुछ पत्रकारों ने प्रतिबंधों के एक पैटर्न का भी आरोप लगाया. एक पत्रकार ने दावा किया, "मीडिया संगठनों से भाजपा के बीट रिपोर्टरों को अंदर जाने की अनुमति दी गई, जबकि जो लोग पहले दिल्ली सरकार को कवर कर रहे थे, उन्हें रोक दिया गया."
एक अन्य पत्रकार ने आरोप लगाया, "आप ने दिल्ली सचिवालय और अपने पार्टी कार्यालय में प्रवेश प्रतिबंध लगाए थे, लेकिन विधानसभा में कभी नहीं. विधानसभा में सत्ताधारी पार्टी और विपक्ष दोनों का प्रतिनिधित्व होता है, इसलिए किसी को भी प्रवेश से वंचित नहीं किया जाना चाहिए.”
एक अन्य पत्रकार ने टिप्पणी की, "फिलहाल, प्रवेश केवल स्पीकर के हस्तक्षेप के माध्यम से हो रहा है. यह एक अस्थायी समाधान है. कोई नहीं जानता कि आगे क्या होगा.”
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